दिल्ली की पहचान कुतुब मीनार, जानें ऐतिहासिक इमारत के बारे में 10 रोचक तथ्य

पांडव काल से लेकर मुगल काल और वर्तमान समय तक दिल्ली ने राजधानी के तौर पर अपनी पहचान कायम रखी है. दिल्ली में कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं लेकिन दिल्ली की असली पहचान कुतुब मीनार से होती है.

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कुतुब मीनार के बारे में 10 रोचक तथ्य

दिल्ली को दिल वालों की दिल्ली के नाम से जाना जाता है. महाभारत काल में दिल्ली को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था और पांडवों के समय में इंद्रप्रस्थ ही राजधानी थी. पांडव काल से लेकर मुगल काल और वर्तमान समय तक दिल्ली ने राजधानी के तौर पर अपनी पहचान कायम रखी है. दिल्ली में कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं लेकिन दिल्ली की असली पहचान कुतुब मीनार से होती है.

अगर आप दिल्ली घूमने आए हैं तो आपको कुतुब मीनार जरूर घूमना चाहिए. कुतुब मीनार ईंट से बनी बेहतरीन विरासत स्थल है साथ ही साथ ये इंडो इस्लामिक आर्किटेक्चर का पहला और बेजोड़ नमूना है. आज हम आपको कुतुब मीनार के बारे में 10 ऐसे रोचक तथ्य बताने वाले हैं जो आपने पहले कभी नहीं सुना होगा.

1- जीत का जश्न मनाने के लिए बनवाया गया कुतुब मीनार

कुतुब मीनार का निर्माण 1192 में कुतुब-उद-दीन ऐबक ने करवाया था. कुतुब-उद-दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली पर अंतिम हिंदू शासक पर विजय के बाद करवाया था. तो एक तरह से कुतुब मीनार कुतुब-उद-दीन ऐबक की जीत को चिन्हित करने वाला स्मारक है. हालांकि कुतुब-उद-दीन ऐबक ने सिर्फ निर्माण की आधारशिला रखी थी. उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने तीन मंजिलें जोड़ीं और उसके बाद फिरोज शाह तुगलक ने पांच मंजिले बनवाई. कुतुब मीनार 72.5 मीटर ऊंची ऐतिहासिक मीनार है और साथ ही साथ भारत की सबसे ऊंची ईंट मीनार है.

2- पूजा स्थल नहीं

कुतुब मीनार कोई पूजा स्थल नहीं और न ही इसके अंदर किसी प्रकार की इबादत होती है बल्कि कुतुब मीनार को जीत का जश्न मनाने के लिए बनवाया गया था. इस ऐतिहासिक इमारत को जीत और अधिकार के प्रतीक के रूप में बनाया गया था.

3- कुतुब मीनार को 800 साल पहले बनवाया गया था

दिल्ली में स्थापित कुतुब मीनार को करीब 800 साल पहले बिना क्रेन, कंक्रीट और बुलडोजर के बनाया गया था. ये अब भी दिल्ली की सबसे ऊंची इमारत में से एक है.

4- कुतुब मीनार को दो लिपियों में सजाया गया

मीनार की सतह पर अरबी में कुरान की आयतें उकेरी गई हैं. अगर आप वहां ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे की कुतुब मीनार में नागरी लिपि भी है. लिपियों का यह मिश्रण दर्शाता है कि दिल्ली सल्तनत न केवल अपने शासन का विस्तार करती रही बल्कि कला के माध्यम से संस्कृतियों के मिश्रण को भी आगे बढ़ाती रही.

5- लौह स्तंभ में 1600 साल से नहीं लगी जंग

कुतुब मीनार के पीछे ही 7 मीटर ऊंचा लौह स्तंभ है जो करीब 1600 साल पहले चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन के दौरान स्थापित किया गया था और बाद में इसे यहां स्थापित किया गया. इस लौह स्तंभ की खासियत ये है कि इतने सालों तक खुले में होने के बावजूद इसमें आज तक जंग नहीं लगी है. वैज्ञानिक और इतिहासकार अभी भी इस बात से हैरान हैं कि ये स्तंभ इतना टिकाऊ कैसे है.



6- कुतुब मीनार में 379 सीढ़ियां

कुतुब मीनार के अंदर 379 घुमावदार और संकरी सीढ़ियां है. 1981 में इस ऐतिहासिक इमारत में एक दर्दनाक भगदड़ मच गई थी जिसके बाद से पर्यटकों को अब सीढ़ी चढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती है.

7- कलरफुल हैं कुतुब मीनार  

कुतुब मीनार की पहली 3 मंजिलें लाल बलुआ पत्थर की बनी हुई हैं, जबकि शुरुआती दो मंजिलें संगमरमर और बलुआ पत्थर से मिक्स की हुई हैं. सामग्रियों में ये परिवर्तन समय के साथ बदलते शासकों का संकेत है. टॉवर के ऊपर रंग और बनावट में भी हल्का बदलाव है.

8- कुतुब मीनार में हो चुकी हैं फिल्मों की शूटिंग

दिल्ली का कुतुब मीनार फोटोजेनिक लैंडमार्क में से एक है. यहां फिल्मों की शूटिंग से लेकर घूमने के लिए पर्यटकों का मेला तक लगता है. साफ शब्दों में कहा जाए तो ये कहना कहीं से गलत नहीं होगा कि दिल्ली की शान कुतुब मीनार से है.

9- कुतुब मीनार में लगता है मेला

कुतुब मीनार सिर्फ ऐतिहासिक स्थल नहीं है बल्कि यहां पर हेरिटेज वॉक, सांस्कृतिक कार्यक्रम और हर साल कुतुब मेला लगता है. ये स्मारक भले ही सदियों पुराना हो, लेकिन ये अब भी जीवंत है.

10 - उद्देश्य के साथ बनाया गया, कहानियों के साथ जिंदा है

दिल्ली का कुतुब मीनार सिर्फ टूरिस्ट स्पॉट नहीं है. ये दिल्ली की लंबे समय से चली आ रही विरासत की शानदार मिसाल है. सालों से भूकंप और बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक आपदा के बाद भी ये एक ऐसी विरासत है जिससे दिल्ली की पहचान होती है. ट

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