सोने के पुराने गहने नहीं होंगे बेकार, जानिए नई गोल्ड ज्वेलरी की हॉलमार्किंग में कितना वक्त और खर्च आएगा

Gold Hallmarking Fact Check : ऐसी खबरें हैं कि ग्राहकों कोपुरानी गोल्ड ज्वेलरी को भी हॉलमार्क करना पड़ेगा, वरना उनका कोई मूल्य नहीं रहेगा. सोने की हॉलमार्किंग में हफ्तों का वक्त लगने और हजारों रुपये का खर्च आने की बातें भी बेबुनियाद हैं

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Gold Hallmarking Rules and Regulation : सोने के गहनों पर हॉलमार्क को लेकर हैं तमाम आशंकाएं
नई दिल्ली:

Gold Hallmarking Rules : देश भर के 256 जिलों में सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग 16 जून से अनिवार्य कर दी गई है, लेकिन तमाम ऐसी भ्रामक खबरें हैं कि ग्राहकों को घर पर पड़ी पुरानी गोल्ड ज्वेलरी को भी हॉलमार्क करना पड़ेगा, वरना उनका कोई मूल्य नहीं रहेगा. ऐसी ही कई भ्रामक खबरों को लेकर उपभोक्ताओं के मन में उपजे संदेहों को दूर करने को लेकर हमने इंडियन एसोसिएशन ऑफ हॉलमार्किंग सेंटर्स (Indian Association of Hallmarking Centers ) के अध्यक्ष उदय गजानन शिंदे (Uday Gajanan Shinde) से बातचीत की है.  

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पुरानी ज्वेलरी नहीं होगी बेकार...
पुरानी ज्वेलरी को हॉलमार्क (Old Gold Jewellery Hallmarking) कराने के सवाल पर शिंदे ने कहा कि नोटबंदी की तरह पुराने सोने के गहनों को हॉलमार्क न कराने पर उनके बेकार हो जाने की बात गलत है. शिंदे के मुताबिक,पुराने आभूषणों के हॉलमार्किंग की फिलहाल कोई योजना नहीं है. पुराने गहनों को गलाकर नया बनाने के बाद उसकी हॉलमार्किंग हो सकती है.किसी ग्राहक के लिए अपनी ज्वेलरी को हॉलमार्क के लिए सीधे हॉलमार्किंग सेंटर भेजने की सुविधा नहीं है.रजिस्टर्ड ज्वेलर के जरिये ही हॉलमार्किंग होगी. हां कोई ग्राहक चाहे तो गहनों की शुद्धता परखने के लिए हॉलमार्क सेंटर जा सकता है. उसके लिए 200 रुपये का शुल्क (GST अतिरिक्त) देना होगा. ग्राहक को शुद्धता का सर्टिफिकेट (Gold Purity Certificate) उसे दिया जाएगा.   

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हर गहने का होगा अपना यूनीक आईडी...
सेंटर गहनों की हॉलमार्किंग के बाद हर गहने की फोटो और उसका HUID (Hallmarking Unique Identification) नंबर BIS पोर्टल पर सबमिट करके ज्वेलर को देगा। मतलब आपके बनाए हर एक गहने का एक यूनिक नंबर होगा. ज्वेलर अगर इस गहने को किसी ग्राहक को बेचेगा तो उसको अपने स्टॉक से उस HUID नंबर की निकासी दिखा देगा.

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अभी ग्राहकों का रिकॉर्ड इसमें नहीं होगा
मैन्युफैक्चरर, रिटेलर औऱ होलसेलर सबको हॉलमार्किंग करानी पडे़गी. मतलब प्वाइंट ऑफ सेल पर हॉलमार्किंग करना आवश्यक है.फिलहाल ज्वेलरी की फोटो के प्रावधान को सरकार ने हटा लिया है.ज्वेलरी खरीदने वालों के नाम पते की जानकारी का रिकॉर्ड रखने पर भी बाद में फैसला होगा. आने वाले समय में गहनों की हॉलमार्किंग के साथ सारा डेटा यानी दुकानदार, ग्राहक के नाम पता और फोन नंबर की जानकारी भी गहनों के जरिये हो जाएगी.

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गहनों पर कितनी लागत बढ़ेगी...
शिंदे ने कहा कि सोने के गहनों पर वजन के अनुसार हॉलमार्किंग की फीस वसूलने की बात गलत है. अभी गहनों के हर पीस पर जीएसटी समेत 41.30 रुपये लिए जाएंगे. गहनों की शुद्धता पर भी प्रति पीस के हिसाब से 200 रुपये और जीएसटी का चार्ज लगेगा. ग्राहकों को ज्यादा वजनी गहनों पर हॉलमार्किंग के लिए हजारों रुपये खर्च नहीं करने होंगे.

हॉलमार्किंग में कितना वक्त लगेगा
हॉलमार्किंग में हफ्तों का वक्त लगने की आशंकाओं को गलत बताते हुए शिंदे ने कहा कि हॉलमार्किंग का समय वर्कलोड, गहनों के कुल पीस, एक्सआरएफ मशीन, लेजर मार्किंग मशीन, एफआरएसए यूनिट आदि पर निर्भर करेगा. मशीनों के एक सेट से 8 घंटे में 600-700 पीस की हॉलमार्किंग हो सकती है. यानी 24 घंटे में 1800 से 2100 पीस रेडी हो जाएंगे.

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ज्यादा महंगा नहीं हॉलमार्क सेंटर ले जाना
हॉलमार्किंग कराने के लिए स्वर्ण कारोबारियों को सोने के आभूषण दुकानों से जिले के हॉलमार्किंग सेंटर रोज भेजने में कर्मचारियों और पेट्रोल-डीजल की लागत के कारण गहने महंगे होने की भी आशंका है. इस पर उन्होंने कहा कि 100 किलोमीटर के दायरे में ही हॉलमार्क सेंटर होते हैं. लिहाजा जब ज्यादा लागत नहीं होनी चाहिए. 

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स्पीड पोस्ट का विकल्प भी बेहतर
गोल्ड ज्वेलरी की खेप को रोजाना हॉलमार्किंग सेंटर भेजने में सुरक्षा के मुद्दे को सही माना. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सोने के आभूषणों को स्पीड पोस्ट के जरिये हॉलमार्किंग के लिए भेजने का विकल्प देने की मांग की गई है, ताकि ज्वेलरी को पूरी सुरक्षा के साथ तेजी से हॉलमार्किंग सेंटर लाने और ले जाने की व्यवस्था हो सके.

फिलहाल 256 जिलों में ही लागू नियम
केंद्र सरकार ने कहा है कि फिलहाल देश के 256 जिलों में ही सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग होगी. जैसे-जैसे अन्य जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर खुलते जाएंगे, वहां हॉलमार्किंग शुरू कर दी जाएगी. फिलहाल 31 अगस्त तक सोने के गहनों के पुराने स्टॉक को क्लियर करने के लिए कारोबारियों को छूट रहेगी औऱ तब तक कोई कार्रवाई नहीं होगी. सरकार ने हॉलमार्किंग के लिए रजिस्ट्रेशन फीस भी माफ कर दी है. इसके बाद हॉलमार्क ज्वेलरी ही बेचनी पड़ेगी, बाद में नहीं, स्टोर करना भी गुनाह, हॉलमार्क ही बेचना पड़ेगा. मैन्युफैक्चरिंग (Gold Jewellery Manufacturing) होने के बाद स्टोर या डिस्प्ले में जाएगी.

ये चीजें हॉलमार्क से बाहर
पोल्की, जड़ाऊ कंगन, कुंदन, फाउंटेन पेन और सोने की घड़ी को हॉलमार्क से बाहर रखा गया है. 2 ग्राम से कम वजन के आभूषणों पर भी हॉलमार्क नहीं होगा. हॉलमार्क का डिजिटलीकरण को लेकर भी सरकार की तैयारी है, लेकिन अभी हॉलमार्क की पहचान ( Hallamark Unique Identification) को सिर्फ हॉलमार्किंग सेंटर तक सीमित रखा जाएगा. 

छोटे कारोबारी अभी बाहर
40 लाख तक के टर्नओवर वाले व्यापारी अभी हॉलमार्किंग के दायरे से बाहर हैं, लेकिन इससे उनका नुकसान होगा. नए पढ़े लिखे ग्राहक बिना हॉलमार्क की ज्वेलरी नहीं खरीदेंगे. 2017 में 27 प्रतिशत खरीदारी बड़े ब्रांडों से होती थी, जो अब मार्च 2020 में 43 प्रतिशत हो चुकी है. लिहाजा छोटे कारोबारियों को भी इसके दायरे में लाया जाना बेहतर होगा. छोटे कारोबारी हॉलमार्किंग कराते हैं तो बड़ी दुकानों के मुकाबले सस्ती कीमत पर ये ज्वेलरी बेच पाएंगे.

सोने की ज्यूलरी की बिक्री के लिए अब हॉलमार्क होना जरूरी

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