भारत का सबसे अमीर गांव, लोगों के 7000 करोड़ रुपये बैंकों में जमा, आखिर कहां से होती है इतनी कमाई?

Richest village in Asia: इस गांव में आपको देश के हर बड़े बैंक की ब्रांच मिल जाएगी, जिनमें एचडीएफसी बैंक, यूनियन बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और एक्सिस बैंक जैसे नाम शामिल हैं.

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Richest Village Of India: गुजरात के कच्छ जिले का यह गांव न केवल भारत बल्कि एशिया का सबसे अमीर गांव बन चुका है.
नई दिल्ली:

भारत में अरबपतियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है ये तो हम जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि एशिया का सबसे अमीर गांव जापान या चीन में नहीं बल्कि भारत में है. आपने ठीक पढ़ा है, गुजरात के पश्चिमी इलाके के इस गांव का नाम माधापार है. गुजरात के कच्छ जिले का यह गांव एशिया और भारत का सबसे पैसे वाला गांव है. इस गांव की आबादी करीब 32,000 है. इस गांव के लोगों ने 7000 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposits) करवाई हुई है.

माधापार गुजरात के कच्छ जिले का एक गांव है, जो पोरबंदर शहर से लगभग 200 किलोमीटर दूर है. गुजरात का पोरबंदर शहर महात्मा गांधी के जन्मस्थान के तौर पर मशहूर है. इस गांव में करीब 32,000 लोग रहते हैं, जो मुख्य रूप से पटेल समुदाय से हैं. इस गांव के विकास और समृद्धि में पटेल समुदाय का विशेष योगदान है. माधापार के इन्फ्रास्ट्रक्चर में इस गांव की समृद्धि की झलक देखने को मिलती है. अच्छी सड़कें, बढ़िया वाटर सप्लाई, बेहतर सैनिटेशन सिस्टम, स्कूल, हेल्थकेयर जैसी सुविधाएं इस गांव में मौजूद हैं. इस गांव में कई भव्य मंदिर भी हैं.

जबरदस्त फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर 

माधापार को जो बात दूसरे गांव से अलग बनाती हैं, वो है यहां का बेहतरीन बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर. इस गांव में आपको देश के हर बड़े बैंक की ब्रांच मिल जाएगी, जिनमें एचडीएफसी बैंक, यूनियन बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और एक्सिस बैंक जैसे नाम शामिल हैं. गांव में मौजूद कुल 17 बैंकों में करीब 7000 करोड़ रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर जमा हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट की इतनी बड़ी रकम न केवल गांव की शानदार वित्तीय स्थिति को दर्शाती है बल्कि यहां होने वाली इकोनॉमिक एक्टिविटी भी इसी के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती हैं.

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क्या है एशिया के सबसे पैसे वाले गांव की रईसी का राज? 

माधापार गांव की वेल्थ का सबसे बड़ा सोर्स है नॉन-रेजिडेंट इंडियन (NRI). इस गांव के करीब 1200 परिवार अब विदेश में रहते हैं. जिसमें से ज्यादातर लोग अफ्रीकी देशों में बस गए हैं. विदेश में रहने के बावजूद, इन परिवारों ने गांव से अपना रिश्ता बनाए रखा है. विदेश में रह रहे गांव के ये लोग अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा माधापार के लोकल बैंकों और पोस्ट ऑफिस में जमा कराते हैं. इस वजह से गांव के बैंकों में अब फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर एक बड़ी रकम जमा हो चुकी है और इस गांव के पास पैसे की कोई कमी नहीं है. आज यह न केवल भारत बल्कि एशिया का सबसे अमीर गांव बन चुका है.

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गांव के लोगों की कमाई का जरिया (Source of income)

NRIs से मिलने वाले वित्तीय योगदान के अलावा, माधापार की अर्थव्यवस्था में खेती की भी अहम भूमिका है. इस गांव में आम, मक्के और गन्ने समेत कई दूसरी चीजों की खेती की जाती है. इन प्रोडक्ट्स को न केवल स्थानीय स्तर पर कंज्यूम किया जाता है बल्कि देशभर में इन्हें भेजा जाता है. गांव की इकोनॉमी स्टेबल बनाए रखने और इसे बढ़ावा देने में खेती का अहम योगदान है.

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माधापार विलेज एसोसिएशन

माधापार गांव के लोग अपने गांव को 1968 में लंदन में बनाई गई माधापार विलेज एसोसिएशन (Madhapar Village Association) के जरिए मैनेज करते हैं. इस एसोसिएशन को खासतौर पर गांव और विदेशों में रहने वाले लोगों के बीच कनेक्शन बनाए रखने के इरादे से शुरू किया गया था. यानी यह एसोसिएशन एक ब्रिज के तौर पर काम करती है और यह सुनिश्चित करती है कि गांव और इसकी ग्लोबल कम्युनिटी के बीच कनेक्शन बना रहे और यह कम्युनिटी लगातार तरक्की करती रहे.

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