- उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के मकौड़ा गांव की शेरी सिंह ने मिसेज यूनिवर्स 2025 का खिताब जीता है
- फिलीपींस की राजधानी मनीला में आयोजित प्रतियोगिता में शेरी सिंह ने 122 से अधिक देशों की महिलाओं को पीछे छोड़ा
- शेरी सिंह पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने मिसेज यूनिवर्स का खिताब जीतकर देश का नाम रोशन किया है
ब्यूटी कॉन्टेस्ट के इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर भारत ने वह इतिहास रच दिया है, जिसका इंतजार देश वर्षों से कर रहा था. उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के छोटे से गांव मकौड़ा की रहने वाली गुर्जर समाज की बेटी शेरी सिंह ने मिसेज यूनिवर्स 2025 का प्रतिष्ठित खिताब जीतकर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है. यह जीत सिर्फ एक ताज नहीं, बल्कि भारतीय विवाहित महिलाओं के सशक्तिकरण और दृढ़ता का वैश्विक ऐलान है.
मकौड़ा से मनीला तक का स्वर्णिम सफर
फिलीपींस की राजधानी मनीला में आयोजित हुई मिसेज यूनिवर्स 2025 की भव्य प्रतियोगिता में दुनिया भर के 122 से अधिक देशों की प्रभावशाली महिलाओं ने भाग लिया था. इन सभी को पीछे छोड़ते हुए, शेरी सिंह ने अपनी बुद्धिमत्ता, शालीनता और आत्मविश्वास के दम पर यह ऐतिहासिक ताज अपने नाम किया. सबसे खास बात यह है कि मिसेज यूनिवर्स का खिताब जीतने वाली शेरी सिंह पहली भारतीय महिला हैं.
शेरी सिंह ने अपनी जीत के बाद महिला सशक्तिकरण और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के अपने मजबूत संदेश से जजों का दिल जीत लिया. उनकी यह उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह हर उस भारतीय विवाहित महिला के लिए प्रेरणा है, जिसने अपने सपनों को सीमाओं से परे देखने का साहस किया है.
दबंग राजनीतिक विरासत की बेटी
शेरी सिंह का संबंध ग्रेटर नोएडा के मकौड़ा गांव के एक प्रतिष्ठित गुर्जर परिवार से है, जिसकी दबंग राजनीतिक विरासत रही है. उनके दादा, स्वर्गीय महेंद्र सिंह भाटी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक कद्दावर नेता थे और दादरी विधानसभा से विधायक भी रह चुके थे. उनके पिता, समीर भाटी, भी उत्तर प्रदेश की दादरी विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रह चुके हैं.
इस राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने वाली शेरी सिंह ने सौंदर्य के मंच पर अपनी एक अलग पहचान बनाकर न सिर्फ़ अपने परिवार, बल्कि पूरे गुर्जर समाज और उत्तर प्रदेश को विश्व मानचित्र पर गौरव दिलाया है.
जश्न में देश और समाज
शेरी सिंह के मिसेज यूनिवर्स चुने जाने की खबर आते ही पूरे देश में और खासकर ग्रेटर नोएडा व गुर्जर समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है। देश भर के भारतीयों ने अपनी 'बहू' और 'बेटी' की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर की है. यह जीत दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और आत्म-विश्वास से ग्रामीण पृष्ठभूमि की महिलाएं भी वैश्विक स्तर पर बड़े से बड़े मुकाम हासिल कर सकती हैं.
शेरी सिंह का यह ऐतिहासिक कदम आने वाली पीढ़ियों की महिलाओं को प्रेरित करेगा कि वे विवाह और मातृत्व के साथ भी अपने सपनों को उड़ान दे सकती हैं और दुनिया को दिखा सकती हैं कि सच्ची सुंदरता ताकत, दया और अदम्य साहस में निहित होती है.