महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने एक बार क्रिकेट के मैदान से बाहर भी एक ऐसा 'मास्टरस्ट्रोक' खेला था, जिसने उन्हें इनकम टैक्स में भारी बचत दिलाई. उन्होंने टैक्स नियमों की एक छोटी सी बारीकी का फायदा उठाकर अपनी कमाई पर लगने वाले टैक्स में लगभग ₹58 लाख की बचत की थी.
मामला क्या था?
बांगर के अनुसार, "यह बात फाइनेंशिल ईयर 2002-03 की है. उस दौरान सचिन तेंदुलकर ने पेप्सी, वीजा और ईएसपीएन जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के विज्ञापन से ₹5.92 करोड़ की विदेशी इनकम हासिल की थी. सचिन ने अपनी विज्ञापन की इस कमाई को एक अभिनेता के रूप में हुई आय बताया, न कि एक क्रिकेटर के रूप में. इसके बाद उन्होंने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80RR के तहत 30% की कटौती का दावा किया."
टैक्स में छूट का दावा
बांगर ने बताया कि, "इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 80RR के अनुसार लेखकों, नाटककारों, कलाकारों (जिसमें अभिनेता, संगीतकार और खिलाड़ी भी शामिल हैं) को विदेशी कमाई पर एक निश्चित प्रतिशत की कटौती मिलती है. इस 'अभिनय' वाली इनकम पर उन्होंने धारा 80RR का इस्तेमाल करते हुए 30% की कटौती (लगभग ₹1.77 करोड़) का दावा किया."
टैक्स विभाग ने जताई आपत्ति
बांगर ने जानकारी दी कि, "टैक्स ऑफिसर ने इस क्लेम को खारिज कर दिया. अधिकारी के अनुसार सचिन तेंदुलकर का मुख्य पेशा क्रिकेटर का है. विज्ञापन करना तो इस पेशे से अलग हिस्सा है. इसलिए, उन्हें 80RR जैसी कटौती का लाभ नहीं मिलना चाहिए."
ट्रिब्यूनल पहुंचा मामला
जब यह मामला इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल (ITAT) तक पहुंचा तो ट्रिब्यूनल ने सचिन के पक्ष में फैसला सुनाया. दरअसल ITAT ने माना कि ऐसा कोई भी काम जिसमें क्रिएटिविटी और स्किल का इस्तेमाल होता है, वह अभिनय या कलाकार की श्रेणी में आता है. इसमें मॉडलिंग और टीवी विज्ञापन में काम करना भी शामिल है.
ट्रिब्यूनल ने यह भी माना कि सचिन तेंदुलकर एक साथ दो पेशे अपना सकते हैं—एक क्रिकेटर और दूसरा अभिनेता. क्योंकि विज्ञापन से हुई आय उनके अभिनय के पेशे से जुड़ी थी, इसलिए उन्हें धारा 80RR के तहत पूरी कटौती का फायदा दिया गया.














