यह तो तय है कि नौकरी करने वाले सभी लोगों को फाइनेंशियल प्लानिंग जरूर करनी चाहिए. हर व्यक्ति की अपनी वित्तीय स्थिति होती है. उसका अपना रिस्क फैक्टर होता है. पैसा सीमित है सो सुरक्षित निवेश करना सभी की प्राथमिकता होती है. इसलिए जरूरी है कि हर कदम फूंक फूंक कर रखा जाए. यदि संभव हो तो पहले जानकारी ली जाए और अच्छे से समझा जाए फिर निर्णय लिया जाए या फिर किसी जानकार की सलाह ली जाए.
कम रिस्क लेने वाले लोगों को डेट उत्पादों में निवेश
बहुत से लोग आज के जमाने में शेयर बाजार में निवेश करते हैं. सभी का अपना पोर्टफोलियो होता है. बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो शेयर बाजार से दूरी बनाए रखते हैं. यह तो तय है कि शेयर बाजार का निवेश जोखिम से भरा होता है. ऐसे में कई लोग बिना जोखिम के निवेश करना पसंद करते हैं. ऐसे में ज्यादातर जानकार लोगों की सलाह पर ही निवेश की योजना बनानी चाहिए. वित्तीय बाजार के ज्यादातर सलाहकार कम रिस्क लेने वाले लोगों को डेट उत्पादों पर निवेश की सलाह देते हैं. जानकारों का मानना है कि अगर कोई तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर पहला विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का माना जाता है, लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड (Debt Funds) में निवेश कर सकते हैं. बता दें कि डेट फंड में निवेश कम जोखिम वाला होता है और यह बाजार के उतार-चढ़ाव में भी संभल जाता है. यह देखा गया है कि एफडी से ज्यादा रिटर्न डेट म्यूचुअल फंड में निवेश ने दिया है. गौरतलब है कि डेट फंड छोटी अवधि का निवेश माना जाता है.
जानकारी के लिए बता दें कि बैंक में एफडी भी डेट फंड के तहत ही आती है. ऐसे में जो निवेशक ज़रा भी रिस्क लेने के पक्ष में नहीं है उसे इस फंड में निवेश करना चाहिए अन्यथा बाजार से जुड़े डेट फंड एक अच्छा विकल्प है जो एफडी से ज्यादा रिटर्न देता रहा है. एक बार फिर बता दें कि ये बाजार से जुड़ा है, रिस्क है.
ऊपर बताया जा चुका है कि ये काफी सुरक्षित म्यूचुअल फंड हैं क्योंकि ये फिक्स इंकम वाली सीक्युरिटी में निवेश करता है और यह 91 दिनों या फिर 3 महीनों में परिपक्व हो जाता है. इस प्रकार के निवेश में ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर, सरकारी बॉन्ड, सरकारी सीक्युरिटी और डिबेंचर (Treasury bill, commercial paper, Govt bonds, Govt securities and debentures) में पैसा लगाया जाता है.
जरूरी बात यह है कि ये फंड उन लोगों के निवेश का अच्छा विकल्प है जो कम समय में पैसा बढ़ाना चाहते हैं और कुछ सुरक्षित निवेश की आश रखते हैं. साथ ही, फिक्स्ड डिपॉजिट एफडी में निवेश 7 दिनों से लेकर 10 साल तक करते हैं. लेकिन यहां पर भी बैंक अथवा वित्तीय संस्थान ज्यादा समय तक के निवेश पर ही ज्यादा ब्याज देते हैं. शॉर्ट टर्म निवेश यहां पर उचित नहीं होता है. बैंक भी शॉर्ट टर्म निवेश में लगभग सेविंग बैंक खाते के बराबर ही ब्याज देते हैं.
लिक्विड फंड का निवेश बिना लॉक इन पीरड के
लिक्विड फंड्स जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि यह कम समय का निवेश है जो डेट सिक्युरिटी में होता और तीन महीनों तक का निवेश होता है. लिक्विड फंड का निवेश बिना लॉक इन पीरड के आता है. इसलिए इसमें कोई एक्जिट लोड नहीं लगता है. इस फंड में निवेशक जब तक चाहे अपना निवेश रख सकता है क्योंकि फंड मैनेजर समयानुसार अच्छा परफॉर्म कर रहे फंड में निवेश करता है. और आप जब चाहें इसे निकाल सकते हैं. यही कारण है कि इसे लिक्विड फंड कहा जाता है.
केवल 25 फीसदी तक ही किसी एक सेक्टर निवेश
खास बात यह है कि लिक्विड फंड को केवल 25 फीसदी तक ही किसी एक सेक्टर में लगाया जा सकता है. इसके अलावा इन्हें केवल लिस्टेड डेट इंस्ट्रूमेंट (Corporate fixed deposits, Non-Convertible Debentures NCD, Debt mutual funds, Market-linked debentures (MLD) bonds, debentures, leases, certificates, bills of exchange, and promissory notes etc) में ही लगाया जा सकता है. इस मद के तहत राशि का 20 प्रतिशत नेट एसेट के रूप में रखा जाता है. क्योंकि लिक्विड फंड को केवल श़ॉर्ट टर्म सिक्युरिटी में ही निवेश हो सकता है जैसा कि मनी मार्केट सिक्युरिटी और कैश, तो इनमें ज्यादा कैपिटल के नुकसान या फिर तेज बढ़ने की गुंजाइश नहीं होती है क्योंकि यह निवेश फिक्स्ड इंट्रूमेंट में होता है और इन फिक्स्ड इंस्ट्रूमेंट की हाई क्रेडिट रेटिंग होती है.
रखें बाजार पर नजर
एक बात जो ध्यान रखनी चाहिए कि जब बाजार में ब्याज दरें बढ़ रही हों लोन महंगे हो रहे हों तब ऐसे माहौल में यह निवेश अच्छा होता है. बॉन्ड की कीमत और ब्याज दरों में इनवर्स रिलेशन होता है.