आजकल अपनी फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग अक्सर पर्सनल लोन ले लेते हैं. कई बार बैंक और NBFC (Non-banking financial institutions) पर्सनल लोन के लिए एप्लीकेंट से ब्लैंक चेक की डिमांड करते हैं, जबकि यह मेंडेटरी यानी अनिवार्य नहीं होता है. बता दें कि ब्लैंक चेक (Blank cheque) सिर्फ एक साइन किया हुआ चेक होता है, जिस पर बाकी जानकारी जैसे कि अमाउंट या रेसिपिएंट का नाम नहीं लिखा होता है.
पर्सनल लोन (Personal Loan) लेते समय ब्लैंक चेक की जरूरत को समझना एक स्मूथ अप्रूवल और क्विक डिसबर्समेंट में आपकी मदद कर सकता है.जैसा कि आपको पता है कि एक ब्लैंक चेक में केवल अकाउंट होल्डर के सिग्नेचर होते हैं और payee की कोई जानकारी या अमाउंट नहीं लिखा होता है.कभी-कभी तारीख भी इसमें लिखते हैं. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि रेसिपिएंट ही payee का नाम और अमाउंट बाद में भरता है.
पर्सनल लोन के लिए ब्लैंक चेक अनिवार्य नहीं
पर्सनल लोन के लिए ब्लैंक चेक अनिवार्य नहीं है, लेकिन कुछ बैंक या NBFC अपनी पॉलिसी के मुताबिक, आपसे इसकी मांग कर सकते हैं.दरअसल कुछ बैंक और NBFC सिक्योरिटी के तौर पर पर्सनल लोन के लिए ब्लैंक चेक मांगते हैं. यह बैंक या NBFC के निर्धारित नियमों और शर्तों पर निर्भर हो सकता है. बैंक ड्यू डेट पर ब्लैंक चेक को भर कर इनकैश करा सकते हैं, इससे उनका रिस्क कम हो जाता है.
बैंक आपसे ब्लैंक चेक की डिमांड क्यों करता है?
कई बार बैंक आपसे इसलिए ब्लैंक चेक की डिमांड करते हैं कि अगर आप समय पर पेमेंट नहीं कर सके तो वे अपना लोन अमाउंट रिकवर कर सकें. डिफॉल्ट की स्थिति में, बैंक या NBFC लोन लेने वाले के बैंक अकाउंट से बकाया रकम पाने के लिए इस चेक का इस्तेमाल कर सकते हैं.बैंकों को यह भरोसा दिलाने के लिए कि उनका पैसा नहीं डूबेगा, ब्लैंक चेक जरूरी होता है. हालांकि डिजिटल बैंकिंग ट्रांजैक्शन ने चेक को रिप्लेस कर दिया है, फिर भी कई फाइनेंशियल ऑर्गनाइजेशन पेमेंट मिस हो जाने की स्थिति में बैक-अप ऑप्शन के तौर पर चेक का इस्तेमाल करना जारी रखे हुए हैं.
अगर आप सिक्योर्ड पर्सनल लोन जैसे कि गोल्ड लोन लेते हैं तो बैंक को ब्लैंक चेक की जरूरत नहीं हो होती है, क्योंकि सिक्योरिटी के तौर पर उनके पास पहले से ही आपका गोल्ड गिरवी पड़ा है.
ब्लैंक चेक का हो सकता है गलत इस्तेमाल
लेकिन यह याद रखें कि अगर कोई ब्लैंक चेक जिस पर रेसिपिएंट का नाम या अमाउंट नहीं लिखा है, गलत हाथों में चला गया तो उसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है. इसलिए ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए बैंक या NBFC को दिए गए हर चेक की एक कॉपी या रिकॉर्ड अपने पास रखें.आज के समय में ज्यादातर लोन देने वाली कंपनियां ECS या NACH ऑटो-डेबिट मैंडेट का इस्तेमाल करती हैं, जिसकी मदद से वो ब्लैंक चेक के बिना आपके बैंक अकाउंट से EMI की रकम ऑटोमैटिक निकाल सकती है.