सरकार ने बजट 2025 में मिडिल क्लास को टैक्स से जुड़े कई तोहफे दिए. जिसके बाद अब RBI ने भी एक गुड न्यूज दी है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 7 फरवरी 2025 को हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती करने का ऐलान किया. यह कटौती लगभग 5 साल बाद की गई है, जिससे होम लोन लेने वालों (Home Loan Borrowers) को राहत मिलेगी. इससे पहले मई 2020 में आखिरी बार रेपो रेट में कटौती हुई थी. इस फैसले के बाद अब बैंकों के होम लोन की ब्याज दरें घटाने की संभावना बढ़ गई है.
क्या होता है (Repo Rate) और EMI पर इसका असर?
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है, जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है. जब रेपो रेट घटता है, तो बैंकों के लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है, जिससे वे अपने ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं. इससे नए और मौजूदा लोन लेने वालों को फायदा होता है, क्योंकि उनकी EMI कम हो सकती है या लोन का टेन्योर घट सकता है.
EMI में कैसे मिलेगी राहत?
रेपो रेट कटौती के बाद होम लोन ग्राहकों के पास दो विकल्प होते हैं:
- EMI कम करें – अगर EMI कम करते हैं, तो मासिक बजट पर बोझ हल्का होगा.
- टेन्योर घटाएं (EMI वही रखें)- इससे लोन जल्दी खत्म होगा और कुल ब्याज की बचत होगी.
कितना होगा फायदा?
अगर आपने 50 लाख रुपये का होम लोन 1 साल पहले 9% ब्याज दर पर 20 साल (240 महीने) के लिए लिया था, तो आपको ब्याज में 58 रुपये लाख तक चुकाने होते.अब अगर RBI ने रेपो रेट 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) घटा दिया, तो अगर आपका बैंक भी ब्याज दर घटाता है, तो आपकी नई ब्याज दर 8.75% हो जाएगी.
कुल ब्याज में होगी 4.4 लाख रुपये की बचत
अगर ब्याज दर घटकर 8.75% हो गई है और आप EMI वही रखें, तो लोन 230 महीनों (19 साल 2 महीने) में खत्म हो जाएगा. यानी आपको 10 EMI कम चुकानी होंगी और इससे आपको ₹4.4 लाख की ब्याज बचत होगी.
क्या करें मौजूदा Home Loan Borrowers?
ब्याज दर कटौती का पूरा लाभ उठाने के लिए EMI को पहले जैसा रखें. इससे लोन जल्दी खत्म होगा और ब्याज कम देना होगा. फ्लोटिंग रेट लोन वालों को सीधा फायदा होगा, क्योंकि उनकी ब्याज दर घटेगी. फिक्स्ड रेट लोन वालों को इस कटौती से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि उनकी ब्याज दर पहले से तय होती है.
RBI के इस फैसले से होम लोन ग्राहकों को राहत मिलेगी. EMI कम होगी या लोन जल्दी खत्म करने का मौका मिलेगा. अगर आप होम लोन चुका रहे हैं, तो EMI को पहले जैसा रखकर टेन्योर कम करने का विकल्प चुनना ज्यादा फायदेमंद रहेगा.
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