दिल्ली ब्लास्ट में मारे गए जिगरी यारों का शव अमरोहा पहुंचा, इस मांग को लेकर परिजनों ने किया प्रदर्शन

दिल्ली में सोमवार शाम हुए ब्लास्ट में मारे गए अमरोहा निवासी अशोक कुमार और लोकेश कुमार का शव मंगलवार सुबह उनके गांव पहुंचा. अशोक परिजनों और ग्रामीणों ने उनके शव के साथ प्रदर्शन किया और परिवार के लिए आर्थिक मदद की मांग की.

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अमरोहा:

दिल्ली में लाल किले के सामने हुए बम ब्लास्ट में मारे गए अमरोहा के दो दोस्तों के शव मंगलवार सुबह उनके घर पहुंचे. इस धमाके में अमरोहा के अशोक कुमार और लोकेश अग्रवाल की मौत हो गई थी. दोनों गहरे दोस्त थे. दोनों के शव लेकर दिल्ली पुलिस घर उनके घर पहुंची. दोनों अमरोहा की हसनपुर तहसील क्षेत्र के रहने वाले हैं. 

क्या मांग कर रहे हैं अशोक कुमार के परिजन

अशोक का शव जब उनके घर पहुंचा तो उनके परिजनों ने हंगामा कर दिया. उन्होंने शव को सड़क के किनारे रख कर हंगामा किया. उनकी मांग है कि अशोक शहीद का दर्जा दिया जाए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.परिजनों के हंगामे की सूचना पाकर एसडीएम और पुलिस क्षेत्राधिकारी मौके पर पहुंचे. उन्होंने परिजनों को समझाया.

एक ग्रामीण ने बताया कि अशोक का परिवार काफी गरीब है. उसके पिता की मौत पहले ही हो चुकी है और वह तीन बच्चों को अपने पीछे छोड़ गया है. इसलिए सरकार केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को इस परिवार की मदद करनी चाहिए.उन्होंने कहा कि अशोक ने इस घटना में शहादत दी है. ग्रामीण इस बात से भी नाराज थे कि इतनी बड़ी घटना में मारे गए व्यक्ति का शव जब गांव में आया तो जिला प्रशासन का कोई अधिकारी वहां नहीं आया था. 

खून नहीं दिल का था रिश्ता

लाल किला ब्लास्ट में अमरोहा जिले के हसनपुर तहसील क्षेत्र के अशोक कुमार और लोकेश कुमार की मौत हो गई. दोनों बचपन के दोस्त थे.दोनों की मौत से पूरे हसनपुर क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है. इलाके में अशोक और लोकेश के दोस्ती की मिसाल दी जाती थी. दोनों का रिश्ता खून से नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा था. अशोक कुमार, मंगरोला गांव का निवासी था. वह दिल्ली में डीटीसी बस में कंडक्टर थे. इसके अलावा वो एक निजी स्कूल में पार्ट टाइम चौकीदारी भी करते थे. वहीं लोकेश कुमार, हसनपुर कस्बे में प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते थे. लोकेश अपने किसी बीमार रिश्तेदार को देखने दिल्ली गए थे. अशोक ने लोकेश को मिलने के लिए बुलाया था. दोनों ने तय किया था कि लाल किले के पास एक साथ खाना खाएंगे लेकिन किसे पता था कि यह मुलाकात उनकी आखिरी होगी.

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