दिवाली से पहले लाखों किसानों को दिवाली का बड़ा तोहफा मिला है. खेती में सिंचाई के लिए उन्हें पंप लगवाने में बहुत ही कम पैसे खर्च करने होंगे. अगर उन्हें 2 लाख रुपये का पंप लेना है तो इसके लिए उन्हें केवल 20,000 रुपये ही लगाने होंगे. बाकी 1,80,000 रुपये सरकार अनुदान के तौर पर देगी. PM-KISAN की 21वीं किस्त का इंतजार भले ही खत्म न हुआ हो, लेकिन लाखों किसानों के लिए ये दिवाली तोहफे से कम नहीं. ये तोहफा दिया है मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने. एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार को ऐलान किया कि 'सोलर पंप' लगाने के लिए किसानों को दिया जाने वाला अनुदान 40 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी किया जाएगा.
यानी किसानों को एक लाख रुपये के खर्च पर 90 हजार का अनुदान मिलेगा. 5 एचपी के सोलर पंप की बाजार में कीमत 1.80 लाख रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक है. अगर कोई किसान इनमें से 2 लाख का कोई सोलर पंप लेता है, तो उसे पहले तो 2 लाख रुपये लगेंगे, लेकिन अनुदान के तौर पर 1.80 लाख रुपये मिल जाएंगे. यानी कि उस किसान को अपनी जेब से महज 20 हजार रुपये ही खर्च करने होंगे.
'जिनके पास 5 एचपी के पंप, उन्हें 7.5 एचपी का मिलेगा'
उन्होंने किसानों से अस्थाई बिजली कनेक्शन के खर्च से छुटकारा पाने के लिए सौर ऊर्जा अपनाने की अपील की. मुख्यमंत्री ने कहा,'सूखे खेत में पानी पहुंचने पर फसल सोना बन जाती है. हम यह पक्का करेंगे कि राज्य के हर खेत को पानी मिले.' उन्होंने कहा, 'किसानों को अब सोलर पावर पंप लगाने के लिए 90 फीसदी अनुदान मिलेगा जो पहले 40 फीसदी था.' कहा कि किसानों को उनके मौजूदा पंप से एक कदम ज्यादा क्षमता का सोलर पंप मिलेगा - जिनके पास तीन एचपी पंप हैं, उन्हें पांच एचपी सोलर पंप मिलेंगे, जबकि जिनके पास 5 एचपी पंप हैं उन्हें 7.5 एचपी सोलर पंप मिलेंगे.
'अतिरिक्त बिजली बनाकर सरकार को बेच सकते हैं किसान'
CM ने कहा कि किसानों को अनुदान पर 32 लाख सोलर पंप दिए जा रहे हैं, जिससे वे अतिरिक्त बिजली बनाकर सरकार को बेच सकें. उन्होंने कहा कि राज्य ने अपने सिंचाई वाले क्षेत्र को 52 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाया है और 100 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा बड़ी नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं के जरिए सिंचाई की सुविधाओं को बढ़ाना है, जिसमें राजस्थान के साथ पार्वती-कालीसिंध-चंबल, उत्तर प्रदेश के साथ केन-बेतवा और महाराष्ट्र के साथ तापी मेगा रिचार्ज परियोजना शामिल हैं.
'राज्य की GDP में किसानों की हिस्सेदारी 39 फीसदी'
राज्य की अर्थव्यवस्था में खेती की भूमिका पर ज़ोर देते हुए, यादव ने कहा, 'हमारे किसान भाइयों की कड़ी मेहनत के कारण मध्यप्रदेश की जीडीपी में खेती का हिस्सा 39 फीसदी से ज्यादा है.' उन्होंने सोयाबीन किसानों के लिए 'भावांतर' योजना से जुड़े किसानों के धन्यवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'हमारे किसान भाई मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. सरकार का हर फैसला उनकी भलाई को ध्यान में रखकर लिया जाता है.' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने और उनकी आर्थिक हालत को मजबूत करने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है.
मुख्यमंत्री के मुताबिक, राज्य अनाज, दालें, तिलहन, फल और सब्जियों के उत्पादन में देश में सबसे आगे है, जबकि संतरे, मसाले, लहसुन, अदरक और धनिया के उत्पादन में नंबर एक है. सरकार पहली बार सोयाबीन को भावांतर योजना के तहत लाई है. यादव ने कहा, 'हमारा इरादा है कि किसान को उसका हक मिले, इससे पहले कि उसका पसीना सूख जाए.' उन्होंने इस योजना को सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि सरकार और किसानों के बीच भरोसे का रिश्ता बताया.