Explainer: विदेश में खर्चों पर लगेगा 20% टैक्स! 1 अक्टूबर से अब इस तरह होगा TCS का कैलकुलेशन

LRS यानी Liberalised remittance scheme के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक वित्त वर्ष में 2,50,000 डॉलर तक के खर्च की अनुमति देता है. LRS के तहत नए TCS रेट का पहली बार जिक्र 2023 के बजट में हुआ था.

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

1 अक्टूबर से LRS (Liberalised remittance scheme) के तहत 7 लाख रुपये से ज्यादा विदेश में खर्च करने पर ज्यादा TCS लग सकता है. ये TCS रेट 5% से 20% तक हो सकता है. सिर्फ मेडिकल और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए किए गए खर्च में ये कम रह सकता है.

LRS के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक वित्त वर्ष में 2,50,000 डॉलर तक के खर्च की अनुमति देता है. LRS के तहत नए TCS रेट का पहली बार जिक्र 2023 के बजट में हुआ था.

नई दरों से मेडिकल और एजुकेशन खर्चों में कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन इसका असर उन लोगों पर पड़ेगा, जो रियल एस्टेट, बॉन्ड्स और स्टॉक में भारत के बाहर निवेश करते हैं. इस रेट का असर टूर पैकेज और नॉन रेसिडेंट्स इंडियंस को भेजे जाने वाले गिफ्ट पर भी होगा.

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इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 206C का सब सेक्शन 1G LRS ट्रांजैक्शंस और विदेश टूर पैकेज पर TCS कलेक्शन का अधिकार देता है.

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ओवरसीज ट्रैवल पैकेज में क्या-क्या आएगा?

इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा कि ओवरसीज टूर प्रोग्राम पैकेज में ऐसा कोई भी टूर पैकेज आएगा, जिसमें व्यक्ति भारत के बाहर किसी एक या उससे ज्यादा देश जाता है. इसमें सफर, होटल, बोर्डिंग, सामान ले जाने या इसी तरह का कोई भी अन्य खर्च शामिल होगा.

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लेकिन अगर कोई व्यक्ति खुद अपने लिए टिकट खरीदता है या सिर्फ होटल बुकिंग करता है, तो उसे 'ओवरसीज टूर पैकेज में शामिल नहीं किया जाएगा.'

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CBDT की ओर से जारी एक सर्कुलर के मुताबिक, ओवरसीज ट्रैवल पैकेज में इनमें से कम से कम दो चीजें शामिल होंगी:

इंटरनेशनल ट्रैवल टिकट
होटल में रहना (खाने के साथ या बिना खाने के)
इसी तरह का कोई अन्य खर्च


TCS फाइनल नहीं है: वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने साफ किया है कि TCS फाइनल नहीं है, मतलब टैक्सपेयर्स भुगतान किए गए TCS के लिए क्रेडिट भी क्लेम कर सकते हैं और इसे अपनी इनकम पर लगने वाले टैक्स पेमेंट के तौर पर दर्शा सकते हैं. यहां तक कि इसे संबंधित व्यक्ति के एडवांस टैक्स पेमेंट के तौर पर भी एडजस्ट किया जा सकता है.

लेकिन फौरी तौर पर व्यक्ति के कैश फ्लो पर इसका असर पड़ सकता है.

मेडिकल/शैक्षणिक उद्देश्य में क्या शामिल?
मामले से जुड़े RBI सर्कुलर के मुताबिक, मेडिकल उद्देश्य में मेडिकल ट्रीटमेंट, मेडिकेशन की कीमत और दूसरे दैनिक खर्च शामिल हैं. साथ ही मेडिकल ट्रेवल के लिए खरीदी गईं ओवरसीज टिकट को भी छूट दी गई है, इसमें बीमार व्यक्ति और उसके अटेंडेंट की टिकट शामिल हैं.

इसी तरह एजुकेशनल पर्पज में विदेश में पढ़ाई करने वाले व्यक्ति के लिए खरीदी गईं टिकट, ट्यूशन और दूसरी फीस के साथ-साथ दैनिक खर्चों के लिए भेजा गया पैसा शामिल है.

कैसे तय होगी दर
7 लाख रुपये की सीमा के आधार पर विभाजित LRS के तहत रेमिटेंस पर टैक्स कैलकुलेशन कुछ इस तरह होगा.

LRS के तहत लगने वाले TCS में 7 लाख रुपये की सीमा एक वित्त वर्ष के लिए कैलकुलेट होगी. इसमें रेमिटेंस का उद्देश्य कुछ भी हो, इसे एक साथ ही जोड़ा जाएगा.
इसलिए अगर किसी एक उद्देश्य के लिए ये सीमा खत्म हो गई हो, तो LRS के तहत सभी तरह के रेमिटेंस पर, चाहे वो 1 अक्टूबर, 2023 के पहले हो या बाद में, उस पर तय रेट के हिसाब से TCS लगाया जाएगा.

LRS के तहत 7 लाख रुपये की सीमा रेमिटर पर आधारित है, ना कि ऑथराइज्ड डीलर पर
रेमिटर द्वारा LRS के तहत रेमिटेंस का रियल टाइम अपडेट मैकेनिज्म अभी बनने की प्रक्रिया में है. लेकिन मंत्रालय ने कहा है कि रेमिटर, रेमिटेंस के पहले इसके लिए ऑथराइज्ड डीलर से अंडरटेकिंग ले सकता है, जिसके जरिए बीते वित्त वर्ष में अपनी रेमिटेंस संबंधी जानकारी को घोषित किया जा सकता है. किसी ओवरसीज टूर प्रोग्राम पैकेज को खरीदने के बाद भी यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है.

अपने स्पष्टीकरण सर्कुलर में मंत्रालय ने कहा, 'अगर अंडरटेकिंग में दी गई जानकारी के आधार पर ऑथराइज्ड डीलर सही तरीके से TCS कलेक्ट करता है, तो भी उन्हें डिफॉल्ट तौर पर 'एसेसी' नहीं माना जाएगा. लेकिन अगर अंडरटेकिंग में कोई गलत जानकारी दी गई है, तो कानून के मुताबिक रेमिटर के खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जा सकती है.'

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