Gold Rally Reasons: इन 5 कारणों से लगातार बढ़ रहा सोना, क्‍या 'गोल्‍ड' में निवेश का यही है सही समय? Expert कमेंट

Gold Buy or Sell: निवेशक अब इस उधेड़बुन में हैं कि उन्हें सोना बेचना चाहिए, रखना चाहिए या और ज्‍यादा खरीदना चाहिए. इसका जवाब दे रहे हैं केडिया एडवायजरी के एमडी अजय केडिया.

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सोने की कीमतें लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही है. मजबूत मैक्रो और जियो-पॉलिटिकल फैक्‍टर्स के चलते गोल्‍ड में रैली लगातार जारी है. बुधवार को MCX यानी मल्‍टी कमोडिटी एक्‍सचेंज पर सोना 1,14,179 रुपये/10 ग्राम का रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया. वहीं, दिल्ली सर्राफा बाजार में मंगलवार को सोना 2,700 रुपये उछलकर 1,18,900 रुपये/10 ग्राम के भाव पर पहुंच गया था. पिछले 5 सालों में, कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिकी टैक्स और दूसरी जियो-पॉलिटिकल परेशानियों ने भारत और दुनिया भर में सोने के दामों पर असर डाला है. कीमतें बढ़ने के बावजूद, सोने की मांग में कोई कमी नहीं आई है.

सोने में तेजी की 5 बड़ी वजहें 

सोने के भाव में लंबे समय से तेजी जारी है. केडिया एडवायजरी के एमडी अजय केडिया ने बताया कि यूएस फेड की ढील, ETF निवेश, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और भू-राजनीतिक जोखिमों ने सोने की रिकॉर्ड-तोड़ रैली के लिए एक मजबूत आधार बनाया है. पिछले एक साल में, सोने की कीमतों में 50% से अधिक की वृद्धि हुई है, जिसे रुपये की कमजोरी का भी समर्थन मिला है.  

  • अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद: अमेरिका में दरों में बड़ी कटौती की उम्मीदों ने सोने को एक सुरक्षित निवेश के रूप में बढ़ावा दिया है. फेड गवर्नर स्टीफन मिरन ने चेतावनी दी है कि मौजूदा मॉनिटरी पॉलिसी सख्त है, जिससे जॉब मार्केट को खतरा है. 
  • निवेशकों का भरोसा: CME फेडवॉच टूल के अनुसार, अक्टूबर में ब्याज दर में कटौती की 90% और दिसंबर में 73% संभावना है. कम ब्याज दरों की उम्मीद ने गैर-लाभकारी संपत्ति के रूप में सोने की अपील को बढ़ाया है.
  • जियो-पॉलिटिकल टेंशन: सोने की तेजी के पीछे जियो-पॉलिटिकल टेंशन एक बड़ी वजह रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-गजा युद्ध ने पिछले कुछ समय में खासा तनाव बढ़ाया है. नाटो द्वारा रूस के एस्टोनियाई हवाई क्षेत्र के उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई करने की घोषणा ने भी सोने की कीमतों को और समर्थन दिया.
  • ETF और केंद्रीय बैंकों की मांग: केंद्रीय बैंक लगातार अपना गोल्‍ड रिजर्व बढ़ा रहे हैं. एनडीटीवी प्रॉफिट पिछले हफ्ते ETF में निवेश तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जबकि केंद्रीय बैंकों ने भी 63 टन सोना खरीदा.
  • मांग में बदलाव: ब्रिटेन में मौसमी कमजोरी अब खत्म हो रही है, जिससे मांग बढ़ रही है. भारत में भी त्योहारों की वजह से मांग है, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी के कारण यह सीमित है. हालांकि चीन का अगस्त में सोने का आयात 3.4% घटकर 97.58 मीट्रिक टन हो गया, जो भौतिक मांग में थोड़ी कमी को दर्शाता है.

बेचें या खरीदें, क्‍या करें निवेशक? 

2020 से, सोने की कीमत हर साल भारत में 20% और दुनिया में 17% बढ़ी है. बढ़ते भाव से निवेशकों को भी खूब फायदा हुआ है. निवेशक अब इस उधेड़बुन में हैं कि उन्हें सोना बेचना चाहिए, रखना चाहिए या और ज्‍यादा खरीदना चाहिए. अजय केडिया ने बताया कि पिछले पांच साल में सोने के भाव पर नजर डालें तो ये 2020 की तुलना में करीब 112 % तक बढ़ी हैं. 19 सितंबर, 2020 को 24 कैरेट सोने का भाव ₹51,619/10 ग्राम था, जो कि अब ₹1,09,388 है.

वहीं, पिछले 20 सालों में सोने की कीमतें 1200% तक बढ़ी हैं. 2005 में सोने का दाम ₹7,638 था, जो 2025 में अब तक ₹1,14,179 पहुंच गया. इसी वर्ष सोना अब तक 48 फीसदी से ज्‍यादा रिटर्न दे चुका है. इसी वजह से निवेश के लिए ये एक भरोसेमंद विकल्प बन गया है. उन्‍होंने ये भी कहा कि जोखिम-पसंद माहौल के कारण, सावधानी बरतना उचित है, क्योंकि सोने में 8-10% की तकनीकी गिरावट या समय सुधार से इनकार नहीं किया जा सकता है.

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