Inflation calculator: आज के समय में 1 करोड़ रुपये का फंड आपको काफी बड़ा लग सकता है. क्योंकि आपको लगता है कि इससे आप आसानी से घर खरीद सकते हैं, बच्चे की पढाई से लेकर उनकी शादी के खर्च को पूरा कर सकते हैं... देश-विदेश घूमने का सपना पूरा कर सकते हैं और अपनी हर जरूरतों को पूरा कर सकते हैं. लेकिन, आपने कभी सोचा है कि 10, 20 या 30 साल बाद जब आप रिटायर होते हैं तो क्या यह रकम आपके लिए काफी होगी? सच्चाई यह है कि महंगाई के चलते समय के साथ पैसे की वैल्यू भी कम होती जाती है. आज के हिसाब से जो रकम आपको काफी लग रही है, वह फ्यूचर में रिटायरमेंट के बाद आपकी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती.
आज हम आपको बताएंगे कि इन्फ्लेशन (Inflation) यानी महंगाई आपकी परचेजिंग पावर (purchasing power) को धीरे धीरे कैसे कम कर देती है और क्यों हमें लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल प्लानिंग (Long Term Financial Planning) करनी चाहिए.
महंगाई के साथ-साथ कैसे घटती है पैसे की वैल्यू?
आपके बैंक अकाउंट में 1 करोड़ रुपये की रकम होना आज बड़ी बात लगती है, लेकिन यह भविष्य में आपकी फाइनेंशियल नीड को पूरा करने के लिए काफी नहीं होगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि महंगाई की वजह से समय के साथ पैसे की कीमत घटती जाती है. अगर आज किसी कार की कीमत 8 लाख रुपये है, तो 15 साल बाद इसकी कीमत और ज्यादा हो जाएगी.
इसे और आसान तरीके से समझने के लिए, आप याद कीजिए कि आज से 10 या 15 साल पहले किराने के सामान या किराए पर आप कितना खर्च करते थे और आज उसकी तुलना में कितना ज्यादा खर्च कर रहे हैं. क्योंकि महंगाई की वजह से समय के साथ चीजों के दाम बढ़ रहे हैं. सोने को ही ले लीजिए आज से 20 साल पहले सोने की कीमत और आज की कीमत देख लीजिए आपको आसानी से समझ आ जाएगा. इसलिए, भले ही आज 1 करोड़ रुपये का फंड आपको बड़ा लगता हो, लेकिन फ्यूचर में सभी जरूरतों को पूरी करने के लिए यह काफी नहीं होगा.
जानें 10, 20 या 30 साल बाद 1 करोड़ रुपये की कीमत
Inflation Calculator के हिसाब से 6% की महंगाई दर मान कर चलें तो 10 साल बाद 1 करोड़ रुपये की कीमत घटकर 55.84 लाख रुपये रह जाएगी. यह दिखाता है कि लॉन्ग-टर्म सेविंग (Long-term Savings) और इन्वेस्टमेंट (Investments) पर महंगाई का कितना असर पड़ता है.
वहीं, महंगाई दर को 6% मानते हुए 20 साल के बाद, 1 करोड़ रुपये का कीमत लगभग 31.18 लाख रुपये रह जाएगी. और 30 साल बाद की बात करें तो 1 करोड़ रुपये की कीमत 6% महंगाई दर के हिसाब से लगभग 17.41 लाख रुपये रह जाएगी.
लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्लानिंग क्यों है जरूरी?
समय के साथ रुपये की गिरती कीमत इस बात की ओर इशारा करती है कि इस गिरावट को ध्यान में रखकर रिटायरमेंट प्लानिंग करना कितना जरूरी है. हम अक्सर आज की परचेजिंग पावर के आधार पर फाइनेंशियल प्लानिंग करते हैं. लेकिन, समय के साथ यह परचेजिंग पावर धीरे-धीरे कम होती जाती है.
जानिए कैसे समय के साथ घट जाती है आपके निवेश की कीमत
आपको ये भी समझना होगा कि अगर कोई इन्वेस्टमेंट आपको 6% का रिटर्न देता है, तो इससे आपको कोई खास फायदा नहीं हो रहा है क्योंकि 6% की महंगाई दर का मतलब है 6% रिटर्न मिलने के बाद भी आपके पैसे की वैल्यू उतनी ही रही. इसलिए जो आपको इन्वेस्टमेंट इनफ्लेशन रेट से ज्यादा का रिटर्न देते हैं वो ही लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्लानिंग के लिहाज से बेहतर ऑप्शन माना जाता है.