PAN और आधार जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट्स को DigiLocker में रखें सेफ, खोने की नहीं होगी चिंता

अगर आप DigiLocker इस्तेमाल कर रहे हैं तो फिर चिंता की कोई बात नहीं. आप सिर्फ इंटरनेट और सिक्योर लॉगिन की मदद से दुनिया में किसी भी कोने से अपने इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट को एक्सेस कर सकते हैं.

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DigiLocker में रखी गई फाइलें इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के मुताबिक कानूनी रूप से मान्य हैं.
नई दिल्ली:

हाल ही में आपने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ते देखा है. ऐसे समय में सवाल उठता है कि आपने इन हालातों के लिए पहले से क्या तैयारी की है. क्योंकि चाहे वॉर हो, कोई प्राकृतिक आपदा हों या साइबर अटैक हो पर्सनल सिक्योरिटी के लिए अपने जरूरी डॉक्यूमेंट को किसी सुरक्षित जगह पर सहेज कर रखना बहुत जरूरी है. ऐसे समय पर डिजिलॉकर (DigiLocker) काम आता है.

आप अपने पैन कार्ड, आधार नंबर, बैंक पासबुक, इंश्योरेंस पॉलिसी और प्रॉपर्टी के कागजात डिजिलॉकर में रख कर टेंशन फ्री हो सकते हैं. ना तो फिर इनके खोन का डर होगा और न गिरने का.

डिजिलॉकर क्या है? (What is DigiLocker?)

डिजिलॉकर एक क्लाउड-बेस्ड प्लेटफॉर्म है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डेवलप किया है. डिजिलॉकर भारतीय नागरिकों को जरूरी डॉक्यूमेंट के डिजिटल वर्जन को स्टोर और एक्सेस करने की इजाजत देता है. यह यूजर के आधार नंबर से जुड़ा होता है और इसे डॉक्यूमेंट को स्टोर करने के साथ-साथ ऑथेंटिकेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. पैन कार्ड, वोटर कार्ड, ऑटोमोबाइल के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और यूनिवर्सिटी की डिग्री तक

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आप सभी जरूरी कागजात डिजिलॉकर में स्टोर करके रख सकते हैं. यह एक सिक्योर डिजिटल वॉल्ट की तरह काम करता है, जिससे फिजिकल कॉपी की जरूरत खत्म हो जाती है.अगर कोई सरकारी विभाग इस प्लेटफॉर्म से जुड़ा है, तो वे आपके डॉक्यूमेंट को सीधे आपके लॉकर में इश्यू कर सकते हैं. यानी ऐसे में आपको इन डॉक्यूमेंट को स्कैन करने या अपलोड करने की जरूरत नहीं होगी.

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डिजिलॉकर क्यों जरूरी है?

वॉर, भूकंप या लार्ज स्केल पर साइबर अटैक जैसी स्थितियों के दौरान डिजिलॉकर की जरूरत और भी साफ नजर आती है. मान लीजिए किसी आपात स्थिति में अगर आपको जल्दबाजी में अपना परिसर खाली करना पड़ता है, तो ऐसे में सभी जरूरी डॉक्यूमेंट को ढूंढ़कर बाहर निकलना एक कठिन काम है. लेकिन अगर आप डिजिलॉकर इस्तेमाल कर रहे हैं तो फिर चिंता की कोई बात नहीं. आप सिर्फ इंटरनेट और सिक्योर लॉगिन की मदद से दुनिया में किसी भी कोने से अपने इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट को एक्सेस कर सकते हैं.

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लीगल वैलिडिटी और डेटा सेफ्टी

डिजिलॉकर में रखी गई फाइलें इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के मुताबिक कानूनी रूप से मान्य हैं. सरकारी विभाग और संस्थान वैलिड एविडेंस के तौर पर इन्हें स्वीकार करते हैं. यानी ये ओरिजनल पेपर डॉक्यूमेंट की तरह ही वैलिड हैं.

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डिजिलॉकर अकाउंट खोलने के लिए क्या चाहिए?

डिजिलॉकर में अकाउंट खोलने के लिए आपको बस एक मोबाइल नंबर और आधार कार्ड की जरूरत होती है. सरकारी वेबसाइट या डिजिलॉकर मोबाइल एप्लिकेशन से आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. रजिस्ट्रेशन के बाद, यूजर्स अपने जरूरी डॉक्यूमेंट की स्कैन की गई कॉपी अपलोड कर सकते हैं या सरकार द्वारा जारी डिजिटल सर्टिफिकेट सीधे लॉकर में ले सकते हैं.
 

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