78 साल के बुजुर्ग को 15 दिनों तक रखा डिजिटल अरेस्ट, ठग लिये 3.14 करोड़ रुपये

बुजुर्ग को 3 मार्च 2025 को एक फर्जी सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी भेजा गया, जिसमें कहा गया था कि उनके फंड वैध हैं और 6-7 दिनों में वापस कर दिए जाएंगे. लेकिन, जब पैसे वापस नहीं मिले, तब उन्हें अहसास हुआ कि वे साइबर ठगी के शिकार हो गए हैं.

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डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसे नोएडा के 78 वर्षीय बुजुर्ग
नोएडा:

नोएडा के एक 78 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक को साइबर अपराधियों ने 15 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर 3.14 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बना लिया. इस चौंकाने वाली घटना में ठगों ने खुद को ट्राई (TRAI), पुलिस, सीबीआई (CBI) और सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी बताकर बुजुर्ग को मानसिक दबाव में डाल दिया और उनसे सारी जमा पूंजी ठग ली. जानकारी के मुताबिक, सेक्टर-75 में रहने वाले 78 वर्षीय बुजुर्ग के पास 25 फरवरी 2025 को एक कॉल आई, जिसमें कॉलर ने खुद को TRAI अधिकारी बताया. कॉलर ने एक पुराने मोबाइल नंबर की पुष्टि करनी चाही, जिसे बुजुर्ग भूल चुके थे. कुछ ही देर बाद बताया गया कि मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और निवेश धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायत दर्ज है.

झूठे मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी...

इसके बाद कोलाबा पुलिस स्टेशन के एक कथित अधिकारी विजय खन्ना और एक सीबीआई अधिकारी राहुल गुप्ता ने संपर्क किया. उन्होंने बुजुर्ग को बताया कि उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष ऑनलाइन पेश किया जाएगा. ठगों ने बुजुर्ग को भरोसा दिलाया कि यह मामला नरेश गोयल के मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा है और उनके बैंक खातों को फ्रीज कर दिया जाएगा. जब बुजुर्ग ने बताया कि वे 78 साल के हैं और उनकी पत्नी 71 साल की हैं, तब ठगों ने उन्हें ऑनलाइन जांच में सहयोग करने का दबाव बनाया. उन्होंने बुजुर्ग को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के चलते उन्हें किसी से बात नहीं करनी चाहिए. यहां तक कि कहा गया कि अगर उन्होंने जानकारी साझा की, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

फर्जी सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी भेजा

बुजुर्ग इतने डर गए कि उन्होंने अपनी सारी जीवनभर की कमाई 3.14 करोड़ रुपये "सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट (SSA) में ट्रांसफर कर दी, यह सोचकर कि यह सिर्फ मौद्रिक सत्यापन है और पैसे वापस मिल जाएंगे. बुजुर्ग को 3 मार्च 2025 को एक फर्जी सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी भेजा गया, जिसमें कहा गया था कि उनके फंड वैध हैं और 6-7 दिनों में वापस कर दिए जाएंगे. लेकिन, जब पैसे वापस नहीं मिले, तब उन्हें अहसास हुआ कि वे साइबर ठगी के शिकार हो गए हैं. 

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15 दिनों तक रखा डिजिटल अरेस्‍ट

यह पूरा घटनाक्रम 26 फरवरी से 12 मार्च तक के बीच हुआ. इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डिजिटल अरेस्ट कर के बुजुर्ग दंपति को रखा गया. 15 दिनों तक साइबर ठगो ने केवल खाने और दैनिक कार्यों की ही अनुमति दी. पीड़ित ने राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (NCRP) पर शिकायत दर्ज करवाई है, अब मामले की जांच थाना सेक्टर 36 साइबर क्राइम पुलिस कर रही है.

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(इनपुट - हर्ष पांडे)

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