- महाराष्ट्र की हजरत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन ने बरेली हिंसा पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की
- याचिका में पुलिस के लाठीचार्ज, बुलडोजर कार्रवाई और दर्ज मुकदमों को गैरकानूनी बताया गया है
- प्रशासन द्वारा बिना कानूनी प्रक्रिया के दुकानों और मकानों की सीलिंग से रोजगार प्रभावित होने की बात कही गई है
बरेली में 26 सितंबर को हुई हिंसा को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल हुई क्रिमिनल जनहित याचिका. महाराष्ट्र की हजरत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल पीआईएल दाखिल की है. याचिका में बरेली हिंसा के दौरान पुलिस प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज, बुलडोजर कार्रवाई और दर्ज मुकदमों को लेकर इस जनहित याचिका को दायर किया गया है.
याचिका में मांग की गई है कि बरेली पुलिस द्वारा गलत लाठीचार्ज किया गया है इसलिए दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए. बिना कानूनी कार्रवाई पूरी किए बुलडोजर कार्यवाही की जा रही है इसलिए उस पर रोक लगाई जाए. गैर कानूनी तरीके से तोड़फोड़ की गई है उसका नुकसान दिलाया जाए. प्रशासन द्वारा कई दुकानों और मकान को सील किया गया है जिसके कारण रोजगार को हानि पहुंच रही है.
याचिका में कहा गया है कि दुकानों और मकान की की कार्रवाई पर सीलिंग की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए. जो फर्जी FIR दर्ज की गई है उस पर रोक लगाई जाए और निर्दोषी व्यक्तियों पर कार्रवाई न की जाए. इलाहाबाद हाईकोर्ट से याचिका के माध्यम से मांग की गई है कि हाईकोर्ट कोई ऐसा आदेश या निर्देश जारी करें जिसमें प्रतिवादी द्वारा बिना किसी नोटिस या सुनवाई के किए गए ध्वस्तीकरण और मनमाने तरीके से अवैध कार्रवाई की गई है.
हिंसा से जुड़ी इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा गया है कि अब तक हुई कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 300-ए का उल्लंघन करने वाली है. इस पूरी घटना की न्यायिक जांच किसी रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज से कराई जाए. साथ ही इस घटना में दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाए. मांग की गई है कि प्रशासनिक, पुलिस और नगरपालिका अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक आदेश या निर्देश जारी किया जाए जिन्होंने पहले कथित अवैध निर्माणों की अनुमति दी या उनकी अनदेखी की और बाद में बिना वैध प्राधिकार के ध्वस्तीकरण और ज़ब्ती का आदेश दिया या उसे अंजाम दिया.
याचिका में ये भी मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च द्वारा 2001 टीटी एंटनी बनाम केरल राज्य में दिए गए निर्णय के आलोक में बरेली हिंसा की एक ही घटना के संबंध में अलग-अलग पुलिस थानों में दर्ज सभी एफ़आईआर को एक साथ समेकित करने का आदेश हाईकोर्ट दे. संस्था के एडवोकेट मोहम्मद आरिफ और सहर नकवी के माध्यम से ये याचिका दाखिल की गई है.
याचिका में यूपी सरकार, बरेली डीएम, बरेली विकास प्राधिकरण, बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, बरेली के थाना बारादरी, थाना प्रेमनगर, कैंट पुलिस स्टेशन और कोतवाली पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी को प्रतिवादी बनाया गया है.