Salary and PF Calculation: देश में हाल ही में लागू हुए नए श्रम कानून (New Labour Laws) करोड़ों नौकरीपेशा लोगों के जीवन में कई बड़े बदलाव लाने वाले हैं. करीब 5 साल पहले बनाए गए गए नए लेबर कोड (New Labour Codes) अब पुराने 29 श्रम कानूनों की जगह ले चुके हैं. नए कानूनों में अपॉइंटमेंट लेटर, न्यूनतम वेतन, ओवरटाइम, सोशल सिक्योरिटी समेत कई बड़े सुधार शामिल हैं. नए लेबर कोड के तहत किए गए सुधारों का असर करोड़ों इंप्लाईज के पीएफ (PF) यानी प्रोविडेंट फंड पर भी पड़ने वाला है. बताया जा रहा है कि इससे कर्मचारियों का पीएफ बढ़ जाएगा. हालांकि इन-हैंड सैलरी (In-Hand Salary) या टेक होम सैलरी (Take Home Salary) पर भी इसका असर पड़ने वाला है. कहा जा रहा है कि पहले की अपेक्षा ये कम हो जाएगा. ऐसा क्यों कहा जा रहा है, इसके लिए बदलाव से पहले और बदलाव के बाद का पूरा कैलकुलेशन समझना होगा.
नए लेबर कोड में ऐसा क्या बदल गया कि...
देश में नए लेबर कोड्स (labour codes) लागू होने के बाद नौकरीपेशा कर्मियों की बेसिक सैलरी (Basic Salary) का नया नियम लागू हो गया है. किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी, उसके टोटल CTC यानी कॉस्ट टू कंपनी की कम से कम 50% होनी चाहिए, जबकि भत्ते के तौर पर दी जाने वाली राशि टोटल CTC के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती. अब चूंकि प्रॉविडेंट फंड (PF) और ग्रेच्युटी (Gratuity) का कैलकुलेशन, बेसिक सैलरी के आधार पर होता है, इसलिए इसका अमाउंट भी बेसिक सैलरी के अनुसार घटता और बढ़ता है.
कई कंपनियां करती रही हैं चालाकी
पीएफ में एक बड़ा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से जाता है, जबकि नियोक्ता कंपनी को भी इसमें एक हिस्सा योगदान करना होता है. कर्मचारी की बेसिक सैलरी (बेसिक+महंगाई भत्ता) का 12 फीसदी पीएफ खाते में जाता है, वहीं नियोक्ता कंपनी को भी इतनी ही राशि देनी होती है. 12 फीसदी के बराबर राशि में से 3.67% सीधे कर्मचारी के पीएफ खाते में जाता है, जबकि 8.33% कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है.
अब तक कई कंपनियां जानबूझकर बेसिक सैलरी कम रखती थीं और बाकी पैसा अलग-अलग भत्ते के रूप में देती थीं, ताकि उन्हें PF और ग्रेच्युटी पर कम खर्च करना पड़े. अब जो नए कानून लाए गए हैं, उसमें कंपनी को ज्यादा योगदान करना होगा. कर्मचारी का PF का हिस्सा बढ़ेगा और रिटायरमेंट के समय ज्यादा पैसा मिलेगा.
अब पुराना कैलकुलेशन समझ लीजिए
- कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता (DA) का 12% हिस्सा पीएफ में जमा करता है. ये पूरी रकम उसके पीएफ खाते में जाती है. उसकी CTC में से ये राशि काटकर उसकी टेक-होम सैलरी या इन-हैंड सैलरी तय होती है.
- मान लीजिए राहुल कुमार एक कंपनी में नौकरी करते हैं. उनकी CTC यानी ग्रॉस सैलरी 60,000 रुपये है. इसमें उसकी बेसिक सैलरी 20,000 रुपये रखी गई थी, बाकी 40,000 रुपये उसे स्पेशल अलाउंस और अन्य मद में दिए जाते थे.
- तो पहले उसके PF अकाउंट में जाने वाली राशि इसी 20,000 रुपये पर तय होते थे. यानी उसकी सैलरी में से 20,000 का 12 फीसदी यानी 2,400 रुपये पीएफ खाते में जाते थे.
नियोक्ता कंपनी भी इतनी ही राशि 2,400 रुपये उसके PF खाते में(3.67%) और NPS खाते (8.33%) में डालती थी. यानी उसके पीएफ खाते में (20,000 का 3.67%) यानी 734 रुपये डालती थी, जबकि (20,000 का 8.33%) यानी 1,666 रुपये पेंशन खाते में डालती थी.
- इस तरह राहुल के PF अकाउंट में जमा होने वाली राशि थी: 2,400 + 734 = 3,134 रुपये
- उसकी टेक होम सैलरी या इन-हैंड सैलरी थी: 60,000 - 2,400 = 57,600 रुपये
...और अब समझ लीजिए नया कैलकुलेशन
- नए लेबर कोड में कंपनी को कुल भत्ते वगैरह टोटल CTC के 50% से ज्यादा नहीं हो सकती, बेसिक सैलरी का हिस्सा 50% रखना होगा. कैलकुलेशन भी इसी आधार पर होगा.
- राहुल की CTC यानी ग्रॉस सैलरी 60,000 रुपये में उसकी बेसिक सैलरी (Basic+DA) 30,000 रुपये रखी जाएगी, बाकी 30,000 रुपये उसे स्पेशल अलाउंस और अन्य मद में दिए जाएंगे.
- यानी राहुल की कुल सीटीसी 60,000 में से उसकी बेसिक सैलरी (Basic+DA) 30,000 रुपये होगी. और कैलकुलेशन भी इसी आधार पर होगा.
PF खाते में कर्मचारी का योगदान: 30000 × 12% = ₹3,600
नियोक्ता का कुल योगदान: 30000 × 12% = ₹3,600
इसमें से 30,000 × 3.67% = ₹1,101 (PF खाते में)
30000 × 8.33% = ₹2,499 (EPS खाते में)
उसकी टेक होम सैलरी या इन-हैंड सैलरी होगी : 60,000 - 3,600 = 56,400 रुपये
PF बढ़ा, इन-हैंड सैलरी घटी, फायदा या नुकसान?
- पहले वाली व्यवस्था में राहुल की टेक होम सैलरी 57,600 रुपये थी, जबकि पीएफ और EPS खाते में कुल योगदान 4,800 रुपये जा रहे थे.
- वहीं नए लेबर कोड के तहत उसकी टेक होम सैलरी 56,400 रुपये होगी, जबकि PF और EPS खाते में कुल योगदान 7,200 रुपये जमा होंगे.
- हो सकता है कि कंपनी अपने योगदान की भरपाई भत्ते और अन्य मद वाले 50 फीसदी हिस्से (30,000 रुपये) में से करे.
अब जहां तक फायदे और नुकसान की बात है, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अनिवार्य PF कंट्रीब्यूशन, टोटल CTC में बढ़ोतरी के बिना बढ़ेगा, जिससे टेक होम सैलरी कम हो जाएगी. लेकिन कर्मचारियों को लंबी अवधि की सेविंग और रिटायरमेंट के समय ज्यादा फायदा मिलेगा. नए कानूनों के तहत, ज्यादा ग्रेच्युटी और PF के जरिए बेहतर रिटायरमेंट सिक्योरिटी होगी.
बाकी जैसा कि ऊपर मेंशन किया गया है कि कंपनी अपने बढ़े हुए योगदान की भरपाई टोटल सीटीसी के दूसरे हिस्से (50%) में से कर सकती है. ऐसे में ओवरऑल कर्मचारी को नुकसान नहीं होगा.














