समाजवादी पार्टी (सपा) को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कथित आपत्तिजनक बयान के एक दिन बाद पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पलटवार करते हुए कहा कि रंग अच्छा बुरा नहीं होता, नजरिया अच्छा बुरा होता है. योगी ने बृहस्पतिवार को कानपुर में एक जनसभा में सपा पर निशाना साधते हुए कहा था, “इनकी टोपी लाल है, लेकिन कारनामे काले हैं और इनका इतिहास काले कारनामों से भरा पड़ा है.”
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उन्होंने लिखा, “उत्तर-रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है. यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है, तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है, तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं.”
लाल रंग मिलन का प्रतीक है
अखिलेश ने लिखा, “लाल रंग मिलन का प्रतीक होता है. जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है, वे अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं. लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है, लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है, वे लाल रंग को चुनौती मानते हैं.”
सपा प्रमुख ने कहा, “जिनके जीवन में ममत्व या सौभाग्य तत्व का अभाव होता है, मनोवैज्ञानिक रूप से वे काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं. पश्चिम में काला रंग नकारात्मक शक्तियों और राजनीति का प्रतीक रहा, जैसे कि तानाशाही फासीवादियों की काली टोपी. मानवता और सह्रदयता विरोधी फासीवादी विचारधारा जब अन्य देशों में पहुंची, तो उसके सिर पर भी काली टोपी ही रही.”
अखिलेश ने किया तंज
अखिलेश ने कहा, “नकारात्मकता और निराशा का रंग भी काला ही माना गया है. इसलिए जिनकी राजनीतिक सोच डर और अविश्वास जैसे काले विचारों से फलती-फूलती है, वे इसे सिर पर लिए घूमते हैं. सच तो यह है कि हर रंग प्रकृति से ही प्राप्त होता है और सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं.”
सपा प्रमुख ने कहा, “ऐसे लोगों के ह्रदय को परिवर्तित करने के लिए बस इतना समझना होगा कि काले रंग की अंधेरी रात के बाद ही लालिमा ली हुई सुबह का महत्व होता है. ये पारस्परिक रंग संबंध ही जीवन में आशा और उत्साह का संचार करता है. अच्छा बुरा कोई रंग नहीं, नजरिया होता है.”