कानपुर के रावतपुर इलाके में पिछले साल अप्रैल में एक निजी अस्पताल में मृत व्यक्ति के परिजनों ने उसके शव को अपने घर में यह समझ कर इतने दिन रखा कि वह कोमा में है, और जिंदा है. मृतक की पहचान आयकर विभाग में कार्यरत विमलेश दीक्षित के रूप में हुई है. घटना का पता शुक्रवार को तब चला जब पुलिसकर्मी और मजिस्ट्रेट, स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक मामले की जांच के लिए व्यक्ति के घर पहुंचे और उन्हें वहां शव मिला.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने बताया, ‘‘विमलेश दीक्षित की पिछले साल 22 अप्रैल को मृत्यु हो गई थी, लेकिन परिवार अंतिम संस्कार करने के लिए अनिच्छुक था क्योंकि उनका मानना था कि दीक्षित कोमा में है.'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कानपुर के आयकर अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया था, जिन्होंने इस मामले की जांच का अनुरोध किया था.'
सीएमओ ने कहा कि जब मेडिकल टीम उनके घर पहुंची तो परिवार के सदस्य इस बात पर जोर दे रहे थे कि विमलेश जिंदा है और कोमा में है. बहुत समझाने पर परिजनों ने स्वास्थ्य टीम को शव को लाला लाजपत राय (एलएलआर) अस्पताल ले जाने की अनुमति दी, जहां चिकित्सकीय जांच में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
सीएमओ ने कहा कि मामले की जांच करने और जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के लिए डॉ एपी गौतम, डॉ आसिफ और डॉ अविनाश की तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विमलेश की पत्नी हर सुबह शव पर ‘गंगाजल' छिड़कती थी, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि ऐसा करने से उन्हें ‘कोमा' से बाहर निकालने में मदद मिलेगी.
अधिकारी ने कहा कि परिवार ने अपने पड़ोसियों को भी बताया था कि विमलेश ‘कोमा' में हैं. पड़ोसियों में से एक ने पुलिस को बताया, ‘‘परिवार के सदस्यों को अक्सर ऑक्सीजन सिलेंडर घर ले जाते देखा था.''
पुलिस ने बताया कि शव पूरी तरह सड़ चुका था. एक अधिकारी ने कहा कि दीक्षित की पत्नी मानसिक रूप से कमजोर प्रतीत होती है. कानपुर पुलिस ने एक बयान में कहा कि निजी अस्पताल ने मृत्यु प्रमाण पत्र में कहा था कि विमलेश दीक्षित की मृत्यु 22 अप्रैल, 2021 को अचानक दिल का दौरा के कारण हुई थी.