पूंजी बाजार नियामक सेबी ने वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के लिए निवेशकों को प्रत्यक्ष प्लान की पेशकश करने का प्रस्ताव रखने के साथ ही ऐसे कोषों में गलत बिक्री रोकने के लिए वितरण कमीशन का एक मॉडल भी सुझाया है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एआईएफ की यूनिट को इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में बदलने की प्रक्रिया के बारे में भी सुझाव दिए हैं. इसके मुताबिक, एआईएफ की 500 करोड़ रुपये से अधिक आकार वाली सभी योजनाओं को एक अप्रैल, 2024 तक अपने यूनिट अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप (डीमैट) में लाना होगा.
इसके अलावा सेबी ने एक वैकल्पिक निवेश कोष के प्रबंधक की प्रमुख निवेश टीम के लिए योग्यता शर्तों की समीक्षा का भी सुझाव दिया है. इसमें योग्यता के मानक भी सुझाए गए हैं.
सेबी ने इस संबंध में जारी पांच परामर्श पत्रों पर 18 फरवरी तक सुझाव आमंत्रित किए हैं. इन परामर्श पत्रों का मकसद निवेश कोषों को निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाना है.
नियामक ने अपने परामर्श पत्र में कहा है कि एआईएफ यूनिट जारी कर किसी भी निवेशक से कोष जुटा सकते हैं. हालांकि, यह यूनिट पूर्ण या आंशिक रूप से चुकता हो सकती है और वह योजना में निवेशकों के लाभपरक हितों को दर्शाएगी.
इसके मुताबिक, एआईएफ निवेशकों को प्रत्यक्ष प्लान का विकल्प भी दे सकते हैं. इस तरह के प्लान में निवेशक पर किसी भी तरह का वितरण या आवंटन शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए.