महंगाई की रफ़्तार से मैच नहीं कर पा रहा है फ़्रेशरों का सैलरी इन्क्रीमेंट...

Foundit की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में शुरुआती वेतन, या कहें एन्ट्री-लेवल के वेतन में काफ़ी उछाल आया है... Foundit के CEO शेखर गरीसा ने कहा, "पिछले तीन सालों में नए लोगों, यानी फ़्रेशरों के लिए औसत न्यूनतम और औसत अधिकतम वेतन - दोनों में लगातार वृद्धि हुई है..."

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नई दिल्ली:

नई-नई नौकरियां करने वाले युवा पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा कमाने लगे हैं, लेकिन उनके खर्च भी पहले की तुलना में बेहद बढ़ गए हैं.

आजकल ऐसे हालात बेहद सामान्य हैं - कैलेण्डर पर मकान किराया चुकाने की तारीख पर लगाया लाल निशान नज़दीक आता जा रहा है... घर के रोज़मर्रा के सामान की लिस्ट देखकर बटुए का खालीपन याद आने लगता है... भले ही सिर्फ़ दफ़्तर आना-जाना होता है, लेकिन पेट्रोल की बिल उम्मीद से ज़्यादा हो चुका है... और घर के किराये की रकम बार-बार याद आते ही महसूस होता है, जैसे हर महीने नया मकान खरीदने निकलना पड़ रहा हो...

इसके अलावा, महीनेभर तक छोटी-मोटी चीज़ों और बिजली-पानी, मेन्टेनैन्स के बिलों के ढेरों UPI भुगतान करने के बाद बैंक खाते में बैलेन्स चेक करने की हिम्मत जवाब दे जाती है... और महीने की शुरुआत में जो वेतन पर्याप्त लग रहा था, महीने का अंत आते-आते उसमें लगे शून्य बेहद कम लगने लगते हैं...

शुरुआती वेतन में आया है उछाल...

Foundit की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में शुरुआती वेतन, या कहें एन्ट्री-लेवल के वेतन में काफ़ी उछाल आया है...

इसके अलावा, Brijj में बिज़नेस इंटेलिजेंस की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट चित्रा सुम्ब्रुई का भी कहना है, "21-30 आयुवर्ग में काम करने वालों के वेतन में 25-33 फ़ीसदी का शानदार उछाल आया है..." यह उछाल कई शहरों, सेक्टरों और प्रवेश-स्तर की कई व्हाइट-कॉलर नौकरियों में आया है.

Foundit के CEO शेखर गरीसा ने कहा, "पिछले तीन सालों में नए लोगों, यानी फ़्रेशरों के लिए औसत न्यूनतम और औसत अधिकतम वेतन - दोनों में लगातार वृद्धि हुई है..."

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गरीसा के मुताबिक, वेतन और तरक्की में यह समग्र बढ़त संभवतः टेक्नोलॉजी, डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स जैसे हाई-ग्रोथ सेक्टरों की वजह से हुई है.

कॉस्ट ऑफ़ लिविंग

देशभर के शहरों, विशेष रूप से मेट्रो शहरों में जीवनयापन की लागत, यानी कॉस्ट ऑफ़ लिविंग में तेज़ बढ़ोतरी देखी गई है. इसके चलते, अलग-अलग सेक्टरों में फ़्रेशरों पर अलग-अलग असर पड़ा हो सकता है.

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इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की कार्यकारी निदेशक सुचिता दत्ता ने कहा, "आधार स्तर के वेतन में वृद्धि हुई है, लेकिन मुद्रास्फीति समायोजन केवल कुछ उद्योगों तक ही सीमित है..."

मोटे तौर पर, लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति आय में हुई इस वृद्धि से कवर नहीं हो पाती.

वर्ष 2024 में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और चेन्नई जैसे मेट्रो शहरों में शुरुआती मकान किराया भी ₹15,000 से ₹20,000 प्रतिमाह हो गया है.

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आमतौर पर वेतन का एक हिस्सा मकान किराये में ही खर्च हो जाता है, लेकिन कई शहरों में तनख्वाह में मिले वाला HRA उस वास्तविक किराये से कम होता है, जो चुकाया जा रहा है. सुम्ब्रुई के मुताबिक, चेन्नई जैसे शहरों में भत्ते और किराये के बीच का अंतर 12 फ़ीसदी बढ़ गया है.

मकान का किराया उन कई मासिक खर्चों में से एक है, जिनका भुगतान अनिवार्य रूप से करना ही होता है. इसके अलावा, पानी, बिजली, परिवहन और अन्य बहुत-से खर्च होते हैं, जिनका इंतज़ाम करना ही पड़ता है.

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भोजन और ईंधन को समाहित रखने वाला उपभोक्ता मूल्य सूचकांक अक्टूबर, 2019 में 147.2 से बढ़कर मई, 2024 में 187.6 हो चुका है. खर्चों में तेज़ी से बढ़ोतरी होती जा रही है, और मेट्रो शहरों में घरेलू खर्च कम से कम ₹3,000 से ₹10,000 होने का अनुमान है.

इसका समाधान क्या है...?

जितना जल्दी हो सके, एक सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान से शुरुआत करें. निवेश कितना करना है, उससे ज़्यादा अहम है कि आप SIP के ज़रिये लगातार निवेश करते रहें.

यह कैसे काम करता है, यह दिखाने के लिए यहां एक उदाहरण दिया गया है...

एक फ़्रेशर का केस लीजिए, जिसने 2019 में 4.5 लाख रुपये प्रतिवर्ष वेतन पर नौकरी शुरू की थी. फ़्रेशर ने उसी साल निफ्टी-50 इंडेक्स फ़ंड में ₹7500 का एक SIP भी शुरू किया था, जो उसके वेतन का 20 फ़ीसदी था.

इस फ़्रेशर ने पांच साल में ₹4,50,000 का निवेश किया, और वर्ष 2024 तक ₹7,60,000 का रिटर्न हासिल किया होगा. वैसे, अगर यह फ़्रेशर अपने वेतन में बढ़ोतरी के साथ-साथ निवेश भी बढ़ा पाया होता, तो उसका रिटर्न भी उसी हिसाब से बढ़ा होता.

जिस SIP में फ़्रेशर ने निवेश किया, उसमें सिर्फ़ 10 फ़ीसदी का स्टेपअप भी वर्ष 2024 तक रिटर्न को ₹9,35,000 तक ले आया होता.

सचमुच, शुरुआती निवेश छोटा-सा होने से भी ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता, क्योंकि वक्त के साथ-साथ यह बढ़ता ही जाता है.

तुरंत निवेश शुरू करना ही है सफलता की कुंजी

निवेश से हो सकने वाली आय के संदर्भ में तीन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए - समय, रकम और रिटर्न...

इनमें से रिटर्न निवेशक के नियंत्रण में नहीं होता, लेकिन समय और रकम पर निवेशक का ही पूरा नियंत्रण रहता है.

रिटर्न का परिवर्तन निवेशक के नियंत्रण से परे है। दूसरी ओर, समय और राशि को निवेशक द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।

जर्मिनेट इन्वेस्टमेंट सर्विसेज़ के संस्थापक संतोष जोसेफ़ ने कहा, "जल्दी शुरुआत करें, तो आप समय और राशि को अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं..."

निवेश की रकम के बारे में सोच-सोचकर तुरंत निवेश करने से नहीं रुकना चाहिए... यकीन करें, आप उस शख्स से बेहतर हालत में होंगे, जिसने बड़ी रकम निवेश करने के लिए इंतज़ार किया, या जोखिम के डर से निवेश किया ही नहीं.

जोसेफ के मुताबिक, जल्द से जल्द निवेश की शुरुआत करने के बाद अनुशासित तरीके से निवेश करने, और सोच-समझकर निवेश बढ़ाते रहने से शानदार रिटर्न हासिल किए जा सकते हैं...

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