- अयोध्या में 8 अक्टूबर को दक्षिण भारत के तीन संतों की प्रतिमाओं का अनावरण किया जाएगा.
- कर्नाटक के प्रसिद्ध संत पुरंदर दास, संत त्यागराज और संत श्री अरुणाचल कवि की प्रतिमाएं लगाई जा रही हैं.
- केंद्रीय मंत्री सीतारमण प्रतिमाओं का अनावरण करेंगी. इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी भी मौजूद रहेंगे.
अयोध्या में 8 अक्टूबर 2025 को आध्यात्म की दिशा में एक बड़ा कार्य होने जा रहा है. प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या में दक्षिण भारत के तीन संतों की प्रतिमाओं का अनावरण किया जाएगा. केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण बृहस्पति कुंड में प्रतिमाओं का अनावरण करेंगी. इस दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी वहां मौजूद रहेंगे. जिन तीन संतों की प्रतिमाओं का अनावरण होना है, उनके नाम हैं- संत पुरंदर दास, श्री त्यागराज और श्री अरुणाचल कवि हैं. सभी के मन में ये सवाल जरूर योगा कि ये तीनों संत आखिर हैं, कौन, जिनकी प्रतिमाएं अयोध्या में लगाई गई हैं. इनके बारे में डिटेल में जानें सबकुछ.
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कौन हैं संत पुरंदर दास?
पुरंदर दास कर्नाटक के एक फेम संत थे. उनको कर्नाटक संगीत का जनक माना जाता है. उनका जन्म शिमोगा जिले के अरागा गांव मे एक हीरा व्यापारी के घर में हुआ था. उनका बचपन का नाम श्री निवास नायक था. बाद में वह परंदर दास के नाम से फेमल हुए. बचपन से ही संगीत में उनकी गहरी रुचि थी. बहुत ही कम उम्र में उन्होंने सांसारिक सुख त्याग संत बन गए. संत व्यासतीर्थ ने उनको पुरंदर विट्ठल नाम दिया. छोटी सी उम्र में उन्होंने बहुत सी संगीत रचनाएं कीं. कर्नाटक शास्त्रीय संगीत में उनका योगदान बहुत ही अहम माना जाता है. उन्होंने न सिर्फ कन्नड़ बल्कि संस्कृत में कई गीतों की रचना की. इन गीतों के माध्मम से उन्होंने अपना जीवन आध्यात्म और भगवान कृष्ण की भक्ति के प्रचार- प्रसार में समर्पित कर दिया. संत पुरंदर दास ने करीब 475,000 भक्ति रचनाएं रचीं. हालांकि अब उनकी सिर्फ 1000 कृतियां ही बची हैं.
कौन हैं संत त्यागराज?
संत त्यागराज भी कर्नाटक संगीत के महान संत थे. उनका जन्म 4 मई, 1767 को तमिलनाडु के तिरुवरूर में हुआ था. बचपन से ही संगीत में उनकी खास रुचि थी. वह भगवान राम के बड़े भक्त थे. राम पर उन्होंने सैकड़ों भक्ति गीतों की रचना की, जिनमें फेमस 'पंचरत्न कृतियां' भी शामिल हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान राम की भक्ति और संगीत में में समर्पित कर दिया. संत त्यागराज मानते थे कि संगीत ही भक्ति का सही माध्यम है. कम उम्र में उन्होंने सांसरिक सुखों को त्यागकर सादा जीवन जीना शुरू कर दिया था. माना जाता है कि संत त्यागराज कर्नाटक संगीत की त्रिमूर्ति में शामिल थे, जिसमें श्यामा शास्त्री और मुथुस्वामी दीक्षितर भी शामिल रहे.
कौन हैं संत श्री अरुणाचल कवि?
संत श्री अरुणाचल कवि एक तमिल कवि और फेमस संगीतकार थे. वह भगवान राम के परम भक्त थे. प्रसिद्ध राम नाटकम की रचना उन्होंने ही की थी. कर्नाटक संगीत में उनका योगदान अहम है. अरुणाचल कवि का जन्म तमिलनाडु के तंजावुर जिले के तिल्लैयाडी में सन् 1711 हुआ था और 1779 में उनकी मृत्यु हुई थी. उनका नाम तीन तमिल संगीतकारों में मुथु थंडावर और मारिमुत्तु पिल्लई के साथ लिया जाता है. 12 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया था. जिसके बाद संस्कृत और तमिल की शिक्षा के लिए वह धर्मपुरम अधीनम चले गए थे.लेकिन 18 साल की उम्र में वह मठ छोड़ दिया और 12 सालों तक तमिल की शिक्षा में खुद को लगाए रखा. जौहरी की दुकान के जरिए उन्होंने अपना जीवन यापन किया.