- कानपुर में 2010 से लापता तेलुगु भाषा बोलने वाली महिला भारत अम्मा यादव को 2023 में भर्ती कराया गया था
- महिला की भाषा समझने में कठिनाई हुई, तेलंगाना के रहने वाले डॉक्टर भारद्वाज ने उनकी तेलुगु भाषा पहचान ली थी
- सिस्टर इंचार्ज आशा वर्मा ने डॉक्टर की मदद से तेलंगाना पुलिस से संपर्क कर महिला के परिवार का पता लगाया था
कहते हैं कि भाषा अगर संवाद का माध्यम है, तो भावनाएं दिलों को जोड़ती हैं. कानपुर के उर्सला अस्पताल में भाषा और भावनाओं के इसी अद्भुत संगम ने 14 साल से बिछड़े एक परिवार को फिर से एक कर दिया. साल 2010 में तेलंगाना से अचानक लापता हुई एक महिला 2025 में अपने परिवार से मिल सकी. और इस भावनात्मक मिलन के सूत्रधार बने अस्पताल के एक डॉक्टर और एक नर्स.
अस्पताल में एक 'पहेली' बनी हुई थीं भारत अम्मा
उर्सला अस्पताल के सीएमएस डॉ. बाल चंद पाल ने बताया कि जुलाई 2023 में रेलबाजार पुलिस ने एक अज्ञात महिला को अस्पताल में भर्ती कराया था. महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और उनके हाथ में फ्रैक्चर भी था. सबसे बड़ी समस्या यह थी कि महिला की भाषा वहां कोई समझ नहीं पा रहा था. स्टाफ सेवा तो कर रहा था, लेकिन उनका नाम और पता एक पहेली बना हुआ था.
महिला का नाम भारत अम्मा यादव था, जो मानसिक रूप से कमजोर थीं और घर से भटककर ट्रेन में बैठ गई थीं. उन्होंने इतने सालों तक रेलवे स्टेशनों पर मांगकर अपना जीवन बिताया था.
संयोग बना 'तेलुगु' बोलने वाला डॉक्टर
किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था. उर्सला अस्पताल में डीएनबी (DNB) का कोर्स कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर भारद्वाज, जो संयोग से तेलंगाना के ही रहने वाले थे, 17 तारीख को जब राउंड पर निकले, तो उन्होंने उस अज्ञात महिला को कुछ बुदबुदाते हुए सुना.
डॉक्टर भारद्वाज ने तुरंत पहचान लिया कि वह महिला तेलुगु भाषा में बात कर रही है और तेलंगाना की निवासी है. यह जानकारी परिवार तक पहुंचने का पहला सुराग बनी.
सिस्टर इंचार्ज ने जोड़ा संपर्क
डॉक्टर से सुराग मिलते ही अस्पताल की सिस्टर इंचार्ज आशा वर्मा सक्रिय हो गईं. उन्होंने डॉ. भारद्वाज की मदद से मिली जानकारी के आधार पर तेलंगाना के महबूबनगर जिले के संबंधित थाने के एसएचओ से संपर्क साधा. वहां की पुलिस भी सक्रिय हुई और महिला के हुलिए के आधार पर उनके परिजनों को खोज निकाला.
14 साल बाद मां-बेटे का मिलन
पुलिस की सूचना पर तेलंगाना के महबूबनगर से महिला के बेटे त्रिरुमल यादव और उनकी बेटी कानपुर पहुंचे. त्रिरुमल यादव महबूबनगर जिला जेल में जेल वार्डन हैं. जैसे ही उन्होंने वार्ड में अपनी मां 'भारत अम्मा यादव' को देखा, माहौल गमगीन हो गया.
14 साल का लंबा वनवास खत्म हुआ। मां ने अपने बच्चों को पहचाना तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा. भाई-बहन अपनी मां से लिपटकर फूट-फूटकर रो पड़े. अस्पताल प्रशासन ने कागजी कार्रवाई पूरी कर भारत अम्मा को उनके बेटे और बेटी के सुपुर्द कर दिया. जाते-जाते परिजनों ने नम आंखों से डॉ. भारद्वाज, सिस्टर आशा वर्मा और पूरे अस्पताल प्रशासन का धन्यवाद किया. अस्पताल के स्टाफ ने भी भारत अम्मा यादव को फूलों की माला पहना कर विदा किया.













