आउटसोर्सिंग पर अखिलेश के एलान पर सीएम योगी ने लिया बड़ा फैसला

यूपी की योगी सरकार ने भी उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम (UPCOS)" के गठन को मंजूरी दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निगम प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के जीवन में स्थायित्व और भरोसा सुनिश्चित करेगा.

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सीएम योगी ने दिया जवाब
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  • उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, लेकिन सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं.
  • अनुप्रिया पटेल और अन्य सहयोगी दलों ने कांट्रैक्ट नौकरियों में आरक्षण की मांग की है.
  • अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर आउटसोर्सिंग व्यवस्था समाप्त करने का वादा किया.
  • योगी सरकार ने आउटसोर्स सेवा निगम का गठन किया, जिससे कर्मचारियों को स्थायित्व और पारदर्शिता मिलेगी.
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लखनऊ:

यूपी में विधानसभा चुनाव तो दो साल दूर है लेकिन सियासी पारा अभी से ही चढ़ने लगा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी में जनता को अपना बनाने की होड़ मची है. सरकारी नौकरी बड़ा मुद्दा है. इस तरह की नौकरी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा की गारंटी है. इसीलिए सरकारी नौकरी का आकर्षण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. ऊपर से बेरोजगार नौजवानों की फौज. इस दिनों कांट्रैक्ट पर नौकरी देने का चलन बढ़ गया है. जिसे आउटसोर्सिंग कहते हैं. जब मन करे तब सेवा समाप्त. नौकरी देने वाले पर किसी तरह की कोई ज़िम्मेदारी नहीं होती है. 

आउटसोर्सिंग पर नौकरी को लेकर तनातनी बढ़ती जा रही है. सत्ता में रहने के बावजूद बीजेपी और सहयोगी दलों में इस मुद्दे पर मतभेद हैं. अपना दल नेता और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल इस पर मन की बात करती रही हैं. उनका आरोप हैं कि कांट्रैक्ट पर नौकरी में आरक्षण के  नियमों का पालन नहीं होता है. बाक़ी सहयोगी दलों के नेता ओम प्रकाश राजभर और संजय निषाद की भी यही डिमांड है. आज़मगढ़ में आज अखिलेश यादव ने भी घोषणा कर दी. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर ये व्यवस्था ख़त्म कर दी जाएगी. सभी राजनैतिक दलों की नज़र युवा वोटर पर है. 

यूपी की योगी सरकार ने भी उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम (UPCOS)" के गठन को मंजूरी दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निगम प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के जीवन में स्थायित्व और भरोसा सुनिश्चित करेगा. अपने घर पर सीनियर IAS अफ़सरों संग हुई बैठक में उन्होंने इस पर लंबी चर्चा की. इस मीटिंग में प्रस्तावित निगम की कार्यप्रणाली, संरचना और दायरे पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रस्तावित निगम का गठन कंपनी एक्ट के तहत किया जाए. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक "बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स" और एक महानिदेशक की नियुक्ति की जाएगी. मंडल और जिला स्तर पर भी समितियों का गठन किया जाएगा. एजेंसियों का चयन जेम पोर्टल के माध्यम से कम से कम तीन सालों के लिए किया. तय हुआ कि हर महीने की 05 तारीख तक सीधे उनके बैंक खाते में वेतन भेजा जाए. ईपीएफ  और ईएसआई की रकम समय से जमा हो. साथ ही ईपीएफ, ईएसआईसी और बैंकों  से अनुमन्य सभी लाभ भी कर्मचारियों को मिले. सीएम ने कहा कि प्रस्तावित निगम की सभी नियुक्तियों में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, महिला, दिव्यांगजन और पूर्व सैनिकों के लिए रिजर्वेशन लागू रहे. 

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