क्या आपने किसी सरकारी या कॉमर्शियल बैंक क साथ फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) करा रखा है? अगर हां तो शायद आपको इस बदलाव के बारे में जानकारी हो, अगर नहीं तो हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं. केंद्रीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कुछ वक्त पहले फिक्स्ड डिपॉजिट्स और टर्म डिपॉजिट्स को लेकर अपने नियमों में बदलाव (FD new rules) किया था. इन बदलावों के तहत अब मैच्योरिटी के बाद डिपॉजिटर्स को अपने डिपॉजिट पर ब्याज का नुकसान उठाना पड़ेगा. यानी अब मैच्योरिटी के बाद डिपॉजिट का पैसा नहीं निकाला तो इसपर मिलने वाला ब्याज घट सकता है.
RBI ने जुलाई में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि अगर कस्टमर मैच्योरिटी के बाद अपना पैसा क्लेम नहीं करते हैं तो उन्हें ब्याज के पैसे पर नुकसान उठाना पड़ेगा. हालांकि, इसमें यह जिक्र भी है कि अगर किसी का टर्म डिपॉजिट मैच्योर हो जाता है, लेकिन पैसा नहीं निकाला जाता है और प्रोसीड अनपेड रहती हैं, तो भी उसपर उन्हें ब्याज मिलेगा.
RBI ने अपने सर्कुलर में कहा था, 'यह तय किया गया है कि अगर कोई टर्म डिपॉजिट मैच्योर हो जाता है और आगे की प्रोसीड अनपेड हैं, तो बैंक के साथ छोड़े गए इस पैसे पर सेविंग्स अकाउंट के बराबर या कॉन्ट्रैक्ट में जितना ब्याज है, उसमें से भी जो भी कम होगा, उतना ब्याज मिलता रहेगा.' अगर किसी फिक्स्ड डिपॉजिट को मैच्योरिटी के बाद क्लेम नहीं किया गया है, तो इसपर सेविंग्स अकाउंट के मुताबिक या मैच्योर्ड एफडी पर कॉन्ट्रैक्ट में तय ब्याज के बराबर रिटर्न मिलेगा, इनमें से जो भी कम है.
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ध्यान देने वाली बात..
बता दें कि यह नया नियम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लेकर एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, कोटक जैसे प्राइवेट बैंकों सहित सभी कोऑपरेटिव बैंकों पर लागू होगा. अगर आपका एफडी किसी बैंक के साथ है, तो आपको मैच्योरिटी के बाद इस नए नियम का ध्यान रखना होगा.
अधिकतर बैंक पहले ही फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग्स अकाउंट पर कम ब्याज देते हैं. वहीं, एफडी के ओवरड्यू अमाउंट पर बैंक पहले ही सेविंग्स अकाउंट वाला ब्याज अप्लाई कर रहे थे और अक्सर सेविंग्स अकाउंट पर एफडी के मुकाबले कम ब्याज ही होता है. लेकिन हां, नए नियम के मुताबिक, अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अनक्लेम्ड डिपॉजिट पर कम ब्याज ही दिया जाए.