- सोने की कीमतें लगातार तीसरे सप्ताह अमेरिकी डॉलर की मजबूती और फेडरल रिजर्व की नीति के कारण कमजोर रहीं
- मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोने का वायदा भाव पिछले सप्ताह 165 रुपये गिरकर बंद हुआ
- निवेशक अमेरिकी डॉलर और फेडरल रिजर्व की नीति में किसी बड़े बदलाव का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए बाजार स्थिर है
सोने की चमक लगातार तीसरे सप्ताह थोड़ी फीकी पड़ी है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर की बढ़ती ताकत और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रुख के बाद निवेशकों का रुझान सेफ निवेश माने जाने वाले सोने से हट गया है. ऐसे में कमजोर डिमांड के चलते छुट्टियों के कारण छोटे रहे इस सप्ताह में सोने की कीमतें एक सीमित दायरे में घूमती रहीं.
कितनी गिरी कीमतें?
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर में डिलीवरी वाले सोने का वायदा भाव पिछले सप्ताह 165 रुपये (0.14 प्रतिशत) गिर गया. यह शुक्रवार को ₹1,21,067 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ.
बाजार में ठहराव क्यों?
एलजीटी वेल्थ इंडिया के सीआईओ चिराग दोशी के अनुसार, अक्टूबर में सोने की कीमतों में जो मज़बूत तेजी दिख रही थी, अब वह धीमी पड़ गई है. बाजार फिलहाल ठहराव और वैल्यूएशन के दौर में है. निवेशक बड़ी पोजिशन लेने से पहले अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड यील्ड से साफ संकेतों का इंतजार कर रहे हैं.इसका मतलब है कि निवेशक अभी कोई बड़ा दांव लगाने से बच रहे हैं और बाजार की दिशा तय होने का इंतजार कर रहे हैं."
डॉलर से उम्मीदें
वेंचुरा के कमोडिटी प्रमुख एन एस रामास्वामी ने कहा कि, "सोने की कीमतें अब भी उम्मीद के अनुसार मजबूत बनी हुई हैं. इसकी वजह यह है कि बाजार में अभी भी उम्मीदें जिंदा हैं. डॉलर इंडेक्स एक सीमित दायरे (98 से 100) में बना हुआ है. डॉलर में अगर थोड़ी भी कमजोरी आती है, तो सोने को सहारा मिलेगा. निवेशकों को उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व जल्द ही ब्याज दरों में कटौती शुरू कर सकता है, जो सोने की कीमतों के लिए अच्छा संकेत होगा."














