Retirement planning: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme) लागू कर दी गई है. UPS के तहत कर्मचारियों को एक फिक्स पेंशन दी जाएगी. यानी ये पेंशन स्कीम खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी, जो रिटायरमेंट के बाद एक फिक्स्ड इनकम चाहते हैं.
NPS (National Pension System) के तहत रजिस्टर्ड केंद्रीय कर्मचारियों के पास अब विकल्प होगा कि वो NPS या UPS में से किसी एक विकल्प को चुन सकें. नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) 2004 में लागू किया गया था. बता दें कि NPS स्कीम के लागू होने के बाद बड़े पैमाने पर इस पेंशन स्कीम का विरोध किया गया था. जिसकी मुख्य वजह थी इस स्कीम का शेयर मार्केट से लिंक होना. साल 2009 में सरकार ने इस स्कीम को प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी ओपन कर दिया था. अब इस स्कीम के तहत आने वाले केंद्रीय कर्मचारियों के पास UPS में स्विच करने का ऑप्शन होगा.
इसका मतलब अब केंद्रीय कमचारियों को NPS या UPS में से किसी एक ऑप्शन को सेलेक्ट करना होगा. रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए कौन सा ऑप्शन ज्यादा बेहतर है ये समझने के लिए पहेल दोनों के बीच के खास अंतर को जान लेते हैं.
UPS और NPS में अंतर
UPS का फायदा ये हैं कि इसके तहत केंद्रीय कर्मचारियों को फिक्स्ड पेंशन मिलेगी, जो उनकी रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों की एवरेज बेसिक सैलरी का 50 फीसदी यानी सैलरी की आधी होगी. वहीं, NPS में पेंशन की रकम मार्केट से मिलने वाले रिटर्न पर निर्भर करती है.
UPS और NPS दोनों में सरकारी कर्मचारियों को सैलरी का 10% कॉन्ट्रीब्यूशन देना होगा. लेकिन NPS में गवर्नमेंट का कॉन्ट्रीब्यूशन 14% होता है, जबकि UPS में ये 18.5 फीसदी होगा.
UPS के तहत 25 साल की सर्विस पूरी करने के बाद कर्मचारियों को आखिरी सैलरी का कम से कम 50 फीसदी फिक्स पेंशन और एकमुश्त रकम मिलेगी. इतना ही नहीं पेंशन में महंगाई दर के हिसाब से इजाफा भी किया जाएगा. जबकि NPS में ये दोनों फायदे नहीं हैं.
NPS में मिलने वाले फायदे (NPS Benefits)
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में भी काफी फायदे मिलते हैं, जैसे कई सारे टैक्स बेनिफिट. स्टॉक, सरकारी बॉन्ड और कॉर्पोरेट डेट जैसे डायवर्स एसेट में इन्वेस्ट करके, NPS सब्सक्राइबर्स को रिटायरमेंट के लिए एक बड़ा फंड जुटाने में मदद कर सकता है. हां ये जरूर है कि NPS रिटायरमेंट के बाद पहले से निर्धारित फिक्स्ड पेंशन अमाउंट का कोई आश्वासन नहीं देता, क्योंकि यह एक इन्वेस्टमेंट कम पेंशन प्लान है, जिसमें आपके कॉन्ट्रीब्यूशन को मार्केट लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट किया जाता है.
NPS को कर्मचारियों के बीच रिटायरमेंट सेविंग को बढ़ावा देने के लिए पेश किया गया था. इसलिए इस स्कीम में भागीदारी बढ़ाने के लिए, NPS कॉन्ट्रीब्यूशन पर कई सारे टैक्स बेनिफिट मिलते हैं :
- NPS में निवेश करने पर सेक्शन 80C के तहत कटौती का फायदा मिलता है, जिसकी लिमिट 1.5 लाख रुपए है.
- NPS में निवेश करने पर आपको सेक्शन 80CCD (1B) के तहत भी टैक्स छूट मिलती है. यानी 80C के तहत मिलने वाले फायदे के अलावा भी इस सेक्शन के तहत 50 हजार रुपए का डिडक्शन मिलता है. इस तरह आपको कुल मिलाकर 2 लाख रुपए का टैक्स बेनिफिट मिलता है.
- सेक्शन 80CCD(2) के तहत भी NPS इन्वेस्टमेंट पर टैक्स बेनिफिट मिलता है. इस सेक्शन के तहत अगर कोई एंप्लॉयर अपने एंप्लॉयी के NPS अकाउंट में कॉन्ट्रीब्यूट करता है तो एंप्लॉयी को टैक्स में छूट मिलती है. सेक्शन 80C के अलावा भी आपको इस सेक्शन का फायदा मिलता है.
- NPS से विड्रॉल पर छूट- जब कोई टैक्सपेयर अपना NPS अकाउंट बंद करता है या NPS स्कीम से बाहर निकलता है, तो NPS ट्रस्ट से रिसीव हुए टोटल अमाउंट में से 60% तक का हिस्सा टैक्स फ्री होता है और बाकी 40% टेक्सेबल होता है.
NPS और UPS में से कौन है बेहतर?
NPS और UPS जैसे रिटायरमेंट प्लान में से कौन सा बेहतर है, इसका चुनाव करना काफी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि दोनों के अलग-अलग फायदे और फीचर्स हैं. NPS और UPS की तुलना करते समय, किसी को इन पर लगने वाले टैक्स का भी ध्यान रखना चाहिए.
मैच्योरिटी पर NPS पर टैक्स: रिटायरमेंट पर, जमा कॉर्पस का 60% निकाला जा सकता है और यह अमाउंट टैक्स फ्री होता है. बाकी 40% का इस्तेमाल एन्युटी परचेज करने के लिए किया जाता, और इस एन्युटी से होने वाली इनकम व्यक्ति के इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्सेबल है.
UPS मैच्योरिटी पर टैक्स: UPS एक गारंटीड पेंशन प्रोवाइड करती है, जिस पर इंडिविजुअल के टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगाया जाना शामिल है. इस स्कीम में रिटायरमेंट पर एकमुश्त रकम मिलना भी शामिल है, लेकिन इस पर किस तरह से टैक्स लगाया जाएगा वो अभी क्लियर नहीं है.
UPS के दो फीचर केंद्रीय कर्मचारियों को काफी लुभा सकते हैं और वो NPS से इस पेंशन स्कीम में स्विच कर सकते हैं. एक है फिक्स्ड इनकम क्योंकि रिटायरमेंट के दौरान लोग एक फिक्स्ड इनकम चाहते हैं इस स्कीम की दूसरी सबसे बड़ी खासियत है महंगाई के हिसाब से समय के साथ पेंशन भी बढ़ेगी जबकि यह सुविधा NPS पेंशन में नहीं है.
पेंशन के साथ महंगाई भत्ता (Dearness allowance) भी बहुत जरूरी होता है. अगर यह नहीं होगा तो महंगाई तो साल दर साल बढ़ती रहेगी लेकिन पेंशन उतनी ही रहेगी. इन फायदों को देखते हुए तो यही लगता है कि काफी केंद्रीय कर्मचारी UPS का विकल्प चुन सकते हैं.