मैनपुरी: आस्था से खिलवाड़, 350 रूपये में तांत्रिक करता है मरीजों का इलाज

चिकित्सा विज्ञान इस तरह के दावों को सिरे से खारिज करता है और इसे केवल आस्था से खिलवाड़ और लोगों को गुमराह करने का एक तरीका मानता है. गंभीर बीमारियों के सही इलाज में देरी, मरीज के स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो सकती है.

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जहां एक ओर आधुनिक विज्ञान और चिकित्सा ने कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव कर दिखाया है, वहीं दूसरी ओर आस्था और अंधविश्वास की धुंधली गलियों में भटकते लोग आज भी अपनी तकलीफों का समाधान झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र में तलाश रहे हैं. मैनपुरी जनपद के बिछवा थाना क्षेत्र के ग्राम खटाना में एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक तथाकथित 'तांत्रिक' या 'भगत' अपने छोटे से मंदिर पर दर्जनों की संख्या में पहुंचे लोगों की गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज करते दिख रहा है.

350 रुपए में 'माता के नाम' पर इलाज का दावा

मंदिर के पुजारी, जिनका नाम कुम्मन सिंह बताया गया है, वह देवी की प्रतिमा के सामने हवन-पूजन करते देखे जा सकते हैं. मंदिर में लोगों की भीड़ आस्था के सामान्य प्रदर्शन से कहीं अधिक थी. यहां पहुंचे लोग सामान्य दर्शनार्थी नहीं, बल्कि अपनी-अपनी बीमारियों से त्रस्त होकर दूर-दराज के क्षेत्रों से आए मरीज थे.

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस 'इलाज' के लिए तांत्रिक द्वारा एक मरीज से 350 रुपए'माता के नाम' पर वसूले जाते हैं. यह फीस उन लोगों से ली जा रही है जो पहले ही डॉक्टरों के चक्कर लगाकर थक चुके हैं और अब हताशा में इस दरबार में पहुंचे हैं.

7 पीढ़ियों से चल रहा है 'चमत्कार'

मंदिर के पुजारी कुम्मन सिंह ने दावा किया है कि यह इलाज का काम उनकी 7 पीढ़ियों से होता चला आ रहा है. उन्होंने बताया कि वह काली माता की पूजा करते हैं, जिससे लोगों को लाभ मिलता है. उनका दावा है कि झाड़-फूंक के बाद लोग बिल्कुल ठीक हो जाते हैं. जनपद के काफी लोग यहां आते हैं और उनका इलाज किया जाता है.

एक मरीज की मां ने इस दावे की पुष्टि करते हुए अपनी आपबीती सुनाई. उन्होंने बताया कि उनके पुत्र के पेट में काफी दर्द और सूजन रहती है. डॉक्टरों को दिखाने के बावजूद उन्हें कभी आराम नहीं मिला. किसी ने उन्हें भगत जी के इलाज के बारे में जानकारी दी, जिसके बाद वह पूजा की सामग्री लेकर मंदिर पहुंचीं. उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि इलाज की फीस 350 रुपए ली जाती है.

आस्था या स्वास्थ्य से खिलवाड़

यह मामला आस्था और अंधविश्वास के बीच एक गहरी खाई को दर्शाता है. एक ओर जहां लोग अपनी बीमारियों से निजात पाने की अंतिम उम्मीद लेकर यहां पहुंच रहे हैं और ₹350 खर्च कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह गंभीर सवाल खड़ा होता है कि क्या इस तरह की झाड़-फूंक गंभीर बीमारियों के लिए सही उपचार है?

चिकित्सा विज्ञान इस तरह के दावों को सिरे से खारिज करता है और इसे केवल आस्था से खिलवाड़ और लोगों को गुमराह करने का एक तरीका मानता है. गंभीर बीमारियों के सही इलाज में देरी, मरीज के स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए ताकि हताश और बीमार लोगों को सही चिकित्सा सुविधा मिल सके और उन्हें अंधविश्वास के नाम पर ठगा न जा सके.

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