रेंटल हाउसिंग में सुधार : मॉडल टेनेंसी एक्ट के ड्राफ्ट को मंजूरी, जानिए क्या होगा फायदा

देश के शहरी इलाकों में किराए के आवासों की बड़ी मांग होने के बावजूद इसकी उतनी भरपाई नहीं हो पाती है. एक तरफ जहां रेंटल हाउसिंग की कमी रहती है, वहीं लाखों मकान खाली पड़े होते हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में सुधार की बात काफी वक्त से उठ रही है.

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कैबिनेट ने बुधवार को मॉडल टेनेंसी एक्ट के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

भारत में रेंटल हाउसिंग के क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार ने एक मसौदे को मंजूरी दी है. आगे इस क्षेत्र में कई बदलाव लाने के लिए या इस मसौदे को कानून बनाकर या फिर मौजूदा कानून में संशोधन करके इसमें दिए गए प्रावधान लागू किए जा सकते हैं. बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से अपनाए जाने के लिए मॉडल किरायेदारी अधिनियम (model tenacny act) के मसौदे को मंजूरी दे दी.

मॉडल किरायेदारी अधिनियम का मसौदा अब राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा जाएगा. राज्य इसी मसौदे को अपनाकर इसे नया कानून बना सकते हैं या फिर मौजूदा किरायेदार कानून में जरूरी संशोधन करके लागू कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उक्त आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.

बता दें कि देश के शहरी इलाकों में किराए के आवासों की बड़ी मांग होने के बावजूद इसकी उतनी भरपाई नहीं हो पाती है. या फिर एक विस्तृत कानून न होने के चलते कई मुश्किलें बनी रहती हैं. खास बात यह भी है कि एक तरफ जहां रेंटल हाउसिंग की कमी रहती है, वहीं लाखों मकान खाली पड़े होते हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में सुधार की बात काफी वक्त से उठ रही है.

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क्या होगा फायदा

कैबिनेट मीटिंग के फैसले के बाद इस संबंध में एक बयान जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि नए बदलावों के बाद रेंटल कानूनों में सुधार लाया जा सकेगा. इससे देशभर में किराये पर मकान देने के संबंध में कानूनी ढांचे को दुरुस्त करने में मदद मिलेगी, जिससे आगे इस क्षेत्र के विकास का रास्ता खुलेगा. इसमें कहा गया है कि मॉडल किरायेदारी अधिनियम का मकसद देश में एक विविधतापूर्ण, टिकाऊ और समावेशी किराये के लिये आवासीय बाजार तैयार करना है.

इन बदलावों से देश में हर आय वर्ग के लोगों के लिये पर्याप्त मात्रा में किराये के लिये आवासीय यूनिट्स का भंडार तैयार किया जा सकेगा, जिसके चलते बेघर होने की समस्या का हल निकलेगा. वहीं, इससे खाली पड़े घरों को किराये पर उपलब्ध कराया जा सकेगा.

सरकार को उम्मीद है कि इसके जरिये किरायेदारी बाजार को व्यापार के रूप में विकसित करने में निजी भागीदारी बढ़ेगी, ताकि रिहायशी मकानों की भारी कमी को पूरा किया जा सके. मॉडल किरायेदारी अधिनियम से आवासीय किराया व्यवस्था को संस्थागत रूप देने में मदद मिलेगी.

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(भाषा से इनपुट के साथ)

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