'Buy Now, Pay Later' आपको बना रहा है कंगाल! जेब पर डाल रहा है बड़ा असर, आप भी कर रहे हैं ये गलती?

Buy Now Pay Later Pros and Cons: जब हम कुछ खरीदते हैं, तो थोड़ा झिझकते हैं. लेकिन BNPL उस झिझक को खत्म कर देता है. फिर आप एक के बाद एक चीज EMI पर खरीदते जाते हैं.

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हर बार जब आप BNPL से बचते हैं और खुद पैसे जमा करते हैं, आप फाइनेंशियल स्ट्रेंथ बना रहे होते हैं.
नई दिल्ली:

“सिर्फ 2000 रुपए का सामान है, अगले महीने दे दूंगा”...Buy Now Pay Later (BNPL) के जरिये बिना पेमेंट किए अभी सामान ले जाओ और बाद में EMI में चुकाओ. सुनने में तो ये स्मार्ट तरीका लगता है, लेकिन असल में ये आपकी जेब और दिमाग दोनों पर धीरे-धीरे असर करता है. शुरुआत में लगता है कि बिना इंटरेस्ट के EMI मिल रही है. बिना पेपरवर्क, मोबाइल से ही सब कुछ हो रहा है. 

लेकिन इस सिस्टम के पीछे छिपी चाल बहुत सॉफ्ट और साइलेंट होती है. और जब तक समझ आता है, तब तक कई EMIs सिर पर चढ़ चुकी होती हैं.

BNPL क्यों बन सकता है आपके लिए खतरा?

इससे आपके खर्च करने की आदत बदल जाती है. BNPL का इस्तेमाल करते समय आप खुद से ये पूछना छोड़ देते हैं कि “क्या मैं ये खरीद सकता हूं?” अब आप ये सोचने लगते हैं कि “क्या मैं इस महीने की EMI चुका सकता हूं?” ये बदलाव छोटा लगता है, लेकिन असर बड़ा करता है. जब हम कुछ खरीदते हैं, तो थोड़ा झिझकते हैं. लेकिन BNPL उस झिझक को खत्म कर देता है. फिर आप एक के बाद एक चीज EMI पर खरीदते जाते हैं.

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छोटी EMI चूक भी बिगाड़ सकती है आपकी क्रेडिट हिस्ट्री 

BNPLको हल्के में न लें . ये कोई खेल नहीं है. ये आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में जाता है. अगर आप 499 रुपए की भी कोई EMI चूक जाते हैं, तो शायद कोई फोन न आए, लेकिन CIBIL स्कोर गिर जाता है. और जब स्कोर गिरता है, तो उसका असर सिर्फ लोन पर नहीं, बल्कि आपकी पूरी फाइनेंशियल लाइफ पर पड़ता है .जैसे ज्यादा इंटरेस्ट रेट, कम क्रेडिट लिमिट, और कई जगह रिजेक्शन.

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लेट फीस से धीरे-धीरे काटती है आपकी जेब

आपने सोचा था सिर्फ 1999 रुपए की EMI है. लेकिन एक लेट फीस 100 रुपए, फिर 300 रुपए और धीरे-धीरे वही EMI 2599 रुपए बन जाती है. ये कोई आज़ादी नहीं है. ये जबरन जेब कटवाने जैसा है, जो बहुत धीरे से बिना आवाज के चलता रहता है.

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BNPL ऐसे बन जाती है आपकी आदत 

भले इसकी शुरुआत एक शर्ट से होती है. फिर मोबाइल, फिर फूड ऐप्स पर भी वही ऑप्शन. धीरे-धीरे आप हर चीज के लिए उधारी को नॉर्मल मानने लगते हैं. अब आप जरूरत नहीं, चाहत के लिए उधार ले रहे होते हैं. ये तरीका आपको आगे नहीं, हमेशा एक कदम पीछे ही रखता है.

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इस आदत से कैसे बाहर निकल सकते हैं?

आपको किसी ऐप, ट्रेंड या इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर को खुश करने की जरूरत नहीं है. आपको खुद के दिमाग की शांति के लिए फैसले लेने की जरूरत है. और उसकी शुरुआत इसी BNPL चक्र को तोड़ने से होती है.

पहले खुद से सच्चाई पूछिए, कितनी BNPL EMIs अभी आपके नाम पर चल रही हैं? 2? 5? या आप गिनती ही भूल चुके हैं?अपनी ऐप्स खोलिए, ईमेल देखिए, और एक लिस्ट बनाइए. जब तक आप खुद जानेंगे नहीं, तब तक सुधार मुमकिन नहीं.

जो चुका सकते हैं, वो तुरंत चुकाइए

अगर अभी तक कोई EMI ड्यू नहीं हुई है, तो मत रुकिए. उस 1800 रुपए वाले स्नीकर्स की किश्त खत्म कर दीजिए. उस तीसरे ईयरबड का लोन बंद कर दीजिए. हर EMI सिर्फ एक बकाया नहीं होती, वो दिमाग पर एक खुला टैब होती है. उसे बंद कीजिए. दिमाग को हल्का कीजिए.

“कैसे खरीदूं?” के बजाय “क्या वाकई चाहिए?” ये सोचें

अगर किसी 2500 रुपए की चीज को EMI में खरीदना पड़ रहा है, तो शायद वो उतनी जरूरी नहीं है. और अगर ज़रूरी नहीं है, तो रुक सकती है. यही सोच आपको पछतावे से बचा सकती है. हर बार जब आप BNPL से बचते हैं और खुद पैसे जमा करते हैं, आप फाइनेंशियल स्ट्रेंथ बना रहे होते हैं. ये फीलिंग किसी भी इंस्टैंट चेकआउट से बेहतर होती है.

आप इस सिस्टम के जाल में फंसे, क्योंकि वो बिना रुकावट के बना है. इसका मकसद ही है कि आपको गलती का एहसास न हो.  गिल्ट मत रखिए, लेकिन आगे के लिए होशियार बनिए. उधारी से बचना, असल में कंट्रोल वापस लेना है. और जब ये कंट्रोल एक बार आपके हाथ आता है, तो वो अमूल्य होता है. 
 

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