लखनऊ के पैरा इलाके में स्थित एक सरकारी पुनर्वास केंद्र में कथित तौर पर विषाक्त भोजन करने से चार बच्चों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य बीमार हो गए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. इस केंद्र के करीब 20 बच्चे मंगलवार शाम अचानक बीमार पड़ गए जिन्हें लोकबंधु राज नारायण संयुक्त अस्पताल ले जाया गया. लखनऊ के जिलाधिकारी विशाख जी. ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘इस आश्रय गृह की दो लड़कियों और दो लड़कों समेत कुल चार बच्चों की मौत हुई है. इनकी उम्र 12 से 17 वर्ष के बीच है. शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और इनके विसरा संरक्षित रखे जाएंगे.''
उपमुख्यमंत्री ने किया अस्पताल का दौरा किया
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने घटना के बाद लोकबंधु अस्पताल का दौरा किया और सरकारी पुनर्वास केंद्र में भोजन विषाक्तता के संदिग्ध मामले के बाद अस्पताल में भर्ती बच्चों से मुलाकात की. पाठक ने संवाददाताओं से कहा कि प्रभावित बच्चों को गहन चिकित्सा देखभाल मिल रही है और उनकी हालत स्थिर है. उन्होंने कहा, ''एक बच्चे को दौरे पड़ रहे हैं, लेकिन वह खतरे से बाहर है.'' मंत्री ने कहा कि भोजन विषाक्तता का संदेह है और पुनर्वास केंद्र से भोजन के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं.
उन्होंने कहा, ''खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों से बात की गयी है और जांच के परिणाम आने के बाद सटीक कारण स्पष्ट हो जाएगा. हालांकि हमारी प्राथमिकता बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार करना है.'' पाठक ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर चिंता व्यक्त की है और वे बच्चों से मिलने अस्पताल जाएंगे. उन्होंने आश्वासन दिया, ''सरकार प्रभावित बच्चों के साथ खड़ी है और सुनिश्चित करेगी कि उन्हें सबसे अच्छा इलाज मिले.''
दूषित भोजन या पानी की वजह से यह घटना होने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर पाठक ने कहा कि जांच के बाद ही इसका कारण पता चलेगा. उन्होंने कहा, ''लखनऊ के जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों को पुनर्वास केंद्र का दौरा करने और जल्द से जल्द एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.''
सख्त कार्रवाई की जाएगी
पाठक ने आश्वासन दिया कि अगर किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई जाती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर राजीव कुमार दीक्षित ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-वीडियो' को बताया, ‘‘पुनर्वास केंद्र से करीब 20 बच्चे मंगलवार शाम इस अस्पताल में लाए गए. ये सभी बच्चे मानसिक रूप से कमजोर हैं. सभी प्रयासों के बावजूद दो बच्चों की मौत हो गई.''
बच्चों की हालत में हो रहा है सुधार
डॉक्टर दीक्षित ने कहा कि गंभीर रूप से बीमार दो बच्चों को एक दूसरे सरकारी अस्पताल के लिए रेफर किया गया है और शेष 16 बच्चों की हालत में सुधार हो रहा है. जिलाधिकारी ने बताया कि विभिन्न अस्पतालों में भर्ती बच्चों के अलावा, शेष बच्चों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए एक मेडिकल टीम भी आश्रय गृह भेजी गई है. उन्होंने कहा, “आश्रय गृह में करीब सात बच्चों को चिकित्सक की देखरेख में रखा गया है. स्वास्थ्य विभाग की टीम आश्रय गृह में बच्चों पर नजर रख रही है.” इस घटना को लेकर लखनऊ के जिलाधिकारी ने एक समिति गठित की है और स्वास्थ्य विभाग तथा खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी पीड़ित बच्चों से पूछताछ के लिए अस्पताल पहुंचे हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पुनर्वास केंद्र से जांच के लिए खाद्य नमूने लिए गए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. जिला परिवीक्षा अधिकारी विकास सिंह ने इस बात की पुष्टि की कि इस केंद्र में 147 बच्चे हैं जिनमें बेसहारा और मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्चे शामिल हैं. उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष और भाजपा नेता अपर्णा यादव ने भी अस्पताल का दौरा किया और बीमार बच्चों से मुलाकात की.
दौरे के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'बच्चों को उचित उपचार मिल रहा है और सरकार पूरा खर्च वहन करेगी. डॉक्टरों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि इलाज में किसी तरह की लापरवाही न हो. इस घटना के कारणों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाएगी और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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