Income Tax Act के Section 80G के तहत डोनेशन डिडक्शन क्लेम करने की प्रक्रिया को खुद मैनेज करना होता था. व्यक्ति डोनेशन करता था और जो संस्थान टैक्स क्रेडिट का लाभ देने योग्य होता था, वो रसीद जारी करता था. बेनेफिट को क्लेम करने के लिए सिर्फ इसी रसीद की जरूरत होती थी.
हाल के वर्षों में प्रक्रिया बदल गई है और अब व्यक्ति को इस तरह का बेनेफिट क्लेम करने के लिए फॉर्म 10BE की जरूरत होती है. इस फॉर्म की जानकारी रखना अहम होता है, जिससे आप आसानी से रिटर्न क्लेम किए जा सकें.
फॉर्म 10BE
फॉर्म 10BE की सबसे अहम बातों में से एक है कि इसमें किए गए डोनेशन से जुड़ी सभी डिटेल्स मौजूद होती हैं. इसमें डोनी (जिसे डोनेशन मिला) की डिटेल्स होती है, साथ ही डोनर और डोनेशन की पूरी जानकारी होती है. डोनी की डिटेल्स में परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN), संस्थान का नाम, पता और यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर शामिल होता है. इसके साथ डोनर का पैन नंबर, नाम और पता, डोनेशन की राशि के साथ-साथ जिस वित्त वर्ष में यह डोनेशन माना जाएगा, उसकी जानकारी होगी.
फॉर्म 10BE पर एक ARN की डिटेल भी होगी, यह एक यूनिक नंबर है, जो सर्टिफिकेट के जारी होने पर जेनरेट होता है. ये बेहद अहम जरूरी चीज है, जिसे डोनर को डोनेशन का क्रेडिट मिलने के लिए टैक्स रिटर्न में डालना जरूरी होता है.
फॉर्म के पीछे की प्रक्रिया
डोनेशन लेने वाली संस्था की ओर से जारी रसीद और फॉर्म 10BE में अंतर होता है, क्योंकि इस फॉर्म को असल में इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किया जाता है. मतलब कि अपने पास फाइल की जानकारी के आधार पर इनकम टैक्स विभाग फॉर्म जेनरेट करेगा, फिर इसे डोनेशन लेने वाले संस्थान द्वारा डाउनलोड करना होगा और डोनर को भेजना होगा.
इंडिविजुअल टैक्सपेयर के लिए इसका मतलब है कि उन्हें अपना रिटर्न फाइल करने से पहले डोनेशन हासिल करने वाले संस्थान से सर्टिफिकेट आने का इंतजार करना होगा. दूसरी बात ये है कि डोनेशन हासिल करने वाले संस्थान को टैक्स विभाग के साथ फॉर्म 10BD फाइल करना होगा, जिसमें साल के दौरान मिले डोनेशन की सभी डिटेल्स हों. ये फॉर्म 10BE को जारी करने का आधार बनता है.
डिटेल्स का सही होना जरूरी
जिस व्यक्ति ने डोनेशन दिया है, उसे ये सुनिश्चित करना होगा कि उन्होंने डोनेशन देते समय अपनी सही डिटेल्स दी हैं, जिसमें पैन भी शामिल है. आखिर इसी जानकारी के आधार पर फॉर्म 10BE जेनरेट किया जाएगा. अगर ये फॉर्म मौजूद नहीं रहेगा, तो रिटर्न फाइलिंग के समय सेक्शन 80G के तहत डिडक्शन बेनेफिट का क्लेम नहीं किया जा सकेगा. इसलिए यह सुनिश्चित करना होगा कि डोनेशन हासिल करने वाले संस्थान से फॉर्म सही समय पर मिले, जिससे उसे रिटर्न में शामिल किया जा सके.
अक्सर ये होता है कि इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को इस फॉर्म की जरूरत के बारे में जानकारी नहीं होती है और वो डिडक्शन क्लेम करने के लिए महज रसीदों का इस्तेमाल करते हैं. ये कोशिश सफल नहीं होगी और उन्हें फॉर्म 10BE की डिटेल्स की जरूरत होगी, खासकर ARN की. दूसरी चीज ये है कि अक्सर लोग अपना रिटर्न फाइल करने की जल्दी में होते हैं, लेकिन संस्थान से फॉर्म मिलने तक उनकी प्रक्रिया रुक ही जाती है.