Income Tax Return: जानिए ITR भरने से पहले Form 16 में किन चीजों पर ध्यान देना है बेहद जरूरी

जिन कर्मियों की सैलरी पर इनकम टैक्स देनदारी बनती है, उनकी सैलरी से TDS काट लिया जाता है. ऐसे कर्मियों को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय फॉर्म 16 की जरूरत पड़ती है.

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आईटीआर फाइलिंग में फॉर्म 16 काफी अहम है.
नई दिल्ली:

नौकरीपेशा लोगों के लिए इनकम टैक्‍स रिटर्न (Income Tax Return) भरने के दौरान कई सारे डॉक्‍युमेंट्स महत्‍वपूर्ण होते हैं. उन्‍हीं में से एक है- फॉर्म 16. जिन कर्मियों की सैलरी पर इनकम टैक्स देनदारी बनती है, उनकी सैलरी से TDS काट लिया जाता है. ऐसे कर्मियों को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय फॉर्म 16 की जरूरत पड़ती है.

कोई भी कंपनी या संस्था कंपनी जिन कर्मियों का TDS काटती है, उनको फॉर्म 16 जारी करती है. इसमें कर्मी का नाम, पैन नंबर, आय और टैक्‍स कटौती की डिटेल्‍स दर्ज होती हैं. दरअसल, कंपनी आपका जो टैक्स काटती है, उसे आपके नाम पर इनकम टैक्स विभाग के पास जमा कर देती है. आपके PAN नंबर की मदद से ये टैक्‍स जमा होता है. उसके सबूत के तौर पर आपको Form 16 आपको दिया जाता है.

फॉर्म 16 को 2 भागों में बांटा गया है. पार्ट-A में नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के वेतन से की गई टैक्‍स कटौती के बारे में डिटेल होती है. पार्ट B में आपके नियोक्ता द्वारा आपको भुगतान की जाने वाली सैलरी की डिटेल होती है.

अब चूंकि इनकम टैक्‍स रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए आखिरी तारीख नजदीक है, सो CA और जानकार 31 जुलाई का इंतजार करने की बजाय, समय रहते जल्‍दी ही ITR फाइल करने की सलाह दे रहे हैं. ITR दाखिल करने से पहले फॉर्म 16 में कुछ महत्‍वपूर्ण बिंदुओं की जांच कर लेना जरूरी है.

TAN और PAN
सबसे पहले, आपको ये जांच लेना चाहिए कि फॉर्म 16 में TAN (Tax Deduction and Collection Account Number) और PAN (Permanent Account Number) सही दर्ज है या नहीं. अगर फॉर्म 16 में PAN गलत है तो आपकी सैलरी से काटा गया टैक्स फॉर्म 26AS में नहीं दिखेगा और आप ITR फाइल करने के दौरान इसके लिए क्रेडिट क्लेम करने में सक्षम नहीं होंगे.

टैक्‍स डिडक्‍शन अमाउंट
फॉर्म 16 के पार्ट-A में ये जांच कर लेना जरूरी है कि कंपनी, नियोक्‍ता या एजेंसी ने उचित टैक्‍स काटा है या नहीं? इसके लिए टैक्‍स कटौती की राशि का मिलान, अपनी सैलरी स्लिप यानी मासिक वेतन पर्ची से जमा किए गए टैक्‍स की वास्तविक राशि के साथ कर लेना चाहिए.

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अगर ऐसा नहीं है तो आपको अपने नियोक्ता को बता कर इसमें सुधार कराना होगा. इसके बाद आपका नियोक्ता संशोधित TDS सैलरी सर्टिफिकेट जारी करेगा.

न्‍यू टैक्‍स रिजीम में, लाइफ इंश्‍योरेंस प्रीमियम (LIC), प्रोविडेंट फंड में योगदान (PF) और हेल्‍थ इंश्‍योरेंस प्रीमियम वगैरह के संबंध में कटौती की अनुमति नहीं है. फॉर्म 16 पर ही इसका उल्लेख होगा कि किसी कर्मी ने न्‍यू टैक्‍स रिजीम या ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम का विकल्प चुना है?

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सैलरी की डिटेल
फॉर्म 16 के पार्ट-B में नियोक्ता द्वारा भुगतान की गई सैलरी के साथ-साथ किसी अन्य आय और उस पर काटे गए टैक्‍स की डिटेल होती है. टैक्‍स रिटर्न दाखिल करते समय फॉर्म 16 में कर्मी द्वारा प्राप्त ग्रॉस सैलरी (Including Perquisites), भत्ते और दावा की गई कटौती की डिटेल्‍स पर विचार कर लेना चाहिए.

भत्तों की लिस्‍ट
इनकम टैक्‍स एक्‍ट की धारा 10 के तहत HRA यानी हाउस रेंट अलावेंस जैसे भत्ते को छूट है. इन्‍हें ग्रॉस सैलरी के नीचे फॉर्म 16 के पार्ट-B में देखा जा सकता है. यदि वेतनभोगी कर्मी ने नियोक्ता को हाउस प्रॉपर्टी या अन्‍य स्रोतों से आय के बारे में सूचना दी है तो वो भी इसी हिस्‍से में दिखेगा.

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यदि एक से अधिक फॉर्म 16 हैं तो?
टैक्‍सेबल इनकम यानी कर योग्‍य आय की गणना, आय के सभी स्रोतों को ध्‍यान में रखते हुए की जानी चाहिए. यदि किसी टैक्‍सपेयर्स के पास एक से अधिक फॉर्म 16 हैं तो उन्‍हें अपनी सारी इनकम को समेकित कर, उसके बाद लागू टैक्‍स स्‍लैब दर के अनुसार टैक्‍स का कैलकुलेशन करना चाहिए.

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