UP में दलितों तक पहुंच बढ़ाने में जुटी BJP, सामाजिक न्याय संगोष्ठी के जरिए बड़े वोट बैंक को साधने की कवायद

BJP Politics for Dalit in UP: बीजेपी का फ़ोकस दलितों में युवा पीढ़ी पर है. ये उनके लिए वोटर भी हो सकते हैं और प्रचारक भी. सामाजिक न्याय संगोष्ठी में आने वाले सभी लोगों का डेटा बेस तैयार किया जा रहा है. 

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लखनऊ में सामाजिक न्याय संगोष्ठी की तस्वीर.

UP BJP Politics: कहीं कोई मीडिया वाले नहीं है. सब कुछ बेहद गोपनीय तरीक़े से हो रहा है. न प्रचार और न प्रसार. बीजेपी के बारे में तो आरोप लगता रहा है कि प्रचार कम, काम ज़्यादा. पर यहाँ तो सबकुछ बड़े गुप-चुप तरीक़े से हो रहा है. संघ और संगठन का ये साझा प्रयास है. मकसद दलित समाज के हर दरवाज़े तक पहुँचने की है. खास तौर से उस तबके की युवा पीढ़ी से. बीजेपी की तैयारी इन्हें अपना बनाने की है. ये लोग सोशल मीडिया में एक्टिव हैं. इनके दम पर बीजेपी ने विरोधियों को मात देने की रणनीति बनाई है. 

दलित नौजवानों को बीजेपी से जोड़ा जा रहा है

कहावत है लोहा ही लोहे को काटता है. संविधान बचाने के नाम पर विपक्ष ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाया. अब बीजेपी भी विपक्ष को दलित विरोधी बताने वाले अभियान में जुटी है. इस मुहिम में दलित नौजवानों को बीजेपी से जोड़ा जा रहा है. कॉलेज, युनिवर्सिटी, पॉलिटेक्निक से लेकर इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों तक पार्टी के लोग पहुंच रहे हैं. स्टूडेंट से मिल रहे हैं और शिक्षकों से भी. सामाजिक न्याय संगोष्ठी के नाम से दलितों को जोड़ने वाली इस तरह की बैठकें हो रही हैं 

राजनाथ सिंह के छोटे बेटे ने लखनऊ में की मीटिंग

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के छोटे बेटे नीरज सिंह ने लखनऊ में एक ऐसी ही मीटिंग का आयोजन किया. लखनऊ यूनिवर्सिटी, आंबेडकर विश्वविद्यालय और शकुतंला मिश्रा यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट बुलाए गए. इन्हें बुलाने की ज़िम्मेदारी RSS के छात्र संगठन ABVP की होती है. संघ और बीजेपी के लोगों ने इन संस्थानों के कई प्रोफ़ेसरों को भी आमंत्रित किया. यूपी में बीजेपी के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह को इस मीटिंग में ख़ास तौर से बुलाया गया था. यूपी बीजेपी के SC और ST मोर्चों के अध्यक्षों को भी इस तरह की बैठकों में बुलाया जाता है. 

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बैठक के दौरान की तस्वीर.

संगोष्ठी में कांग्रेस के खिलाफ की बातें अधिक 

सामाजिक न्याय संगोष्ठी में आए यूनिवर्सिटी के टीचर बारी बारी से अपने मन की बात करते हैं. जिसमें अपनी कम कांग्रेस के खिलाफ की बातें अधिक होती है. योगी सरकार में मंत्री असीम अरूण दलितों को लेकर मोदी सरकार के काम का ज़िक्र करते है. IPS अफसर की नौकरी छोड़ कर असीम बीजेपी में शामिल हुए. मायावती की तरह वे भी जाटव बिरादरी के हैं.

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अंबेडकर के जन्मभूमि, कर्म भूमि के मोदी सरकार ने क्या किया

धर्मपाल सिंह भी बताते हैं कि कैसे बीजेपी और संघ मिलकर दलितों के हितों में काम कर रहे है. विपक्षी पार्टियां और खास तौर से कांग्रेस आरएसएस को आरक्षण विरोधी बताती रही है. धर्मपाल सिंह ने बताया कि बाबा साहेब अंबेडकर की जन्म भूमि, कर्म भूमि और दीक्षा भूमि के लिए मोदी सरकार ने क्या किया. सत्ता में किस तरह से दलितों को हिस्सेदारी दी जा रही है. 

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लोकसभा के नतीजों से बीजेपी ने लिया सबक

कहते हैं ग़लतियों से लोग सबक लेते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों से बीजेपी ने भी सबक सीखा है. समाजवादी पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन था. दोनों ने मिल कर 80 में से 43 सीटें जीत लिया. इस तरह से बीजेपी को साल 2019 के चुनाव के मुक़ाबले 29 सीटों का नुक़सान हुआ. बीजेपी अपने दम पर बहुमत का आँकड़ा नहीं जुटा पाई. 

मायावती लगातार हो रही कमजोर

यूपी में बीजेपी के लिए ये तगड़ा झटका था. साल 2019 के आम चुनाव में बीएसपी और समाजवादी पार्टी का गछबंधन था. फिर भी बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा. पर इस बार गेम पलट गया. संदेश ये रहा कि दलितों ने बीजेपी के मुक़ाबले गठबंधन का साथ दिया. इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस रही. मायावती और उनकी पार्टी बहुत कमज़ोर हो गई है. पार्टी का वोट शेयर घट कर 9.4% रह गया है. 

BSP के वोटरों को इंडिया गठबंधन में जाने से रोकना बीजेपी की चुनौती

यूपी में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीएसपी से छिटक रहे वोटरों को इंडिया गठबंधन में जाने से रोकने की है. वैसे तो विधानसभा चुनाव दो साल दूर है. पर ख़तरे की घंटी तो बज गई है. राज्य में करीब 21 प्रतिशत दलित वोटर हैं. दलित समाज भी दो तरह से बँटा हुआ है. एक दो हिंदू रीती-नीति से जुड़ा है. दूसरा तबका बौद्ध धर्म का अनुयायी है. 

बीजेपी का फोकस दलितों में युवाओं पर

बीजेपी का फ़ोकस दलितों में युवा पीढ़ी पर है. ये उनके लिए वोटर भी हो सकते हैं और प्रचारक भी. सामाजिक न्याय संगोष्ठी में आने वाले सभी लोगों का डेटा बेस तैयार किया जा रहा है. व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया है. इन्हें बीजेपी के सोशल मीडिया योद्धा के रूप में तैयार करने की योजना है. 

हर दो महीने में होगी योजना की समीक्षा

बीजेपी नेता नीरज सिंह बताते हैं कि हर दो महीने पर योजना की समीक्षा होगी. मतलब जिन दलित लोगों से मुलाक़ात की गई, वे बीजेपी से जुड़े रहें. इसके लिए प्रयास जारी रहेगा. नीरज कहते हैं दीन दयाल उपाध्याय और बाबा साहेब अंबेडकर के सपनों वाला विचार समाज ही बीजेपी की ताक़त बनेगा.

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