सरकार ने जीएसटी (GST) सिस्टम को आसान बनाने के लिए एक बड़ा कदम बढ़ाया है. अब ज्यादातर सामान और सेवाओं पर सिर्फ दो टैक्स स्लैब होंगे 5% और 18%. जबकि लग्जरी और हानिकारक (sin) प्रोडक्ट्स पर 40% का विशेष टैक्स लगेगा. गुरुवार को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) की अहम बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है.
बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की अगुवाई वाली इस बैठक में तय किया गया कि मौजूदा चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर सिर्फ दो कर दिया जाएगा. इसके तहत
- 5% को मेरिट रेट माना जाएगा, जिसमें जरूरी सामान आएंगे.
- 18% को स्टैंडर्ड रेट माना जाएगा, जिसमें बाकी ज्यादातर सामान और सेवाएं शामिल होंगी.
इसके अलावा, तंबाकू, सॉफ्ट ड्रिंक्स और फास्ट फूड जैसी चीजों पर 40% का सिन टैक्स रहेगा. माना जा रहा है कि इससे टैक्स स्ट्रक्चर आसान होगा और कॉम्प्लायंस भी बेहतर होगा. अब इस पर अंतिम फैसला सितंबर में जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में होगा.
घर खरीदारों और डेवलपर्स पर असर
रियल एस्टेट सेक्टर की बात करें तो अभी अलग-अलग कंस्ट्रक्शन मटेरियल पर अलग-अलग जीएसटी लगता है. जैसे सीमेंट पर 28%, स्टील पर 18%, पेंट पर 28% और टाइल्स व सेनेटरी वेयर पर 18%. इन ऊंचे टैक्स रेट्स की वजह से डेवलपर्स की लागत बढ़ जाती है और इसका असर सीधे घर की कीमतों पर पड़ता है.
क्या है एक्सपर्ट की राय?
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, एक्सपर्ट मानते हैं कि इस बदलाव से घरों की कीमतें कम हो सकती हैं. ओसवाल ग्रुप के चेयरमैन आदिश ओसवाल का कहना है कि सीमेंट और अन्य मटेरियल पर टैक्स घटने से डेवलपर्स की लागत कम होगी और मकान सस्ते हो सकते हैं. खासकर लुधियाना जैसे टियर-2 शहरों में खरीदारों की रुचि बढ़ सकती है.
एसएस ग्रुप के एमडी अशोक सिंह जौनपुरिया का मानना है कि कम टैक्स से डेवलपर्स को मार्जिन मिलेगा लेकिन असली फायदा तभी होगा जब यह बचत ग्राहकों तक पहुंचेगी. इससे खरीदारों का भरोसा बढ़ेगा और मांग लंबे समय तक बनी रहेगी.
NCR मार्केट की स्थिति
एनसीआर मार्केट में पहले ही जीएसटी ने पारदर्शिता लाई है. 2019 में अंडर-कंस्ट्रक्शन मकानों पर जीएसटी 12% (ITC के साथ) से घटाकर 5% (बिना ITC) कर दिया गया था. इसका असर यह हुआ कि खरीदारों का भरोसा लौटा और नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद जैसे इलाकों में बिक्री तेज हो गई. सिर्फ 2024 की पहली छमाही में ही एनसीआर में 38,200 घर बिके, जो पिछले साल से 25% ज्यादा है. हालांकि इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) न मिलने से डेवलपर्स को दिक्कत आती है और किफायती मकान बनाना चुनौती बना रहता है.
ITC वापस लाने की मांग
टीआरजी ग्रुप के एमडी पवन शर्मा का कहना है कि आंशिक रूप से ITC वापस लाना जरूरी है. इससे घर खरीदारों को सस्ते घर मिलेंगे और डेवलपर्स को भी अच्छा मार्जिन मिलेगा ताकि वे बड़े पैमाने पर क्वालिटी वाले मकान बना सकें.
किफायती बनाम लग्जरी हाउसिंग
एआईएल डेवलपर्स के संदीप अग्रवाल के मुताबिक नए टैक्स स्ट्रक्चर से कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 10–20% तक घट सकती है, जिससे मेट्रो और टियर-2 शहरों में घरों की कीमतें किफायती हो सकती हैं. हालांकि लग्जरी हाउसिंग को लेकर चिंता बनी रहेगी.
एलीटप्रो इंफ्रा के फाउंडर वीरेन मेहता का कहना है कि लग्जरी घरों में विदेशी और महंगे मटेरियल का इस्तेमाल होता है. अगर उन पर 40% टैक्स लगा तो लागत काफी बढ़ जाएगी. एनसीआर और गुरुग्राम जैसे हाई-एंड मार्केट में मांग बनी रहेगी, लेकिन डेवलपर्स के लिए लागत संभालना मुश्किल होगा.
कुल मिलाकर, 5% और 18% जीएसटी स्लैब का प्रस्ताव घर खरीदारों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है. अगर डेवलपर्स टैक्स बचत का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाते हैं तो घर खरीदना सचमुच सस्ता हो सकता है. वहीं लग्जरी घरों पर 40% टैक्स खरीदारों और डेवलपर्स दोनों के लिए चुनौती बना रहेगा. अब सबकी नजरें जीएसटी काउंसिल की सितंबर की बैठक पर हैं, जहां इस पर अंतिम फैसला होगा