ऑप्शन ग्रीक्स क्या हैं, इसका उपयोग कैसे होता है... जानें

ऑप्शंस में कमाने के लिए जरूरी होता है कि इससे जुड़ी कुछ बातों को, कुछ फैक्टरों का अध्ययन किया जाए. इनमें से कुछ फैक्टरों को ऑप्शन ग्रीक कहा जाता है. इन ऑप्शन ग्रीक्स (Option Greeks) को समझना इसलिए अहम हो जाता है

विज्ञापन
Read Time: 28 mins
शेयर बाजार में ऑप्शंस का कारोबार.
नई दिल्ली:

शेयर बाजार में पैसा कमाने का तेजी से बढ़ता हुआ तरीका अब ऑप्शंस माना जाने लगा है. कई लोग इसे फुलटाइम प्रोफेशन बना चुके हैं. लाखों की कमाई की जा रही है. लेकिन इसमें पैसा कमाना आसान नहीं होता है. गलती करने से भारी नुकसान भी होता है. नुकसान से बचने के लिए अच्छा होता है कि पहले से जानकारी हासिल की जाए. समझा जाए और फिर ट्रेड आरंभ किया जाए.

ऑप्शंस में कमाने के लिए जरूरी होता है कि इससे जुड़ी कुछ बातों को, कुछ फैक्टरों का अध्ययन किया जाए. इनमें से कुछ फैक्टरों को ऑप्शन ग्रीक कहा जाता है. इन ऑप्शन ग्रीक्स (Option Greeks) को समझना इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि ये सभी ऑप्शन के प्रीमियम पर असर डालते हैं, मतलब ऑप्शन प्रीमियम का मूल्य ऊपर नीचे करते रहते हैं. और ऐसे में अगर किसी ऑप्शन ग्रीक्स की पूरी जानकारी नहीं होगी तो ऑप्शन ट्रेडिंग में नुकसान होना तय है. ऑप्शन ग्रीक्स में आज बात डेल्टा (Delta), थीटा (Theta), गामा (Gama), वेगा (Vega) की करते हैं. 

ऑप्शन ट्रेडिंग में डेल्टा, गामा, वेगा, थीटा का क्या मतलब होता है और इनका उपयोग कैसे और कहां पर किया जाता है.

Advertisement

आइए जानें...  

ऑप्शन ग्रीक्स क्या होते हैं? 

ऑप्शन ग्रीक्स ऐसे कारक हैं जो ऑप्शन प्रीमियम के मूल्य में बदलाव के लिए जिम्मेदार हैं. यानी ये ऑप्शन प्रीमियम की कीमत को तय करने के फैक्टर हैं. ऐसा मान लें कि डेल्टा थीटा गामा वेगा आदि ऐसे ऑप्शन ग्रीक्स हैं जो यह तय करते हैं कि किस स्ट्राइक प्राइस के ऑप्शन का मूल्य कितना बढ़ेगा या गिरेगा. 

Advertisement

जानकार बताते हैं कि ऑप्शन ग्रीक्स का मतलब होता है वह ताकतें जो ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के प्रीमियम को हर मिनट कम या ज्यादा करती रहती है. ऑप्शन ग्रीक्स में डेल्टा थीटा गामा वेगा और रो प्रमुख हैं. ये सब मिलकर कॉल और पुट ऑप्शन के प्रीमियम को ऊपर-नीचे करते रहते हैं.

Advertisement

डेल्टा ग्रीक यह इशारा करता है कि ऑप्शन प्रीमियम के प्राइस किस दर से ऊपर नीचे होंगे. यानी ऑप्शन के मूल्य में होने वाले बदलाव की दर को डेल्टा दर्शाता है. ग्रीक थीटा यह बताता है कि एक्सपायरी में जितना समय बचा हुआ है उसके आधार पर प्रीमियम की प्राइस में कितना बदलाव होगा. बाजार के जानकारों की राय में थीटा का मतलब होता है ‘Time Value' या ‘Time decay'. माना जाता है कि हर ऑप्शन के अलग-अलग ग्रीक्स होते हैं जिसमें सबसे महत्वूपर्ण ‘थीटा' होता है. गामा सिर्फ डेल्टा में होने वाले बदलाव को बताता है. वेगा मार्केट की वोलैटिलिटी के आधार पर प्रीमियम के मूल्य में बदलाव को बताता है. अब थोड़ा विस्तार में समझ लेते हैं. 

Advertisement

ऑप्शन में ट्रेडिंग करने वाले जानते हैं कि ऑप्शन्स को बाइ किया जाता  है या फिर सेल किया जाता है. कहा जाता है कि थीटा ऑप्शन बायर का तो नुकसान करता है लेकिन ऑप्शन सेलर का फायदा करता है. साफ है कि थीटा ऑप्शन सेलर के पक्ष में होता है.

मतलब यह हुआ कि ऑप्शन सेलर के लिए थीटा पॉजिटिव होता है जबकि ऑप्शन बायर के लिए नुकसानदायक है. लेकिन ऐसा क्यों होता है. क्योंकि जैसे जैसे समय बीतेगा और अगर निफ्टी में कोई मूवमेंट नहीं हुई तो ऑप्शन खरीदने वाले को नुकसान होता रहता है क्योंकि उसके प्रीमियम की कीमत धीरे-धीरे कम होती जाती है.

ऑप्शन ट्रेडिंग में एक आदमी का नुकसान दूसरे का फायदा होता है. मतलब यह है कि जब ऑप्शन बायर को नुकसान होता है तभी ऑप्शन सेलर पैसा कमाता है और इसी तरह इसका उल्टा भी होता है.

एक बात समझ लेनी चाहिए. ऑप्शन ट्रेडिंग में जो कॉल या पुट ऑप्शन कोई खरीदते हैं उसे कोई ऑप्शन सेलर बेचते हैं. इसमें ऑप्शन सेलर को कैसे फायदा होता होगा. समझिए. यदि किसी ने अपने दोस्त को कुछ दिन के लिए पैसे उधार दिए. शर्त रखी कि कुछ दिन बाद जब वह पैसा लौटाएगा तो उसे पैसे पर कुछ ब्याज देना पड़ेगा. ठीक ऐसे ही ऑप्शन सेलर भी ऑप्शन प्रीमियम की कीमत कम करके थीटा के रूप में ब्याज लेते हैं. इसलिए भले ही मार्केट में कोई मूवमेंट ना हो लेकिन जो प्रीमियम जो लिया गया है उस पर एक तरह से ब्याज बढ़ता जाता है जोकि प्रीमियम के मूल्य में होने वाली कमी के रूप में ऑप्शन बायर को देना पड़ता है.

बाजार में कहा जाता है कि जब कोई ऑप्शन खरीदता है तो उसके पक्ष में यानी बाइंग साइड में प्रॉफिट की संभावना 33% होती है और 67% प्रॉफिट की संभावना ऑप्शन सेलर की होती है. खास बात है कि अगर मार्केट कहीं पर भी नहीं गई मतलब एक ही रेंज में फंस कर रह गई यानी बाजार साइडवेज ही चलती रही तब भी ऑप्शन सेलर पैसा कमाता है.

इसलिए यदि थीटा से बचना है जरूरी है. इसके लिए क्या किया जा सकता है. यानी अगर किसी को लगता है कि बाजार ऊपर जाएगी तो ऐसा जरूरी नहीं है कि कॉल ऑप्शन को बाय किया जाए, बल्कि पुट ऑप्शन को सेल भी किया जा सकता है. बता दें कि क्योंकि अगर बाजार ऊपर जाती है तो पुट खरीदने वाले का नुकसान होगा लेकिन अगर पुट सेल किया तो फायदा होगा. यही थीटा का पूरा कॉन्सेप्ट है. 

अब कुछ बात डेल्टा की करते हैं. 

बाजार के जानकारों की राय में डेल्टा बताता है कि किसी अंडरलाइंग एसेट (निफ्टी या बैंक निफ्टी) के मुकाबले उसके प्रीमियम की वैल्यू कितनी गुना बढ़ेगी. डेल्टा की वैल्यू 0 से 1 के बीच होती है जो ATM, ITM और OTM पर अलग अलग होती है. ऑप्शन डेल्टा वैल्यू  ITM (In The Money)    0.5 से 1, ATM (At The Money) 0.5 और OTM (Out The Money)    0 से 0.5 के बीच होती है. 

अब बात ऑप्शन ग्रीक गामा (Gamma) की. डेल्टा में बदलाव की दर को ही गामा कहा जाता है. यानी डेल्टा में कब कितना बदलाव होगा इसे बताने का काम गामा का है. अब बात करते हैं वेगा (Vega) की. कई बार मार्केट में वोलेटिलिटी बहुत ज्यादा होती है उस समय ऑप्शन प्रीमियम के प्राइस घटने की बजाए बढ़ते रहते हैं. मार्केट में वोलैटिलिटी बहुत ज्यादा होती है तो प्रीमियम बढ़ जाता है. बाजार की इसी वोलैटिलिटी के कारण प्रीमियम की कीमतों में होने वाले बदलाव को ही वेगा (Vega) कहा जाता है.

वोलैटिलिटी के लिए कहा जाता है कि यह हमेशा बायर के पक्ष में काम करती है, मतलब जब बाजार में बहुत ज्यादा अनसर्टेंनिटी होती है बाजार काफी वोलेटाइल होता है. ऐसे में बायर्स का फायदा होता है. इस समय सेलर्स के बजाय बायर्स को मुनाफा होता है.

बाजार में ऑप्शन का काम करने वाले को यह पता होना चाहिए कि ATM ITM या OTM पर जो कॉल या पुट ऑप्शन खरीदी गई है और उसके लिए जो प्रीमियम दी गई है उस प्रीमियम की दो वैल्यू होती हैं, एक टाइम वैल्यू और दूसरी इंट्रिनसिक वैल्यू. यदि किसी प्रीमियम 100 रुपये पर खरीदा है तो यह उस प्रीमियम की टाइम वैल्यू है क्योंकि प्रीमियम की इंट्रिनसिक वैल्यू तो जीरो होती है. तात्पर्य यह है कि उसकी अपनी कोई रियल वैल्यू नहीं होती है. आगे जल्द ही इसे पूरे मामले को विस्तार से चर्चा करेंगे.

Featured Video Of The Day
Chhattisgarh Naxal Encounter: Sukma में जवानों से मुठभेड़ में 10 नक्सलियों के मारे जाने की खबर
Topics mentioned in this article