सितंबर में प्याज, टमाटर की कीमतें आसमान छू रही, आखिर क्या है इसकी वजह? क्या अभी और बढ़ेंगे भाव?

Vegetables Price Check: उपभोक्ता मामलों के विभाग से मिले डेटा के मुताबिक टमाटर के दाम (Tomato Rates) एक साल पहले की तुलना में करीब 14% बढ़े हैं. वहीं प्याज की कीमतें सितंबर में अब तक 11% बढ़कर 50 रुपये/ किलो के पार पहुंच गईं हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Food Prices: सितंबर में अबतक प्याज और आलू की कीमतें एक साल पहले के मुकाबले करीब 50% बढ़ चुकी हैं.
नई दिल्ली:

सितंबर महीने में प्याज और टमाटर जैसी आवश्यक सब्जियों की कीमतों में अचानक वृद्धि ने आम जनता की जेब पर भारी बोझ डाल दिया. सितंबर में अबतक प्याज और आलू की कीमतें एक साल पहले के मुकाबले करीब 50% बढ़ चुकी हैं. अगर आपको लग रहा है कि टमाटर और प्याज के दाम हर हफ्ते बढ़ कैसे रहे हैं, तो इसके पीछे एक ठोस वजह है. आखिर क्यों इन सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं और इसके क्या कारण हैं. चलिए जान लेते हैं.

दरअसल, देश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के चलते से फसल को नुकसान हुआ है.

उपभोक्ता मामलों के विभाग से मिले डेटा के मुताबिक टमाटर के दाम एक साल पहले की तुलना में करीब 14% बढ़े हैं. वहीं प्याज की कीमतें सितंबर में अब तक 11% बढ़कर 50 रुपये/ किलो के पार पहुंच गईं हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

एलारा सिक्योरिटीज इंडिया प्राइवेट में इकोनॉमिस्ट गरिमा कपूर ने कहा कि हमने सितंबर में मुख्य तौर पर प्याज और टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी देखी है. प्याज पर एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाने के बाद कीमतें बढ़ीं, जिससे सरकार के लिए प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड से बिक्री करना जरूरी हो गया है.

टमाटर (Tomato Rates) की बात करें, तो टमाटर की उपज वाले मुख्य राज्यों जैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में जरूरत से ज्यादा बारिश हुई है. इससे खेती पर असर पड़ा है और फसलों को नुकसान पहुंचा है.

एम के इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज में मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि खाने की चीजों की कीमतें खासतौर पर सब्जियों की बढ़ीं हैं. दरअसल भारी बारिश और बाढ़ की वजह से सप्लाई में रुकावटें आ रही हैं.

आगे भी बढ़ सकते हैं दाम

अरोड़ा ने कहा कि इंपोर्टेड खाद्य तेल पर ज्यादा कस्टम्स ड्यूटी का असर अब रिटेल कीमतों में भी देखने को मिल रहा है. उन्होंने सतर्क किया कि ये महंगाई के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि RBI ने हाल ही में सितंबर के दौरान अगस्त के मुकाबले सब्जियों की कीमतों में गिरावट की जानकारी दी है. उन्होंने आगे कहा कि कुल बुआई के लगभग पूरे हो जाने के साथ अब कटाई के सीजन की ओर फोकस होगा. सामान्य से ज्यादा बारिश से फसल को नुकसान पहुंचने की उम्मीद है और इससे खाद्य महंगाई बढ़ने का भी जोखिम है.

18 सितंबर तक बारिश सीजन के लिए लंबी अवधि के औसत से 7% ज्यादा रही है. जबकि साप्ताहिक बारिश लंबी अवधि के औसत से 7% कम रही. उत्तर-पश्चिमी और मध्य भारत में सीजन में जरूरत से ज्यादा बारिश देखने को मिली है.

मौजूदा समय में बुआई वाला कुल क्षेत्र बढ़कर 1,096.7 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है. कृषि मंत्रालय की ओर से दिए गए अपडेट के मुताबिक ये एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 2% ज्यादा है. इसके पीछे ज्यादातर बड़ी खाद्य फसलों की ज्यादा बुआई वजह है. इन फसलों में चावल, दाल, मोटे अनाज और तिलहन शामिल हैं.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Madhya Pradesh: Digital Arrest के जाल में फंसे BJP नेता, खुद बताया कैसे हुए शिकार