यूपी के कानपुर में रविवार को शहर अपनी सामान्य गति से चल रहा था. लेकिन कानपुर के सबसे संवेदनशील और मिली-जुली आबादी वाले इलाके 'नई सड़क' में अचानक वक्त ने करवट ली. देखते ही देखते माहौल तनावपूर्ण हो गया. पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद, पुलिस प्रशासन हाय-हाय के नारे गूंजने लगे. कुछ ही पलों में भगदड़ मची, सड़क में आग लगा दी गई और पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू हो गई. चारों तरफ चीख-पुकार और अफरा-तफरी का ऐसा मंजर था, जिसने हर किसी के दिल में खौफ पैदा कर दिया. शहर में खबर आग की तरह फैल गई. क्या नई सड़क पर फिर दंगा हो गया है. लेकिन ये अफ़वाह सिर्फ़ थोड़ी देर तक थी. यहां कोई दंगा नहीं हुआ था, यह पुलिस की तरफ़ से कराई गई एक मॉक ड्रिल का हिस्सा था.
इस घटना ने पुलिस मुख्यालय में खतरे का अलार्म बजा दिया. तत्काल सभी जवानों को अलर्ट मोड पर डाल दिया गया. कुछ ही मिनटों के भीतर नई सड़क का इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया. दंगा निरोधक दस्ते की गाड़ियां, पीएसी के ट्रक, फायर ब्रिगेड के सायरन और भारी पुलिस बल के साथ वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों ने माइक से भीड़ को शांत रहने की अपील की, लेकिन उपद्रवी भीड़ सुनने को तैयार नहीं थी.
जब लगा कि हालात बेकाबू हो रहे हैं, तो पुलिस ने अपनी कार्रवाई शुरू की. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले पानी की तेज बौछारें की गईं और फिर आंसू गैस के गोले दागे गए। धुएं और पानी के बीच जब उपद्रवी पीछे नहीं हटे, तो पुलिस ने लाठी पटककर भीड़ को खदेड़ना शुरू किया और कुछ ही देर में पूरे इलाके को खाली करा लिया गया.
पूरे कानपुर में इस घटना को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था. हर कोई यही सोच रहा था कि आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि शहर की शांति भंग हो गई. लेकिन जब धूल और धुएं का गुबार छंटा, तब एक हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई. यह कोई असली दंगा नहीं, बल्कि कानपुर पुलिस द्वारा आयोजित एक मॉक ड्रिल थी.
शहर में कानून व्यवस्था को और मजबूत करने तथा किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए डीसीपी हेडक्वार्टर कासिम आबदी के नेतृत्व में इस मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया था. इसका उद्देश्य पुलिस बल को भीड़ नियंत्रण और दंगा रोकने की आधुनिक तकनीकों में और अधिक कुशल बनाना था.अभ्यास के दौरान जवानों को एंटी रायट गन, टियर गैस, वाटर कैनन जैसे उपकरणों के सही इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया गया.
इस मॉक ड्रिल में सिविल पुलिस, फायर फाइटिंग दल, चिकित्सीय दल और आरक्षित बल की टीमों ने एक साथ मिलकर काम किया, ताकि वास्तविक संकट के समय सभी विभागों में बेहतरीन समन्वय बना रहे. संयुक्त पुलिस आयुक्त आशुतोष कुमार ने स्पष्ट किया कि यह अभ्यास पुलिस की नियमित तैयारियों का हिस्सा है और इसका किसी विशेष त्योहार या आयोजन से कोई लेना-देना नहीं है. इस मॉक ड्रिल ने भले ही कुछ देर के लिए शहर में सनसनी फैला दी हो, लेकिन इसने यह साबित कर दिया कि कानपुर पुलिस किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार और सतर्क है.














