बरेली हिंसा मामले में बुलडोजर एक्शन, मौलाना तौकीर के करीबी की प्रॉपर्टी को ढहाया गया

बरेली में 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद 'आई लव मोहम्मद' अभियान को लेकर हिंसा भड़क उठी थी. प्रदर्शन के दौरान खलील तिराहे पर पुलिस द्वारा भीड़ को रोकने की कोशिश के दौरान झड़पें हुई थीं. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिसकर्मियों को लाठीचार्ज करना पड़ा. जिसकी वजह से मौलाना तौकीर अचानक सुर्खियों में आ गए थे.

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  • बरेली विकास प्राधिकरण ने मौलाना तौकीर के करीबी मोहम्मद आरिफ की अवैध मार्केट पर बुलडोजर एक्शन
  • जगतपुर इलाके में मोहम्मद आरिफ की दो मंजिला मार्केट और पीटर इंग्लैंड शोरूम अवैध निर्माण थे
  • धारा 144 पूरे इलाके में लागू कर प्रशासन ने दुकानदारों को सामान निकालने का समय दिया
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बरेली:

26 सितंबर को मौलाना तौकीर के आवाहन पर हुए बवाल के बाद बरेली प्रशासन एक बार फिर एक्शन में आ गया है. बरेली विकास प्राधिकरण की तरफ से मौलाना तौकीर के करीबी माने जाने वाले मोहम्मद आरिफ की मार्केट पर बुलडोजर एक्शन हो रहा है. जानकारी के अनुसार, जगतपुर इलाके में मोहम्मद आरिफ की दो दर्जन से अधिक दुकानों वाली दो मंजिला मार्केट और पीटर इंग्लैंड शोरूम की बिल्डिंग अवैध तरीके से बनाई गई थी.

इलाके में धारा 144 लागू

बरेली विकास प्राधिकरण की टीम दलबल के साथ मौके पर पहुंची और कार्रवाई शुरू कर दी. कार्रवाई के दौरान दुकानदारों ने विरोध जताया, जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें सामान निकालने के लिए कुछ घंटे का समय दिया. समय पूरा होने के बाद बुलडोजर से मार्केट को गिराया जाएगा. इस दौरान पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है. प्राधिकरण का कहना है कि यह कार्रवाई मानकों के विरुद्ध बने निर्माणों पर की जा रही है.

कोर्ट का भी FIR रद्द करने से इंकार

कुछ दिन पहले ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 25 सितंबर को बरेली में हुई हिंसा के मामले में दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया है. इस हिंसा में पुलिस बल पर कथित तौर पर पत्थरों और तेजाब की बोतलों से हमला किया गया था. न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की खंडपीठ ने अदनान नामक व्यक्ति की याचिका यह कहते हुए निस्तारित कर दी कि याचिकाकर्ता अन्य कानूनी विकल्पों इस्तेमाल कर सकता है.

राज्य सरकार की क्या दलील

हिंसा में आरोपी और FIR में नामजद अदनान ने बरेली हिंसा मामले में 26 सितंबर, 2025 को बरेली जिले के बारादरी पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर रद्द करने का अनुरोध किया था. हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने इस याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने वाले पुलिस बल पर हुआ यह हमला राज्य के अधिकारियों और कानून के शासन के सामने एक गंभीर खतरा पैदा करता है. 

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