FD और RD में से आपके लिए कौन है बेस्ट? किसमें मिलेगा गारंटीड डबल मुनाफा? जानिए पूरा कैलकुलेशन

FD और RD दोनों ही सेफ और भरोसेमंद इनवेस्टमेंट ऑप्शन हैं.आपकी जरूरत, सेविंग का तरीका, और फाइनेंशियल गोल ये तय करते हैं कि आपको कौन सा ऑप्शन चुनना चाहिए.सलिए अपनी इनकम, प्लान और टाइम ड्यूरेशन को ध्यान में रखकर फैसला लें. जल्दबाज़ी में पैसा निकालने या प्लान बदलने से बचें और सोच-समझकर इनवेस्टमेंट करें, ताकि फ्यूचर में फायदा मिले.

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Fixed Deposit vs Recurring Deposits: FD और RD दोनों ही सेफ इनवेस्टमेंट माने जाते हैं और निश्चित रिटर्न देते हैं
नई दिल्ली:

अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए आजकल मार्केट में तरह-तरह के इन्वेस्टमेंट ऑप्शन मौजूद हैं. कुछ निवेश लोग जल्दी मुनाफा कमाने के लिए स्टॉक्स में करते हैं, वहीं दूसरों के लिए लंबी अवधि के लिए बैंक FD और RD जैसी स्कीम्स बेहतर विकल्प मानी जाती हैं.आज हम जानेंगे कि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) क्या हैं, इनकी खासियत क्या हैं और किस परिस्थिति में आपके लिए कौन सा ऑप्शन बेहतर रहेगा.

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) क्या है?

FD यानी फिक्स्ड डिपॉजिट एक ऐसा निवेश ऑप्शन है जिसमें आप एक बार में बड़ी रकम बैंक में जमा करते हैं  और उसे एक तय समय तक वहीं रहने देते हैं..इस दौरान बैंक आपको एक निश्चित ब्याज दर देता है, जिससे आपको गारंटीड रिटर्न मिलता है.

FD की अवधि आप अपनी जरूरत के हिसाब से चुन सकते हैं.ये 7 दिन से लेकर 10 साल तक हो सकती है. मैच्योरिटी पर आपको आपका पूरा पैसा ब्याज समेत वापस मिल जाता है. यही वजह है कि FD को कम जोखिम वाला और सुरक्षित निवेश माना जाता है.

FD क्यों है लोगों की पसंद?

फिक्स्ड डिपॉजिट को आज भी बहुत से लोग इसलिए चुनते हैं क्योंकि इसमें निश्चित और गारंटीड रिटर्न मिलता है. इसकी अवधि भी बहुत फ्लैक्सिबल होती है  आप चाहें तो सिर्फ 7 दिन से लेकर 10 साल तक के लिए निवेश कर सकते हैं. यह एक रिस्क‑फ्री इनवेस्टमेंट है, जिसमें आपका पैसा सुरक्षित रहता है. FD में ब्याज लेने के भी कई ऑप्शन होते हैं  आप चाहें तो मंथली, क्वार्टरली या मैच्योरिटी पर ब्याज ले सकते हैं.

इसके अलावा, जो लोग टैक्स सेविंग की प्लानिंग कर रहे हैं, उनके लिए 5 साल की लॉकइन अवधि वाली टैक्स‑सेविंग FD एक अच्छा विकल्प है. जरूरत पड़ने पर आप FD के बदले लोन भी ले सकते हैं. हालांकि ध्यान रखें कि अगर आप मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालते हैं तो उस पर पेनल्टी लग सकती है.

रिकरिंग डिपॉजिट (RD) क्या है?

RD उन लोगों के लिए एक बेहतरीन इनवेस्टमेंट ऑप्शन है जो हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम बचाकर फिक्स्ड रिटर्न पाना चाहते हैं. इसमें आपको हर महीने एक तय अमाउंट बैंक में जमा करना होता है और जब स्कीम की अवधि पूरी होती है, तब आपको आपकी जमा पूंजी के साथ ब्याज भी मिलता है. यह उन लोगों के लिए खासतौर पर अच्छा विकल्प है जिनके पास एक साथ बड़ी रकम नहीं होती, लेकिन वे डिसिप्लिन के साथ सेविंग करना चाहते हैं.

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RD की अवधि 6 महीने से लेकर 10 साल तक हो सकती है. इसमें ब्याज दर फिक्स होती है और FD जैसी ही होती है. यह भी एक सेफ और रिस्क-फ्री इनवेस्टमेंट माना जाता है. हां, अगर आप RD को मैच्योरिटी से पहले बंद करते हैं तो आपको कम ब्याज मिलता है और पेनल्टी भी लग सकती है.

FD और RD में क्या हैं समानताएं?

FD और RD दोनों ही सेफ इनवेस्टमेंट माने जाते हैं और निश्चित रिटर्न देते हैं. दोनों में निवेश पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है. आप चाहें तो दोनों में नॉमिनी जोड़ सकते हैं ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में रकम परिवार को आसानी से मिल सके. अगर आप जरूरत से पहले पैसा निकालते हैं, तो दोनों स्कीम्स में पेनल्टी लग सकती है.

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FD और RD में अंतर

FD में आप एक बार बड़ी राशि जमा कर देते हैं और ब्याज पूरे उस राशि पर काम करता है. वहीं RD में आप मासिक छोटे‑छोटे निवेश करते हैं और जमा राशि बढ़ने के साथ ब्याज भी बढ़ता है. FD में आप महीने‑महीने या तिमाही तौर पर ब्याज ले सकते हैं जबकि RD में आमतौर पर ब्याज और जमा राशि मैच्योरिटी पर ही मिलते हैं. FD को मैच्योरिटी के बाद आप फिर से निवेश कर सकते हैं, RD को नियमित चालू रखना जरूरी होता है.

कौन‑सा विकल्पआपके लिए बेहतर हो सकता है?

अगर आपके पास जमा करने के लिए एक बड़ी रकम मौजूद है और आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो FD बेहतर साइड लेता है क्योंकि ब्याज दर थोड़ी ज्यादा हो सकती है और आप राशि एक बार में लॉक कर सकते हैं. वहीं यदि आप नियमित मासिक बचत करना चाहते हैं और टारगेटेड इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं जैसे ट्रैवेल, एजुकेशन या इमरजेंसी फंडतो RD आपकी बैलेंस इनकम के अनुसार बढ़ने वाला विकल्प हो सकता है.

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