दुनिया की कई बड़ी हस्तियों ने उस ओपन लेटर पर साइन किया है जिसमें अपील की जा रही है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर हो रहे बड़े बड़े प्रयोगों को रोकने के लिए आग्रह किया जा रहा है. इसमें कहा गया है कि इससे मानवता और समाज के सामने बड़ा खतरा खड़ा हो रहा है. कहा जा रहा है कि इसके प्रयोग में सावधानी को बरता नहीं जा रहा है. पहले ही आशंका जताई जा रही थी कि इसके बढ़ते प्रयोग के चलते समाज और मानवता पर खतरा बढ़ेगा इसलिए यह आवश्यक है कि इसे सावधानी के साथ प्रयोग में लाया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. अब यह प्रतिस्पर्धा इस स्तर तक पहुंच रही है जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता है. साथ ही, इससे बड़ी बात यह है कि एआई का विकास इतना हो रहा है कि इसका निर्माता भी इसे काबू में करने में सक्षम नहीं हो रहा है.
यह अपील फ्यूचर ऑफ लाइफ इंस्टीट्यूट ( Future of Life Institute) ने की है. यह एक कैम्ब्रिज आधारित एनजीओ है. ये संस्था आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रिस्पांसिबल और एथिकल डेवलपमेंट पर कैंपेन चलाती है. संस्था ने कहा है कि कम से कम अभी छह महीने के लिए इस पर रोक लगनी चाहिए. संस्था ने कहा कि चैटजीपीटी 4 से ज्यादा विकसित और कोई एआई टूल अभी न बनाया जाए.
देखा जा रहा है कि अब एआई आम लोगों को कामों को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है. साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि अब यह समय आ गया है कि हमें यह सोचना होगा कि इस प्रयोग कितना उचित है. हमें सोचना होगा कि क्या हमारे सारे काम एआई कर देगा. क्या हमें अब यह विचार नहीं करना चाहिए कि एआई इस स्तर पर पहुंच रहा है कि वह मानवों से ज्यादा तेज, समझदार, और संख्या में ज्यादा हो जाएगा और पूरी तरह से मानवों पर से निर्भरता समाप्त कर देगा. क्या यह इस स्तर पर आ जाएगा कि हमारे समाज के लिए खतरा बन जाएगा.
इसलिए यह जरूरी है कि अभी इस पर रोक लग जानी चाहिए. साथ ही इसका विकास तब ही किया जाना चाहिए जब हम इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाएं कि यह मानवता के लिए खतरा न रहे, इसे मानव अपने नियंत्रण में ही रख सकेंगे. इसका प्रयोग मानवता के हित के लिए ही होगा और जो भी खतरा संभावित होगा उसे संभाला जा सकेगा.
इस अपील पर एलन मस्क के अलावा एपल के को-फाउंडर स्टीव वोजनाइक, स्काइप के को-फाउंडर, पिनटरेस्ट के को-फाउंडर के साथ साथ कई यूनिवर्सिटियों के प्रोफेसरों ने भी साइन किया है. खबर लिखे जाने तक 1377 लोग इस अपील पर दस्तखत कर चुके थे.
गौरतलब है कि चैटजीपीटी और गूगल के बार्ड के बाजार में आने के बाद से यह चर्चा और जोर से हो रही है. चैटजीपीटी का प्रयोग स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों के अलावा बहुत सारे कामों के लिए होने लगा है. जानकारी के लिए बता दें कि चैटजीपीटी जैसे एआई वाले टूल के आने के बाद इसके खिलाफ टूल बनाने वाले लोग भी काफी सक्रिय हो चुके हैं और उन्होंने भी अपने अपने टूल विकसित कर लिए हैं.