पेंशनभोगियों के लिए हर साल जीवन प्रमाणपत्र (Life Certificate) जमा करने की प्रकिया को लगातार आसान बनाने की कोशिशें हो रही हैं. बुजुर्ग और रिटायर्ड लोगों को अपना पेंशन पाते रहने के लिए लाइफ सर्टिफिकेट अपने बैंक में जमा कराते रहना होता है. इसके लिए उन्हें बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं. लेकिन उनके लिए चीजें आसान हो, इसके लिए पिछले कुछ वक्त में बहुत से बदलाव किए गए हैं. डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने की सुविधा शुरू हुई है. वहीं, सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले दिनों वीडियो कॉल की सुविधा के जरिए लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने की सुविधा उपलब्ध कराई है. इसी क्रम में सरकार ने सोमवार को एक नया सिस्टम शुरू किया है.
सरकार ने पेंशनभोगियों के लिए ‘जीवन प्रमाणपत्र' के एक प्रमाण के रूप में चेहरा पहचानने वाली ‘विशिष्ट' तकनीक 'face recognition technology' पेश किया है. बता दें कि सभी पेंशनधारकों को साल के अंत में अपने जीवित होने का प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होता है. इस प्रमाणपत्र के आधार पर ही उन्हें आगे पेंशन जारी रखी जाती है.
सोमवार को कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने यह खास तकनीक पेश करते हुए कहा कि इससे सेवानिवृत्त एवं बुजुर्ग पेंशनभोगियों को काफी सहूलियत होगी. चेहरा पहचानने वाली इस तकनीक की मदद से पेंशनधारकों के जीवित होने की पुष्टि की जा सकेगी.
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उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि 'यूनीक़ 'face recognition technology' लॉन्च किया, जिससे देश में करोड़ों पेंशनधारकों को आसानी से एक मोबाइल ऐप के जरिए लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने में मदद मिलेगी.'
सिंह ने कहा, ‘केंद्र सरकार पेंशनभोगियों की जरूरतों को लेकर संवेदनशील रही है और उनकी जिंदगी को सुगम बनाने की कोशिश करती रही है. वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद सरकार ने पेंशनधारकों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की सुविधा शुरू की थी. अब चेहरा पहचानने वाली इस तकनीक से उन्हें और भी मदद मिलेगी.'
उन्होंने कहा कि जीवन प्रमाणपत्र देने के लिए चेहरा पहचानने वाली इस तकनीक की शुरुआत एक ऐतिहासिक एवं दूरगामी सुधार है. इससे न केवल केंद्र सरकार के 68 लाख पेंशनभोगी बल्कि ईपीएफओ एवं राज्य सरकारों से पेंशन पाने वाले लोग भी लाभान्वित होंगे.
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, इस मौके पर राज्यमंत्री ने इस तकनीक को सामने लाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ ही विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को धन्यवाद दिया.
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