राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में लगे 44वें इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) में इन दिनों जबरदस्त भीड़ हो रही है. ट्रेड फेयर ने हजारों छोटे व्यापारियों के लिए बड़े अवसर पैदा किए हैं, जिनसे छोटे शहरों के देसी प्रॉडक्ट्स को बढ़ावा मिला है. 'एक भारत और श्रेष्ठ भारत' की थीम वाले इस अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में 3,500 से ज्यादा भागीदार शामिल हुए हैं. इनमें से कुछ उद्यमियों का कहना है कि 9 से 12 दिन तक लगने वाले इस व्यापार मेले में उनकी 4 से 5 महीने के बराबर आय हो जाती है. कुछ ने बताया कि मेले में ग्राहकों से ऐसा संपर्क बन जाता है कि मेला खत्म होने के बाद भी उनके पास ऑर्डर आते रहते हैं.
14 नवंबर को इस ट्रेड फेयर का उद्घाटन किया गया था, शुरुआत कुछ दिन बिजनेस कैटगरी के लोगों के लिए थे और टिकट भी काफी महंगे थे, जबकि 19 नवंबर से व्यापार मेला आम लोगों के लिए खोल दिया गया. ट्रेड फेयर कैसे पहुंचें, टिकट कहां मिलेगा, कितना दाम है, पार्किंग कहां है... ये सारी जानकारी आप यहां क्लिक कर पता लगा सकते हैं.
छोटे उद्यमियों के लिए कैसे फायदेमंद?
ट्रेड फेयर ने नए उद्यमियों, ग्रामीण शिल्पकारों और घरेलू ब्रांडों को बाजार की मांग को जांचने, थोक खरीदारों से जुड़ने और उपभोक्ता व्यवहार को समझने में मदद मिली है. कई प्रतिभागियों के लिए आईआईटीएफ ने राष्ट्रीय बाजार में प्रवेश के दरवाजे के तौर पर काम किया है. जानकार बताते हैं कि आईआईटीएफ 2025 का आयोजन दिखाता है कि भारत की आर्थिक कहानी केवल बड़े उद्योगों द्वारा संचालित नहीं है, बल्कि छोटे उद्यमियों द्वारा भी समान रूप से संचालित होती है, जिनकी लचीलापन, शिल्प कौशल और इनोवेशन एक परस्पर बाजार को बढ़ावा देते हैं.
भागलपुरी सिल्क साड़ियों का विस्तार
बिहार पवेलियन में 45 वर्षीय प्रदर्शक श्रीधि कुमारी ने बिहार और पश्चिम बंगाल के कारीगरों द्वारा तैयार की गई भागलपुरी रेशम साड़ियों और जरी के काम का प्रदर्शन किया. राज्य की महिला-उद्यमिता योजनाओं से लाभ प्राप्त करने वाली श्रीधि कुमारी ने कहा कि यह मेला उन्हें बाजार की गतिशीलता को समझने और मार्च 2025 में जीआई फेस्टिवल में मान्यता प्राप्त करने के बाद अपनी पहुंच का विस्तार करने में मदद कर रहा है.
महाराष्ट्र के रामराव की हुई अच्छी कमाई
महाराष्ट्र के हिंगोली जिले से, किसान से उद्यमी बने प्रह्लाद रामराव बोरगड और उनकी पत्नी कावेरी अपने ब्रांड 'सूर्या फार्मर्स' के तहत जैविक दालें, मसाले और अचार का स्टॉल लगाया है. एसएचजी और एमएसएमई विभाग द्वारा समर्थित, बोरगाड का कहना है कि आईआईटीएफ जैसे मंच किसानों को ब्रांडिंग, प्रस्तुति और ग्राहक जुड़ाव सीखने में मदद करते हैं. रामराव के अनुमान के अनुसार, आईआईटीएफ में उनकी कमाई चार से पांच महीने की आय के बराबर है, मेला समाप्त होने के बाद भी अतिरिक्त ऑर्डर आते रहते हैं.
झारखंड की लाह की चूड़ियां
इस वर्ष मेले में भागीदार राज्य झारखंड के छोटे व्यवसायी झाबर मल ने लाह की चूड़ियों के साथ स्टेट की जनजातीय विरासत को प्रदर्शित किया. झाबर मल कई वर्षों से मेले में इसे प्रदर्शित कर रहे हैं. हालांकि, स्टॉल से बिक्री मामूली है, उन्होंने कहा कि काफी सारे ग्राहक उनके यहां से हर साल सामान खरीदते हैं और अकसर प्री-ऑर्डर देते हैं. उनका काम झारखंड में एक ग्रामीण सहकारी समिति से जुड़ी लगभग 400 आदिवासी महिलाओं का समर्थन करता है, यह दर्शाता है कि कैसे आईआईटीएफ फेयर देश के दूरदराज के इलाकों में रोजगार उपलब्ध कराता है.
जानकारों के अनुसार, आईआईटीएफ 2025 देश के बढ़ते वैश्विक व्यापार जुड़ाव के साथ अटैच है, जो कि मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और नीतिगत समर्थन सूक्ष्म और लघु उद्यमों को सशक्त बनाते हैं.














