- उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, लेकिन सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं.
- अनुप्रिया पटेल और अन्य सहयोगी दलों ने कांट्रैक्ट नौकरियों में आरक्षण की मांग की है.
- अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर आउटसोर्सिंग व्यवस्था समाप्त करने का वादा किया.
- योगी सरकार ने आउटसोर्स सेवा निगम का गठन किया, जिससे कर्मचारियों को स्थायित्व और पारदर्शिता मिलेगी.
यूपी में विधानसभा चुनाव तो दो साल दूर है लेकिन सियासी पारा अभी से ही चढ़ने लगा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी में जनता को अपना बनाने की होड़ मची है. सरकारी नौकरी बड़ा मुद्दा है. इस तरह की नौकरी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा की गारंटी है. इसीलिए सरकारी नौकरी का आकर्षण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. ऊपर से बेरोजगार नौजवानों की फौज. इस दिनों कांट्रैक्ट पर नौकरी देने का चलन बढ़ गया है. जिसे आउटसोर्सिंग कहते हैं. जब मन करे तब सेवा समाप्त. नौकरी देने वाले पर किसी तरह की कोई ज़िम्मेदारी नहीं होती है.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रस्तावित निगम का गठन कंपनी एक्ट के तहत किया जाए. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक "बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स" और एक महानिदेशक की नियुक्ति की जाएगी. मंडल और जिला स्तर पर भी समितियों का गठन किया जाएगा. एजेंसियों का चयन जेम पोर्टल के माध्यम से कम से कम तीन सालों के लिए किया. तय हुआ कि हर महीने की 05 तारीख तक सीधे उनके बैंक खाते में वेतन भेजा जाए. ईपीएफ और ईएसआई की रकम समय से जमा हो. साथ ही ईपीएफ, ईएसआईसी और बैंकों से अनुमन्य सभी लाभ भी कर्मचारियों को मिले. सीएम ने कहा कि प्रस्तावित निगम की सभी नियुक्तियों में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, महिला, दिव्यांगजन और पूर्व सैनिकों के लिए रिजर्वेशन लागू रहे.