पूर्व IG पिता ने जिस कांस्टेबल को किया था बर्खास्त, बेटी ने कोर्ट में दलील देकर वापस दिलवाई नौकरी

कोर्ट में एक तरफ रिटायर हो चुके IG पिता थे. दूसरी तरफ उनकी वकील बेटी थी. बेटी ने अपने पिता के फैसले के खिलाफ ही हाई कोर्ट में केस लड़ी और जीत भी गई. मामला एक कांस्टेबल की बर्खास्तगी का था. उसपर एक लड़की से छेडखानी का आरोप था.

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जब कोर्ट में रिटायर IG पिता के सामने वकील बेटी जीत गई
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  • 2023 में महिला यात्री से छेड़छाड़ के आरोपों पर आरक्षी तौफीक अहमद को बर्खास्त कर दिया गया था.
  • तत्कालीन आईजी राकेश सिंह ने तौफीक अहमद को सख्त विभागीय कार्रवाई के बाद बर्खास्त किया था
  • तौफीक अहमद की बहाली के लिए उनकी पैरवी आईजी राकेश सिंह की बेटी अनुरा ने उच्च न्यायालय में की थी.
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बरेली:

साल 2023 में एक कांस्टेबल (आरक्षी) को महानिरीक्षक (आईजी) ने एक महिला यात्री से छेड़छाड़ के आरोपों पर विभागीय कार्रवाई के बाद बर्खास्त कर दिया था, साथ ही कांस्टेबल को इस मामले में जेल भी जाना पड़ा था. कांस्टेबल (आरक्षी) तौफीक अहमद चाहकर भी अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर सके और एक अपराधी होने का धब्बा उनपर लग गया. नौकरी हाथ से गई साथ ही समाज में बनाई गई इज्जत भी. लेकिन जिस तत्कालीन महानिरीक्षक (आईजी) राकेश सिंह (अब सेवानिवृत्त) ने तौफीक अहमद को बर्खास्त किया था. उनकी ही बेटी अनुरा ने विभागीय जांच में गंभीर तकनीकी उजागर करते हुए तौफीक अहमद को उनकी नौकरी वापस दिलवाई. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि अहमद को ये पता नहीं था कि उनका केस जो वकील लड़ रही है, वो उसी आईजी की बेटी है, जिन्होंने उन्हें बर्खास्त किया था.

जानें क्या है पूरा मामला

हेड कांस्टेबल तौफीक अहमद बरेली में तैनात थे. उनके खिलाफ 13 जनवरी 2023 को जीआरपी थाने में एक केस हुआ. पीलीभीत की एक लड़की ने छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. लड़की ने आरोप लगाते हुए पुलिस को बताया कि 12 ,जनवरी, 2023 को 15073 त्रिवेणी एक्सप्रेस से बरेली आ रही थी. वह कोच नंबर एस-7 में थी. ट्रेन 13 जनवरी को दोपहर 2:11 बजे बरेली जंक्शन पहुंची. बहुत यात्री ट्रेन से उतर चुके थे. उसी समय कांस्टेबल तौफीक अहमद कोच में चढ़े. उन्होंने मेरे को अकेला देखा और बगल में बैठ गए. ट्रेन चलने के बाद छेड़खानी करने लगे.  बरेली रेंज के तत्कालीन महानिरीक्षक (आईजी) राकेश सिंह ने मामला सामने आने के बाद पुलिस कांस्टेबल तौफीक अहमद बर्खास्त कर दिया. सिंह ने आरोपों की गंभीरता का हवाला देते हुए अहमद को सेवा से हटाने का ‘‘सख्त लेकिन कर्तव्यनिष्ठ'' फैसला लिया था.

अहमद ने अपनी बर्खास्तगी को हाई कोर्ट में चुनौती दी. राकेश सिंह की बेटी अनुरा सिंह की वकील बनी. अनुरा ने उनकी तरफ से पैरवी की. अनुरा ने विभागीय जांच में गंभीर तकनीकी उजागर करते हुए दलील दी कि जांच अधिकारी ने न केवल आरोप सिद्ध किए, बल्कि सीधे सजा की सिफारिश भी कर दी, जबकि उत्तर प्रदेश पुलिस अधीनस्थ श्रेणी (दंड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम 14(1) के तहत यह अधिकार केवल अनुशासनात्मक प्राधिकारी का है.

क्या कहा कोर्ट ने

न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने सहमति जताते हुए जांच रिपोर्ट और बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया और अहमद को बहाल करने का निर्देश दिया, साथ ही तीन महीने के भीतर नए सिरे से जांच पूरी करने का निर्देश दिया. अनुरा ने रविवार को कह, ‘‘मैंने एक वकील के रूप में काम किया और मेरे पिता ने एक सरकारी प्रतिनिधि के रूप में काम किया, लेकिन उच्च न्यायालय व्यक्तिगत रिश्तों से ऊपर है.''

बेटी की जीत पर पिता ने क्या कहा

राकेश कुमार सिंह अब रिटायर हो चुके हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट जाकर उन्होंने भी इस केस में गवाही दी. लेकिन उनकी बेटी अनुरा सिंह ने केस जीत लिया. हाई कोर्ट के फैसले पर राकेश सिंह कहते हैं एक पिता के लिए बेटी की जीत तो बड़ी बात है. वे कहते हैं कि पुलिस की जांच प्रकिया में कहीं कोई कमी रह गई होगी. अनुरा ने कहा हम दोनों ने अपनी ड्यूटी निभाई. मैं वकील के तौर पर अपने क्लाइंट का केस लड़ रही थी. मेरे पिता सरकार की तरफ से थे. अहमद ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें मामले के दौरान राकेश-अनुरा के रिश्ते के बारे में पता नहीं था.

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