Gen Z अपनी सैलरी का करें इस तरह यूज, नहीं होगी महीने के आखिर में प्रॉब्लम, ये है मुनाफे की स्ट्रेटेजी

Gen Z पैसा बचाने से ज्यादा खर्च करने में अपनी रुचि दिखाते हैं. हालांकि हम ये नहीं कह रहे कि खर्च करना बंद ही कर दें. दरअसल हमारा मतलब है सैलरी क्रेडिट होते ही उसका 10% या 20% हिस्सा इमरजेंसी फंड के लिए सेफ कर दें.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • आज की जेनरेशन Gen Z इंटरनेट और स्मार्टफोन के दौर में पली बढ़ी है, इसलिए उनकी निवेश की आदतें भी अलग हैं
  • Gen Z के कई लोग महीने के अंत तक अपनी सैलरी खर्च कर देते हैं जिससे बचत और वित्तीय विकास प्रभावित होता है
  • निवेश के लिए छोटी रकम जैसे 500 रुपये से डिजिटल गोल्ड, म्यूचुअल फंड या डाकघर स्कीम में शुरुआत की जा सकती है
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

Gen Z यानी आज की जेनरेशन को टेक की जेनरेशन भी कहते हैं. सोशल मीडिया, स्मार्टफोन के साथ इंटरनेट के दौर में इस जेनरेशन के लोग जन्मे और पढ़े-लिखे हैं. ऐसे में इन लोगों के लिए निवेश के रास्ते भी अलग होते हैं. शॉपिंग से लेकर गेम्स, लाइफस्टाइल पर Gen Z पैसे खर्च करना पसंद करते हैं. इसलिए सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट के मामले में कहीं ना कहीं ये जेनरेशन पीछे हो रही है. इस खबर में हम इस जेनरेशन के लोगों के लिए वो स्मार्ट टिप्स देते हैं, जिन्हें फॉलो कर अपने फ्यूचर को सेफ कर सकते हैं.

महीने के साथ सैलरी भी खत्म

Gen Z के साथ एक समस्या आम देखी गई है कि महीना खत्म होते भी बैंक अकाउंट खाली हो जाते हैं. इससे ना सिर्फ सेविंग्स बंद होती है बल्कि फाइनेंशियल ग्रोथ पर भी ब्रेक लगते हैं. ऐसे में कोशिश करनी चाहिए कि सैलरी आते ही एक हिस्सा किसी बचत के लिए दूसरे खाते में ट्रांसफर करें या फिर डिजिटल गोल्ड, म्यूचुअल फंड में लॉन्ग टर्म के लिए निवेश कर दें.

छोटी शरुआत से बनती है बड़ी बचत

एक बात ध्यान में रखें कि सेविंग्स के लिए कोई लाखों रुपये होने की जरुरत नहीं है. 500 रुपये के साथ आप डिजिटल गोल्ड, म्यूचुअल फंड के साथ डाकघर स्कीम में जा सकते हैं. साथ ही निवेश करने से पहले रिटर्न के बार में ज्यादा ना सोचें. इसके अलावा शॉर्ट टर्म की जगह लॉन्ग टर्म के लिए अपनी सोच रखें.

बाजार में रिस्क लेने से ना डरें

Gen Z आज के समय में या तो बचत ही नहीं कर रहे हैं, या फिर एक सेफ जरिया सर्च कर रहे हैं. मार्केट में पैसे लगाने से काफी लोग बच रहे हैं. एक बात ध्यान रखिए कि जहां रिस्क है वहीं प्रॉफिट है. कैलकुलेटेड रिस्क और बिना सोचे समझे पैसा लगाने में बहुत अंतर होता है. कैलकुलेटेड रिस्क में फ्यूचर ग्रोथ को देखकर निवेश किया जाता है. आज मार्केट में कई ऐसे शेयर्स हैं जो आपक लॉन्ग टर्म में कैलकुलेटेड रिस्क के जरिए पैसा बनाने का मौका देता है.

निवेश में जितना करेंगे देर उतना झेलेंगे नुकसान

अगर आप 22 से 23 साल की उम्र में निवेश करना शुरू कर देते हैं, तो आपको उतना ही फायदा मिलेगा. एक लंबा समय आपके पास रहेगा रिटर्न पाने का. जितना आप लेट निवेश की शुरुआत करते हैं उतना ही नुकसान आपको झेलना पड़ता है.

पैसा खर्च करें पर इमरजेंसी के लिए बचा कर रखें

Gen Z पैसा बचाने से ज्यादा खर्च करने में अपनी रुचि दिखाते हैं. हालांकि हम ये नहीं कह रहे कि खर्च करना बंद ही कर दें. दरअसल हमारा मतलब है सैलरी क्रेडिट होते ही उसका 10% या 20% हिस्सा इमरजेंसी फंड के लिए सेफ कर दें. कोशिश करें कि फालतू खर्चों या निवेश के लिए इस फंड का इस्तेमाल ही ना हो. ये पैसा आपको इमरजेंसी के समय फाइनेंशियल मदद करेगा.

Advertisement

Featured Video Of The Day
Bihar Elections 2025: Stalin और Revanth Reddy वाला दांव महागठबंधन के लिए उल्टा साबित होगा?