वेंटिलेटर के इंतजार में टूट गई चार मासूम सांसें: बदायूं अस्पताल 12 घंटे में 4 नवजातों की मौत

उत्तर प्रदेश में बदायूं के जिला महिला अस्पताल के विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में शनिवार को जन्म के समय कथित तौर पर कम वजन होने के कारण चार नवजात शिशुओं की मौत हो गई.

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बदायूं:

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिला महिला अस्पताल के विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (SNCU) में 12 घंटे के भीतर चार नवजात शिशुओं की मौत ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल कर रख दी. इन चारों बच्चों की स्थिति बेहद गंभीर थी और उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता थी, लेकिन अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी. डॉक्टरों ने परिजनों को उच्च चिकित्सा संस्थानों में ले जाने की सलाह दी थी, लेकिन आर्थिक मजबूरी और संसाधनों के अभाव में परिजन बच्चों को रेफर नहीं कर पाए. 

रेनू के जुड़वा बच्चों की मौत

ग्राम समरेर निवासी साढ़े सात माह की गर्भवती रेनू को 5 जून को दातागंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। सामान्य प्रसव के बाद रेनू ने जुड़वा बेटों को जन्म दिया. जन्म के समय बच्चों का वजन 1100 ग्राम और 1300 ग्राम था. चिकित्सकों ने गंभीर हालत देखते हुए एसएनसीयू में भर्ती किया, परंतु वेंटिलेटर की अनुपलब्धता के चलते उन्हें सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. परिजनों के पास संसाधन न होने के कारण वे बच्चों को नहीं ले जा सके और शनिवार सुबह दोनों नवजातों की मौत हो गई. यह रेनू का तीसरा प्रसव था और इससे पूर्व भी उसके दोनों नवजात शिशुओं की मौत हुई थी. 

  • बदायूं जिला महिला अस्पताल में 12 घंटे में चार नवजात शिशुओं की मौत. 
  • वेंटिलेटर की कमी बनी मौतों का बड़ा कारण. 
  • जुड़वा नवजातों सहित सभी बच्चे प्री-मैच्योर डिलीवरी और कम वजन के थे. 
  • अस्पताल में केवल 12 वार्मर बेड, कई बार ओवरलोड की स्थिति.

अन्य दो नवजात भी जिंदगी की जंग हार गए

इसी दौरान कादरचौक निवासी तराना के नवजात ने भी शुक्रवार रात दम तोड़ दिया. तराना ने तीन जून को सामान्य प्रसव किया था लेकिन नवजात को जन्म के बाद से ही सांस लेने में समस्या हो रही थी. वहीं, दातागंज निवासी प्रेमलता के नवजात, जिसका वजन मात्र 780 ग्राम था, की भी शनिवार सुबह मृत्यु हो गई.

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अस्पताल की व्यवस्था पर उठे सवाल

एसएनसीयू प्रभारी डॉ. संदीप वार्ष्णेय ने बताया कि सभी नवजातों का वजन कम था और प्री-मैच्योर डिलीवरी के कारण हालत गंभीर थी. उन्होंने बताया कि सभी को समय रहते रेफर कर दिया गया था लेकिन परिजन उन्हें उच्च केंद्रों तक नहीं ले जा सके. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. इंदूकांत वर्मा ने स्वीकार किया कि अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में कई बार शासन को पत्राचार किया गया, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है. 

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वर्तमान में एसएनसीयू में 12 वार्मर बेड हैं, लेकिन कई बार 15 से 18 नवजातों को एडजस्ट करना पड़ता है. वेंटिलेटर के अभाव के चलते कई बार बच्चों को तत्काल रेफर करना पड़ता है. इस बार भी वेंटिलेटर की कमी इन चार मासूम जिंदगियों को निगल गई. 

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