सिबिल रिपोर्ट (CIBIL Report) : कोई भी लोन लेना हो, सिबिल स्कोर की बात होती है. ये सिबिल स्कोर क्या होता है. समझने के लिए एक बात समझें. आपसे किसी ने पैसा मांगा है. आपको यदि बड़ी रकम देनी है तब आप यह देखेंगे कि पैसा वापस मिलने में कोई दिक्कत तो नहीं होगी. क्या सामने वाला इतना सक्षम है कि वह पैसा लौटा देगा. उसका ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है. क्या इसने पहले किसी से उधार लिया है. उधार लिया है तो वापस कितने दिनों में दिया. क्या वापस देने में कोई आना-कानी तो नहीं की. यदि किश्तों में पैसा वापस किया है तो क्या किश्त सही समय पर दी गई या नहीं. आप कुछ इन बातों पर ध्यान देंगे. इन्हीं सब बातों से सिबिल का नाता है. बैंक से लोन लेने में सिबिल स्कोर का जिक्र आता है.
बता दें कि क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड (सिबिल) को अब ट्रांसयूनियन सिबिल लिमिटेड नाम से जाना जाता है. यह एक क्रेडिट ब्यूरो है और इसे एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी कहते हैं. ये लोगों के साथ-साथ कंपनियों की क्रेडिट से जुड़ी गतिविधियों के रिकॉर्ड को रखती है. इसमें क्रेडिट कार्ड से लेन-देन और उसका क्लीरेंस और लोन तथा लोन की वापसी की समीक्षा शामिल हैं.
सिबिल (CIBIL) की अपनी वेबसाइट है और इसके अनुसार ब्यूरो क्रेडिट हिस्ट्री और वित्तीय साख की साफ समझ के लिए जानकारी और टूल्स मुहैया कराता है. जहां तक बिजनेस का सवाल है तो ब्यूरो सशक्त सूचना समाधान उपलब्ध कराता है. इससे बेहतर फैसले लेने में मदद मिलती है. ट्रांसयूनियन ने सिबिल में 92.1 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है. बता दें कि ट्रांसयूनियन एक अमेरिकी कंपनी है.
उल्लेखनीय है कि सिबिल स्कोर ग्राहक की क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में बताता है. बता दें कि यह स्कोर तीन अंकों का होता है. अब तक तो यह साफ हो गया होगा कि यह किसी व्यक्ति की ऋण लेने और उसे चुकाने की काबिलियत को मापने का तरीका है. यानि यह क्रेडिट प्रोफाइल है.
सिबिल स्कोर की रेंज 300 से 900 के बीच होती है. किसी व्यक्ति को 300 से 900 के बीच के नंबर दिए जाते हैं. सिबिल स्कोर 900 के जितना करीब होता है, उतना ही अच्छा होता है. यह जितना अच्छा होता है लोन का अप्रूवल उतनी आसानी से और जल्दी हो जाता है.
क्रेडिट वेबसाइट बताती है कि 750 से ज्यादा कोई भी स्कोर अच्छा होता है. बता दें कि सिबिल रिपोर्ट में दी गई क्रेडिट हिस्ट्री का इस्तेमाल करते हुए सिबिल स्कोर बनाया जाता है.
सिबिल रिपोर्ट (CIBIL Report) में उन सभी लोन की पूरी जानकारी होती है जिसे किसी ने लिया है. इनमें होम लोन, ऑटो लोन, क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, ओवरड्राफ्ट सुविधा आदि आते हैं.
सिबिल स्कोर के अलावा सिबिल रिपोर्ट में ये सारी बातें शामिल की जाती हैं -
पर्सनल इनफॉर्मेशन (Personal Information) : इसमें लोन लेने वाले का नाम, जन्मतिथि, लिंग और पैन, पासपोर्ट नंबर, वोटर नंबर जैसी जानकारी शामिल होती है.
कॉन्टैक्ट इनफॉर्मेशन (Contact Information) : इस कैटेगरी में लोन लेने वाले का पता और टेलीफोन नंबर दिया जाता है.
इम्प्लॉयमेंट इनफॉर्मेशन (रोजगार और कमाई की जानकारी) : इस कैटेगरी में बैंक और वित्तीय संस्थानों की ओर से दी गई महीनावार और वार्षिक आय का ब्योरा दिया जाता है.
अकाउंट इनफॉर्मेशन (Account Information): यह सबसे अहम कैटेगरी है. इस कैटेगरी में उन सभी कर्जों का लेखा-जोखा होता है जो किसी व्यक्ति ने लिया है. इस में कर्ज देने वाले बैंक/वित्तीय संस्थान का नाम, लोन का प्रकार (होम, ऑटो, पर्सनल, ओवरड्राफ्ट इत्यादि), अकाउंट नंबर, ओनरशिप डिटेल्स, अंतिम पेमेंट की तारीख, लोन की रकम, करंट बैलेंस और आपके पेमेंट का मासिक रिकॉर्ड शामिल होता है.
इनक्वायरी इनफॉर्मेशन (Inquiry information) : जब भी कोई लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता है, उसका संबंधित बैंक या वित्तीय संस्थान सीआईआर रिपोर्ट हासिल करता है. उसकी क्रेडिट हिस्ट्री को देखकर सिस्टम एक नोट बनाता है. इसी को 'इनक्वायरी' कहा जाता है. इसी रिपोर्ट के आधार पर क्रेडिट कार्ड जारी होता है.
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