यूपी की राजनीति में जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JP सेंटर) एक नया मुद्दा बनता दिख रहा है.गुरुवार की रात अखिलेश यादव के जेपी सेंटर पहुंचने से वहां हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला था. अखिलेश यादव ने जेपी सेंटर पहुंचकर सूबे की मौजूदा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव जयप्रकाश नारायण की जयंती के मौके पर सेंटर के अंदर लगी प्रतिमा पर माल्यार्पण करना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी. अखिलेश यादव ने इस दौरान जेपी सेंटर का एक वीडियो भी सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट पर साझा किया था. पहले ये खबर आ रही थी कि अखिलेश यादव जेपी सेंटर शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े दस बजे पहुंचेंगे. लेकिन वह गुरुवार रात को भी वहां चले गए.
अखिलेश यादव को जेपी सेंटर पर दोबारा आने से रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से तैयार दिख रही है. जेपी सेंटर की तरफ जाने वाले रास्तों को फिलहाल बेरीकेडिंग करके रोक दिया गया है. जेपी सेंटर को लेकर हो रहे इस हंगामे के बीच सवाल ये उठता है कि आखिर इस सेंटर को बनाने का आइडिया था किसका ? और इतने सालों के बाद भी ये अभी तक बन क्यों नहीं पाया है?
मुलायम सिंह यादव बनवाना चाहते थे जेपी के नाम पर स्मारक
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर लखनऊ में एक स्मारक (सेंटर) बनवाया जाए. इसके लिए सभी तरह की तैयारी पूरी कर ली गई थी लेकिन इससे पहले कि इस सेंटर का काम शुरू हो पाता मुलायम सिंह की सरकार चली गई. सूबे में मायावती की नई सरकार आने की वजह से ये सपना अधूरा रह गया. हालांकि, जब 2012 में प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार आई तो उन्होंने पिता मुलायम सिंह यादव के सपने को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए लखनऊ में लोहिया पार्क के एक हिस्से में इसे बनाने का फैसला किया. ये पार्क लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी का था, इसलिए इस सेंटर को बनाने की जिम्मेदारी भी उसे ही दी गई.
जेपी सेंटर में पांच सितारा होटल भी बनवाना चाहते थे अखिलेश यादव
मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि जयप्रकाश नारायण के नाम पर एक स्मारक बनाया जाए. लेकिन जब उनके बेटे अखिलेश ने जेपी सेंटर को बनाने की जिम्मेदारी उठाई तो उन्होंने इसके अंदर पांच सितारा होटल, स्विमिंग पुल, क्लब, म्यूजिमय, रेस्टोरेंट और स्पोर्ट्स सेंटर भी बनवाने का फैसला किया. इसके लिए उस दौरान बजट रखा गया 178 करोड़ रुपये का. साथ ही ये भी तय किया गया कि 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा. बाद में इसका बजट 178 करोड़ रुपये से बढ़कर 864 करोड़ रुपये का हो गया.
CAG की रिपोर्ट में हुआ था बड़ा खुलासा
जेपी सेंटर को बनाने में किसी तरह का भ्रष्टाचार तो नहीं हुआ, इसे लेकर CAG ने अपनी एक रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में बड़े चौकाने वाले दावे किए गए थे. कहा गया था कि बिना टेंडर के ही कई काम करवाए गए थे. इस सेंटर के लिए सिर्फ़ एसी सिस्टम देखने के लिए एलडीए के कई अधिकारी चीन घूमने चले गए थे.जिनमें दो IAS अफ़सर भी शामिल थे. 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद JPNIC के निर्माण पर रोक लगा दी गई.मामला हाईकोर्ट भी गया पर रोक अभी जारी रही.अखिलेश सरकार ने इसे बनाने का ठेका शालीमार कंपनी को दिया था.जिसके चेयरमैन संजय सेठ अब बीजेपी के राज्य सभा सांसद है.तब वे समाजवादी पार्टी के कोषाध्यक्ष थे.सेठ को अखिलेश का करीबी नेता माना जाता था.वे समाजवादी पार्टी में भी राज्य सभा सांसद थे.