यूपी के सहारनपुर में मंगलवार को जातीय हिंसा की घटना हुई.
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- मायावती ने हालात बिगड़ने के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया
- मायावती के शब्बीरपुर गांव के दौरे से पहले और बाद में हुई हिंसा
- रैपिड एक्शन फोर्स सहित बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती
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लखनऊ:
सहारनपुर में आज मायावती के दौरे के पहले और बाद में दलितों और राजपूतों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें सात लोग घायल हो गए जिनमें से बाद में एक व्यक्ति की मौत हो गई. एक महीने के अंदर सहारनपुर में यह हिंसा की तीसरी घटना है. पिछले दिनों सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में डॉ आंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर विवाद हुआ था. दलितों का आरोप है कि राजपूतों ने मूर्ति नहीं लगाने दी. बाद में जब राजपूत महाराणा प्रताप जयंती पर जुलूस निकल रहे थे तो दलितों ने उसका विरोध किया था.
आज बसपा प्रमुख मायावती के शब्बीरपुर गांव पहुंचने से पहले दोनों पक्षों में संघर्ष हुआ जिसमें कुछ घरों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई. बाद में मायावती के जाने के बाद कुछ लोगों ने वहां से लौट रहे बसपा समर्थकों की गाड़ी पर हमला कर दिया.गाड़ी में सवार लोगों को मारा और गाड़ी तोड़ दी. इस वारदात में सात लोग घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. बाद में इनमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई. बसपा के समर्थक अस्पताल के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. मौके पर जिले के वरिष्ठ अफसर मौजूद हैं. वहां बड़े पैमाने पर फोर्स की तैनाती कर दी गई है. साथ में रैपिड एक्शन फोर्स भी लगा दी गई है. मेरठ से एडीजी आनंद कुमार सहारनपुर रवाना हो गए हैं.
मायावती शब्बीरपुर लगभग साढ़े तीन बजे पहुंचीं.मायावती ने मीडिया से बात की और बताया कि "सभी लोगों को शांति बनाकर रहना चाहिए, दलितों और ऊंची जाति के लोगों को. क्योंकि लोग राजनीति करके अपने घर चली जाते हैं, आप लोगों को यहीं रहना है. मेरी लोगों से बात हुई कि वे एक मूर्ति आम्बेडकर साहब की लगाना चाहते थे, लेकिन डीएम और एसएसपी ने इसकी परमीशन नहीं दी. हमने, लोगों ने डीएम व एसएसपी की बात मान ली. फिर महाराणा प्रताप जयंती आई. उसकी भी परमीशन उनके पास नहीं थी. हमारे लोगों ने एसएसपी व डीएम को कॉल किया लेकिन कोई नहीं आया और झगड़ा हुआ. यह सारी लापरवाही प्रशासन व पुलिस की है. उससे भी ज्यादा सूबे की सरकार योगी की है, क्योंकि जो आदेश आदेश ऊपर से मिलता है वही डीएम, एसएसपी करते हैं. मेरी चार बार हुकूमत रही लेकिन कभी कोई दंगा नहीं हुआ.''
सहारनपुर में पहला दंगा 20 अप्रैल को हुआ था. तब सहारनपुर से बीजेपी के एमपी राघव लखनपाल आंबेडकर जयंती का जुलूस बिना इजाजत निकाल रहे थे. उसमें हिंसा भड़क गई थी.
आज बसपा प्रमुख मायावती के शब्बीरपुर गांव पहुंचने से पहले दोनों पक्षों में संघर्ष हुआ जिसमें कुछ घरों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई. बाद में मायावती के जाने के बाद कुछ लोगों ने वहां से लौट रहे बसपा समर्थकों की गाड़ी पर हमला कर दिया.गाड़ी में सवार लोगों को मारा और गाड़ी तोड़ दी. इस वारदात में सात लोग घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. बाद में इनमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई. बसपा के समर्थक अस्पताल के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. मौके पर जिले के वरिष्ठ अफसर मौजूद हैं. वहां बड़े पैमाने पर फोर्स की तैनाती कर दी गई है. साथ में रैपिड एक्शन फोर्स भी लगा दी गई है. मेरठ से एडीजी आनंद कुमार सहारनपुर रवाना हो गए हैं.
मायावती शब्बीरपुर लगभग साढ़े तीन बजे पहुंचीं.मायावती ने मीडिया से बात की और बताया कि "सभी लोगों को शांति बनाकर रहना चाहिए, दलितों और ऊंची जाति के लोगों को. क्योंकि लोग राजनीति करके अपने घर चली जाते हैं, आप लोगों को यहीं रहना है. मेरी लोगों से बात हुई कि वे एक मूर्ति आम्बेडकर साहब की लगाना चाहते थे, लेकिन डीएम और एसएसपी ने इसकी परमीशन नहीं दी. हमने, लोगों ने डीएम व एसएसपी की बात मान ली. फिर महाराणा प्रताप जयंती आई. उसकी भी परमीशन उनके पास नहीं थी. हमारे लोगों ने एसएसपी व डीएम को कॉल किया लेकिन कोई नहीं आया और झगड़ा हुआ. यह सारी लापरवाही प्रशासन व पुलिस की है. उससे भी ज्यादा सूबे की सरकार योगी की है, क्योंकि जो आदेश आदेश ऊपर से मिलता है वही डीएम, एसएसपी करते हैं. मेरी चार बार हुकूमत रही लेकिन कभी कोई दंगा नहीं हुआ.''
सहारनपुर में पहला दंगा 20 अप्रैल को हुआ था. तब सहारनपुर से बीजेपी के एमपी राघव लखनपाल आंबेडकर जयंती का जुलूस बिना इजाजत निकाल रहे थे. उसमें हिंसा भड़क गई थी.
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