व‍ेटिंग टिकट पर सफर करने पर रेलवे सख्‍त, RAC टिकट भी हो सकता है व‍ेटिंग में कनवर्ट

अब आपका RAC टिकट भी वेटिंग टिकट बन सकता है. भारतीय रेल ने खुद यह जानकारी दी है कि उन्हें त्योहार के मौके पर ऐसा सख्त फैसला क्यों लेना पड़ा.

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नई दिल्ली:

RAC Ticket: त्योहारी सीजन में अधिकांश लोग अपने जॉब की जगह से अपने घर जाने की तैयारी करते हैं. खासतौर से छठ के मौके पर ट्रेनों से जाने वालों की संख्या बहुत बढ़ जाती है. नतीजा होता है कि ट्रेन में सीट और रिजर्वेशन के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे हालात में जिनका टिकट आरएसी में होता है वो भी कम से कम इस बात पर राहत की सांस लेते हैं कि आधी सीट तो मिल ही जाएगी, लेकिन अब इस आधी सीट पर भी संकट मंडरा रहा है. क्योंकि अब आपका आरएसी टिकट भी वेटिंग टिकट बन सकता है. भारतीय रेल ने खुद ये जानकारी दी है कि उन्हें त्योहार के मौके पर ऐसा सख्त फैसला क्यों लेना पड़ा.

करोड़ों लोग कर रहे हैं सफर

त्योहार के इस सीजन में रेलवे पर बोझ काफी बढ़ जाता है. एक मोटे अनुमान के मुताबिक रोजाना करीब 2.3 करोड़ लोग ट्रेन से सफर करते हैं. इस सीजन में यह आंकड़ा और भी ज्यादा बढ़ जाता है. जिनकी छुट्टियां समय रहते कंफर्म हो जाती हैं वो लोग करीब साठ-साठ दिन पहले से रिजर्वेशन करवा लेते हैं. रिजर्व टिकट के अलावा आरएसी टिकट भी दिया जाता है. जिसका अर्थ होता है रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन. जिसका आशय है कि अगर कोई अपना कंफर्म टिकट कैंसिल करवाता है तो आपको रिजर्वेशन मिलेगा. अन्यथा आपका टिकट वेटिंग का कहलाएगा. अगर आरएसी ही रहा तो आप को एक निश्चित सीट आधी उपलब्ध होगी. अगर वेटिंग टिकट हुआ तो उस पर यात्रा नहीं की जा सकती है.

आरएसी के वेटिंग में कन्वर्ट होने की वजह

अक्सर आरएसी टिकट या तो कंफर्म हो जाते हैं या आरएसी में ही यात्रा संभव होती है. लेकिन फेस्टिव सीजन में आरएसी का कंफर्म होना डाउटफुल ही होता है. जिसकी वजह से आरएसी का टिकट वेटिंग टिकट में बदल जाता है. कई बार ऐसी परिस्थिति भी बनती है कि सफर शुरू होने से पहले ही ट्रेन का कोई डिब्बा ऐन वक्त पर अनफिट पाया जाता है. ऐसे हालात में सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए उस डिब्बे को हटा दिया जाता है. अगर उसकी जगह अन्य डिब्बा उपलब्ध नहीं होता तो फिर सीटें कम पड़ जाती हैं.  

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इस तरह प्रभावित होती है आरएसी

मान लीजिए कि कोई डिब्बा अनफिट होने पर नया डिब्बा नहीं मिला तो सारे आरएसी के टिकट पर इसका असर पड़ सकता है. अगर आईसीएफ कोच मिल जाता है तो एक ही संबंधित कोच के टिकट आरएसी में जाते हैं. बता दें कि आईसीएफ में स्लीपर क्लास की 72 और थर्ड एसी की 64 सीटें होती हैं. एलएचबी डिब्बे में स्लीपर की 80 और थर्ड एसी की करीब 72 सीटें उपलब्ध होती हैं. कोच उपलब्ध होने पर सिर्फ अनफिट कोच के यात्रियों पर ही उस का असर पड़ता है. उत्सवी सीजन में रेलवे कई अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था भी करता है. वर्तमान में करीब साढ़े सात हजार एक्स्ट्रा ट्रेन चल रही हैं. जितने अतिरिक्त डिब्बे हैं, उन में से अधिकांश का उपयोग इन्हीं ट्रेनों में हो रहा है.

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क्या होता आरएसी और इनकी संख्या

आरएसी का फुल फॉर्म होता है रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन. ट्रेन का कोई यात्री अगर अपना टिकट कैंसिल करवाता है तो उसकी जगह आरएसी वाले का टिकट कंफर्म कर दिया जाता है. एक कोच में एक दर्जन तक सीटें आरएसी वालों के लिए हो सकती है. ये संख्या कोच की साइज पर भी निर्भर करती है.

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